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जमीन माफियाओं के चंगुल में अंचल व रजिस्ट्री कार्यालय, एक ही जमीन की होती है कई बार रजिस्‍ट्री Ranchi News

Land Registry and Mutation News वर्ष 2019 में जमीन से संबंधित भ्रष्टाचार के 175 मामले सामने आए। इस वर्ष 50 मामले सामने आए। जमीन पर कब्जा के खेल में अपराध बढ़ रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 10:49 AM (IST)
जमीन माफियाओं के चंगुल में अंचल व रजिस्ट्री कार्यालय, एक ही जमीन की होती है कई बार रजिस्‍ट्री Ranchi News
जमीन माफियाओं के चंगुल में अंचल व रजिस्ट्री कार्यालय, एक ही जमीन की होती है कई बार रजिस्‍ट्री Ranchi News

रांची, [फहीम अख्तर]। जमीन विवाद में खून और अपराध को बढ़ावा देने में अंचल कार्यालय और रजिस्ट्री कार्यालय की बड़ी भूमिका है। यह दोनों कार्यालय लंबे समय से जमीन माफियाओं के चंगुल में रहा है। एक जमीन की कई बार रजिस्ट्री, गलत तरीके से म्यूटेशन और अलग-अलग रसीद निर्गत करने का खेल लंबे समय से चलता आ रहा है। विवाद की जड़ यहीं से शुरू होती है, जो अपराध को बढ़ावा दे रही है। एक जमीन के अलग-अलग दस्तावेज के लिए किसी भी जमीन पर माफिया कब्जा के लिए चढ़ते हैं और यहीं से खून का खेल शुरू हो जाता है।

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ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें अंचल कार्यालय और रजिस्ट्री कार्यालय की गड़बड़ी की वजह से विवाद पनपा जो बड़ा विवाद ले चुका है। डोरंडा थाने में अंचल कार्यालय के कर्मचारियों को भी आरोपित बना कर केस दर्ज कराया गया है। इसी कड़ी में पूर्व डीजीपी डीके पांडे की पत्नी के नाम की जमीन में दस्तावेज में छेड़छाड़ और गलत तरीके से दाखिल खारिज किए जाने का खेल हुआ था।

इस पर डीसी की ओर से जमाबंदी रद्द करने का आदेश भी हो चुका है। इसके बावजूद जमाबंदी अंचल कार्यालय में कायम है। इस तरह जमीन विवाद में सरकारी कार्यालयों की ही सांठगांठ रहने से जमीन माफिया पनप रहे। अपराधी जमीन के मामले में घुसकर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी का नतीजा है कि रांची में सर्वाधिक हत्याएं जमीन के विवाद में ही होती है।

अंचल कार्यालयों में होती रही है शिकायतें

भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए बने लोकायुक्त कार्यालय में रांची सहित राज्यभर के अंचल कार्यालयों के खिलाफ  शिकायतें दर्ज कराई जा रही है। सरकारी अमीन से लेकर अंचल निरीक्षक व अंचलाधिकारियों के खिलाफ लगातार शिकायतें पहुंच रही है। इन शिमयतों में गलत तरीके से दाखिल खारिज होना, गलत तरीके से जमाबंदी कर देना, सरकारी जमीन को रैयती बताकर उसका नामांतरण कर रसीद जारी कर देने जैसी शिकायतें दर्ज कराई जा रही है। बीते वर्ष 2019 में जमीन से संबंधित भ्रष्टाचार के 175 मामले लोकायुक्त कार्यालय पहुंचे थे। इस वर्ष अब तक लोकायुक्त के यहां भ्रष्टाचार से संबंधित 375 मामले पहुंचे हैं, जिनमें जमीन संबंधित 50 मामले शामिल हैं।

ऐसे होता है खेल

  • एक जमीन की कई रजिस्ट्री कर दी जाती है।  जब खरीदार उस पर कब्जा लेने जाता है तो दूसरे जमीन का मालिक जो रजिस्ट्री करा चुका होता वे विरोध में खड़े हो जाते हैं। इसके बाद विवाद बढ़ जाता है और हत्याएं तक हो जाती है।
  • एक ही जमीन को कई दलाल कई लोगों को बेचते हैं। रजिस्ट्री ऑफिस के पदाधिकारी व कर्मचारी की मिलीभगत से आदिवासी, गैर मजरुआ जमीन की भी रजिस्ट्री आसानी से हो जाती है। 
  • जमीन लेने के बाद खरीदार म्युटेशन के लिए अंचल कार्यालय का रुख करते हैं। यहां जो सबसे अधिक चढ़ावा देता है, उसके नाम से म्युटेशन होता है। यहीं से विवाद शुरू होता है।
  • म्युटेशन के बाद जमीन पर दबंगई से कब्जा होता है। इसमें स्थानीय जमीन दलाल, नेता और पुलिस की भूमिका शुरू होती है। जो विरोध करता है उसे रास्ते से हटाने के लिए हत्या तक कर दी जाती है।

इन इलाकों में सर्वाधिक विवाद

रांची से सटे ग्रामीण इलाकों में  जमीन विवाद के सर्वाधिक मामले सामने आते रहे हैं। कांके, ओरमांझी, नगड़ी, नामकुम व रातू क्षेत्र सेमी अर्बन हो गए हैं। जनरल व सीएनटी एक्ट से प्रभावित जमीन की खरीद-बिक्री भी इसी क्षेत्र में सबसे अधिक हो रही है। इसे देखते हुए जमीन को विवादित बनाने का खेल हो रहा है।  जमीन पर कब्जा दिलाने व रोकने का गिरोह चल रहा है। इसमें अंचल के कर्मचारी-पदाधिकारियों की भी मिलीभगत रहती है। जमीन माफिया पुलिस से भी सांठगांठ रखते हैं।

जमीन पर गड़बड़ी का खेल

केस 01

एक ही जमीन दो अलग-अलग लोगों के नाम पर दाखिल खारिज करवा दिया और फर्जी जमीन मालिक को एयरपोर्ट विस्तारीकरण के एवज में मुआवजे का भुगतान कर दिया। पांच साल तक जांच व सुनवाई के बाद लोकायुक्त ने तत्कालीन भू-अर्जन पदाधिकारी रांची अभय नंद अंबष्ट, तत्कालीन अंचलाधिकारी नामकुम अमित कुमार व तत्कालीन अंचल निरीक्षक प्रमोद कुमार को दोषी पाते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी।

केस 02

रांची के नामकुम अंचल में एक ही नंबर के दो अलग-अलग डीड पर अलग-अलग खरीदारों के नाम जमीन का दाखिल खारिज कर दिया गया। जब लोकायुक्त के आदेश पर पूरे मामले की जांच हुई तो पता चला कि जिस डीड पर दाखिल खारिज किया गया था, वह फर्जी था। इसके बाद दोषी अधिकारियों-कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई।

केस 03

रांची में कांके के पूर्व अंचलाधिकारी प्रभात भूषण सिंह पर गलत तरीके से दाखिल खारिज के आवेदन को अस्वीकृत करने के आरोपों की पुष्टि हो चुकी है। लोकायुक्त के आदेश पर पूर्व डीसी के आदेश पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी की विभागीय जांच में इसकी पुष्टि हुई थी।

केस 04

आदिवासी जमीन को जनरल बता करोड़ों की ठगी मामले में दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में अंचल कार्यालय के कर्मचारियों के खिलाफ भी केस दर्ज कराया गया है। बरियातु थाना क्षेत्र के जयप्रकाश निगर स्थित न्युनगर का रहने वाला गोपाल चौबे उर्फ रोहन चौबे पिता हृदय नारायण चौबे व कांके थाना क्षेत्र के वैष्णो इन्क्लेव का रहने वाला जलाले जन्नत खान पिता अब्दुल कयुम खान को जेल भेजा गया था।


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