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रांची डीआइजी के नेतृत्व में गठित एसआइटी करेगी 514 युवकों के फर्जी आत्मसमर्पण की जांच Ranchi News

Fake Naxal Surrender in Jharkhand एसआइटी रांची के तत्कालीन एसएसपी व भुक्तभोगी युवकों का भी बयान लेगी। एसआइटी में रांची के एसएसपी भी शामिल हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 02 Sep 2020 09:12 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2020 09:12 AM (IST)
रांची डीआइजी के नेतृत्व में गठित एसआइटी करेगी 514 युवकों के फर्जी आत्मसमर्पण की जांच Ranchi News
रांची डीआइजी के नेतृत्व में गठित एसआइटी करेगी 514 युवकों के फर्जी आत्मसमर्पण की जांच Ranchi News

रांची, राज्य ब्यूरो। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर राज्य में 514 निर्दोष युवकों को नक्सली बताकर फर्जी तरीके से आत्मसमर्पण कराने से संबंधित फाइल फिर से खुलेगी। इसके लिए रांची रेंज के डीआइजी अखिलेश झा के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) गठित की गई है, जिसमें रांची के एसएसपी भी शामिल हैं। अब एसआइटी इस फर्जी आत्मसमर्पण की तह खंगालेगी। रांची के तत्कालीन एसएसपी सहित आत्मसमर्पण करने वाले भुक्तभोगी युवकों का बयान भी लेगी।

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एसआइटी को कई नए बिंदुओं पर अनुसंधान करने का आदेश दिया गया है। बताते चलें कि ग्रामीण क्षेत्रों के 514 निर्दोष युवकों को नक्सली के नाम पर हथियार के साथ आत्मसमर्पण कराने व उन्हें पुलिस की नौकरी दिलाने का झांसा देने के मामले में पूर्व डीजीपी डीके पांडेय सहित कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की गर्दन फंसी हुई है। डीके पांडेय उस वक्त सीआरपीएफ, झारखंड के आइजी के पद पर थे। इस प्रकरण के भुक्तभोगी युवाओं ने डीजीपी एमवी राव से पूरे मामले की जांच की गुहार लगाई थी।

पीडि़त युवकों की बात को दैनिक जागरण ने 18 जून के अंक में प्रकाशित किया था। युवकों ने डीजीपी एमवी राव को यह जानकारी दी थी कि इस बहुचर्चित मामले में उनका बयान लिए बगैर ही पुलिस ने चंद लोगों पर चार्जशीट किया, जबकि इस प्रकरण में कई वरिष्ठ अधिकारी आरोपित हैं। इसके बाद ही पुलिस मुख्यालय ने समीक्षा के बाद इस कांड का फिर से अनुसंधान का आदेश दिया।

फर्जीवाड़े के इस मामले में लोअर बाजार थाने में दर्ज प्राथमिकी के शिकायतकर्ता पमेश प्रसाद व कृष्णा उरांव ने डीजीपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दी थी। बताया था कि वर्ष 2012 में करीब 514 गरीब युवाओं को वरिष्ठ अधिकारियों, सीआरपीएफ के पदाधिकारियों व दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट ने मिलकर सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर दिखाया। सभी युवकों से डेढ़-दो लाख रुपये यह कहकर लिए गए कि सभी को नक्सली बताकर हथियारों के साथ आत्मसमर्पण कराया जाएगा और उसके बाद नक्सली सरेंडर नीति के तहत सभी को पुलिस की नौकरी मिल जाएगी।

यह सोचकर गांव के गरीब लोगों ने जमीन, घर, वाहन आदि बंधक रखकर पैसा दिया। पमेश ने डीजीपी को बताया था कि जब उन्हें फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो वे विशेष शाखा के तत्कालीन एडीजी रेजी डुंगडुंग से मिले। उन्होंने जांच कराई तो मामला सही निकला। इसके बाद ही लोअर बाजार थाने में धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

बताया गया कि सभी निर्दोष को नक्सली बताकर सरेंडर दिखाया गया और पुलिस में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुपये हड़प लिए गए। सभी पीडि़त चार-पांच साल से न्याय की आस लगाए थे, लेकिन इसी बीच रांची पुलिस ने केवल खानापूर्ति करते हुए दिग्दर्शन इंस्टीट्यूट के मालिक रवि बोदरा व दो-तीन अन्य लोगों पर चार्जशीट कर अनुसंधान को बंद कर दिया और मुख्य अभियुक्त पुलिस-पदाधिकारियों को बचा लिया।


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