Move to Jagran APP

Jharkhand Migrant Workers: सुनिए सरकार! बिना निबंधन के बाहर जा रहे कामगार

Jharkhand Migrant Workers जिलों में मजदूरों से अपील कर खानापूर्ति हुई। निबंधन नहीं हो रहा है। मजदूरों को ले जानेवाले ठेकदार भी अपना निबंधन नहीं करा रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 12:49 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 04:21 PM (IST)
Jharkhand Migrant Workers: सुनिए सरकार! बिना निबंधन के बाहर जा रहे कामगार
Jharkhand Migrant Workers: सुनिए सरकार! बिना निबंधन के बाहर जा रहे कामगार

रांची, राज्य ब्यूरो। लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की दूसरे राज्यों में हुई भारी फजीहत के बाद भी झारखंड के मजदूर बिना निबंधन कराए काम के लिए दूसरे राज्य जा रहे हैं। यह हाल तब है जब पिछले तीन महीने से सरकार लगातार यह बात दोहराती रही है कि सभी मजदूरों का निबंधन कराने और उनकी तमाम सुविधाएं सुनिश्चित कराने के बाद ही सरकार उन्हें दूसरे राज्य काम के लिए भेजेगी। अभी दो दिन पहले ही पलामू के तीन मजदूरों की केरल में पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी।

loksabha election banner

पलामू के तीनों मजदूर भी बिना निबंधन कराए केरल गए थे। सिर्फ मजदूर ही नहीं, उन्हें और उनके साथ कई अन्य मजदूरों को ले जानेवाले ठेकेदारों ने भी निबंधन नहीं कराया था। काम के लिए बाहर जानेवाले सभी मजदूरों के लिए निबंधन अनिवार्य किये जाने की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की घोषणा के बाद भी जिलों में निबंधन नहीं के बराबर हो रहा है। कोई ठेकदार भी इसके लिए आगे आ ही नहीं रहा है। मजदूर अब भी ठेकेदारों के माध्यम से बिना निबंधन कराए काम के लिए दूसरे राज्य काम पर जा रहे हैं।

राज्य के कई जिलों में मजदूरों का निबंधन कराए बगैर उन्हें बसों और अन्य साधनों से झारखंड के बाहर ले जाने की अनुमति राज्य सरकार के अफसर ही बिना किसी पूछताछ के दे रहे हैं। अंतरराज्यीय प्रवासी मजदूर रोजगार अधिनियम, 1979 में दूसरे राज्यों में काम की तलाश में बाहर जानेवाले मजदूरों का राज्य में रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान पहले से भी है।

साथ ही मजदूरों को बाहर ले जानेवाले ठेकेदारों और एजेसियों का भी अनिवार्य रूप से निबंधन कराना है, लेकिन अफसरों की उदासीनता और लापरवाही के कारण  ठेकेदार बड़ी संख्या में मजदूरों को दिल्ली, हरियाणा, पंजाब व अन्य राज्यों में ले जाते हैं। लॉकडाउन के बाद भी यह खेल चल रहा है। जिलों में श्रमाधीक्षकों द्वारा मजदूरों से निबंधन कराने की अपील कर खानापूर्ति ही हुई है। मजदूरों द्वारा निबंधन नहीं कराने से उन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।

कुछ ही जिलों में मजदूरों का निबंधन, ठेकेदारों का कहीं भी नहीं

राज्य के अधिसंख्य जिलों में काम के लिए बाहर जानेवाले मजदूरों का निबंधन नहीं हो रहा है। गिने-चुने जिलों में ही कुछ मजदूरों का निबंधन हुआ है। ठेकेदारों की बात करें तो किसी भी जिले में कोई निबंधन नहीं हुआ है। गिरिडीह में बाहर जानेवाले मजदूरों के निबंधन का दावा अधिकारी तो करते हैं, लेकिन जिला स्तर पर इसका कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। जिले में एक भी ठेकदार का निबंधन नहीं हुआ है।

गढ़वा के श्रमाधीक्षक सुनील कुमार कहते हैं, मजदूर पूछताछ करने तो आ रहे हैं, लेकिन अभी किसी ने निबंधन नहीं कराया है। लोहरदगा में लॉकडाउन के बाद श्रम विभाग के माध्यम से 2040 मजदूरों ने निबंधन कराया है, लेकिन मजदूरों को बाहर ले जाने वाले किसी भी ठेकेदार ने अपना या मजदूरों का निबंधन नहीं कराया। दुमका के सहायक श्रमाधीक्षक शैलेंद्र कुमार साह के मुताबिक लगभग एक हजार मजदूरों ने तो निबंधन कराया है लेकिन किसी ठेकेदार ने निबंधन नहीं कराया है।

सरायकेला में कुल 2590 मजदूरों ने निबंधन कराया है। खूंटी में महज 40 श्रमिकों ने निबंधन कराया है। पलामू में भी एक भी मजदूर व ठेकेदार का निबंधन नहीं हुआ है। साहिबगंज, कोडरमा, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, लातेहार, चतरा आदि जिलों में भी किसी का निबंधन नहीं हुआ है। बोकारो में 137 मजदूर निबंधन कराकर हैदराबाद गए हैं, जबकि यहां के पेटरवार, कसमार, गोमिया व चंद्रपुरा से अबतक हजारों लोग बाहर जा चुके हैं।

श्रम मित्र और पंचायत सचिव करते हैं निबंधन 

राज्य में प्रवासी मजदूरों का निबंधन श्रम मित्रों और पंचायत सचिवों के माध्यम से श्रम प्रवर्तन पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है। ठेकेदार के माध्यम से जानेवाले मजदूरों को लाल कार्ड तथा स्वयं जानेवाले मजदूरों को हरा कार्ड दिया जाता है।

आकस्मिक दुर्घटना में डेढ़ लाख रुपये की क्षतिपूर्ति राशि का है प्रावधान

राज्य सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों के लिए शुरू की गई योजना के तहत निबंधित मजदूरों के कार्यस्थल या बाहर आकस्मिक दुर्घटना होने पर मौत की स्थिति में उनके आश्रितों को डेढ़ लाख रुपए सहायता राशि के रूप में देने का प्रावधान है। यदि मजदूर निबंधित नहीं है तो उसके आश्रितों को एक लाख ही मिलेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.