मनरेगा योजना बंद हुई तो अधिकारियों पर होगी कार्रवाई
रांची मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बहाल करने के साथ ही अब सरकार के स्तर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि गांव पंचायत या प्रखंड स्तर पर मनरेगा संचालित योजनाएं बंद नहीं होनी चाहिए। यदि ये योजनाएं बंद होती हैं तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
रांची : मनरेगा कर्मियों की हड़ताल से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बहाल करने के साथ ही अब सरकार के स्तर से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि गांव, पंचायत या प्रखंड स्तर पर मनरेगा संचालित योजनाएं बंद नहीं होनी चाहिए। यदि ये योजनाएं बंद होती हैं, तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिग के दौरान जिलों के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) को इस बाबत निर्देश दिया। उन्होंने कहा, मनरेगा द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत काम शुरू कर श्रमिकों को तत्काल रोजगार उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है।
मनरेगा आयुक्त ने राज्य सरकार के एजेंडे को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार की व्यवस्था कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जहां-जहां मनरेगाकर्मी हड़ताल पर हैं, वहां काम के लिए इच्छुक मजदूरों को प्रधानमंत्री आवास योजना व पंचायती राज से जुड़े कर्मी रोजगार दिलाने में भूमिका निभाएं। विभागीय सचिव ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को अविलंब मस्टर रोल (हाजिरी रजिस्टर) को एमआइएस (मैनेजमेंट इन्फॉरमेशन सिस्टम) में अपडेट करने का निर्देश दिया। आयुक्त ने स्पष्ट कहा कि मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल इंप्लायमेंट गारंटी एक्ट) से संचालित योजनाएं किसी भी हाल में बंद नहीं होनी चाहिए। जिस प्रखंड, पंचायत एवं गांव में योजनाएं बंद पाई जाएंगी, संबंधित अधिकारी एवं कर्मियों पर जबावदेही तय करते हुए सीधी कार्रवाई की जाएगी। इस मौके पर विशेष कार्य पदाधिकारी बैजनाथ राम, एमआइएस नोडल अफसर पंकज राणा, स्टेट प्रोजेक्ट अफसर शिव शंकर भी उपस्थित थे।
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खूंटी जिला के डीडीसी के कार्यों को सराहा :
मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी ने खूंटी के डीडीसी के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, खूंटी जिले के गुनी ग्राम के लोगों ने मिलकर कुल 350 एकड़ भूमि में मिट्टी एवं जल प्रबंधन का कार्य किया है। ग्रामीणों ने 50 एकड़ में अतिरिक्त खेती की है। गांव में जहां एक फसल होती थी, अब वहां तीन फसलें हो रही हैं। बिरसा हरित ग्राम योजना की मदद से ग्रामीणों ने पांच एकड़ में आम के बगीचे के लिए पौधारोपण करने को गड्ढा तैयार किया है। यह सराहनीय कार्य लॉकडाउन के महज तीन महीनों में गुनी गांव के निवासियों ने कर दिखाया है। झारखंड के लिए यह अपने आप में एक मिसाल है।
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