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औषधीय पौधे के उपयोग को समझने की जरूरत

राची विवि के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाडेय ने कहा कि हमें औषधीय पेड़ पौधे लगाने चाहिए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 01:33 AM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 01:33 AM (IST)
औषधीय पौधे के उपयोग को समझने की जरूरत
औषधीय पौधे के उपयोग को समझने की जरूरत

जागरण संवाददाता, राची : राची विवि के कुलपति प्रो. रमेश कुमार पाडेय ने कहा कि हमें औषधीय पेड़-पौधे के सही उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है। हमारे यहा ऐसे कई पौधे हैं जिसकी जड़, पत्तियों में कई रोगों का इलाज है। हमें इसके गुणों को पहचानना हेागा। वे रविवार को इतिहास संकलन समिति झारखंड प्रात की ओर से आयोजित वेबिनार के उदघाटन समारोह में बोल रहे थे। इसका विषय कोविड-19 और भारत की देशज चिकित्सकीय परंपरा था। वेबिनार की अध्यक्षता डॉ. राजकुमार ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मृत्युंजय कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन मनीषा कुमारी ने किया।

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जड़ी-बुटियों पर शोध करने की जरूरत

वेबिनार में मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि विवि के प्रोफेसरों व शोधाíथयों को आयुर्वेद से जुड़ी जड़ी-बुटियों पर शोध करने एवं डॉक्यूमेंटेशन तैयार करने की जरुरत है। विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति का त्याग कर हमें अपने देशज पंरपरा को गला लगाना चाहिए। ऐसा करके अपनी संस्कृति से जुड़े रहेंगे और समस्या का समाधान भी होगा।

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. देवी प्रसाद सिंह ने भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति पर विचार रखे। राची विवि के पीजी इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ. कमला गुप्ता ने देशज परंपरा पर ध्यान दिलाते हुए इसमें महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। कुलसचिव डॉ. अमर कुमार चौधरी ने कोविड-19 से उत्पन्न प्रवासी मजदूरों की समस्या एवं समाधान को बताया।

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वीमेंस कॉलेज में वेबिनार का आयोजन

जागरण संवाददाता, राची : राची वीमेंस कॉलेज के भूगोल विभाग के द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इसका विषय एजिंग ऑफ पॉपुलेशन इन इंडिया था। विश्व भारती विश्वविद्यालय के डॉ. भैरू लाल यादव और निर्मला कॉलेज की डॉ. देबजानी रॉय ने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्या डॉ. मंजू सिन्हा ने किया। संचालन समन्वयक डॉ. स्मिता लिंडाने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में जेएनयू की डॉ. पूर्वा यादव और बसीरहाट कॉलेज 24 परगना पश्चिम बंगाल की डॉ. अदिति मोतीलाल का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। इसमें देशभर से कुल 101 लोगों ने भाग लिया।


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