Move to Jagran APP

Migrants Workers Back Home: मुंबई से एयर एशिया के चार्टर्ड विमान से रांची आए 189 प्रवासी मजदूर

Jharkhand News. बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचने के बाद प्रवासी मजदूरों ने राहत की सांस ली। जिला प्रशासन ने भोजन-पानी के साथ बसों की सुविधा उपलब्ध कराई।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 03:21 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 03:31 PM (IST)
Migrants Workers Back Home: मुंबई से एयर एशिया के चार्टर्ड विमान से रांची आए 189 प्रवासी मजदूर
Migrants Workers Back Home: मुंबई से एयर एशिया के चार्टर्ड विमान से रांची आए 189 प्रवासी मजदूर

रांची, जासं। नेशनल लॉ स्कूल बेंगलुरु के पूर्ववर्ती छात्रों के सहयोग से रविवार को 189 प्रवासी मजदूर मुंबई से एयर एशिया के चार्टर्ड विमान से रांची पहुंचे। विपदा की इस घड़ी में नेशनल लॉ स्कूल के पूर्ववर्ती छात्र इन प्रवासी मजदूरों के लिए मसीहा बनकर सामने आए, जिन्होंने इन प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए न सिर्फ फंड जुटाया, बल्कि मुंबई में फंसे प्रवासी मजदूरों को ढूंढ-ढूंढ कर निकाला। रविवार की सुबह 8:30 बजे एयर एशिया का विमान बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा तो इन प्रवासी मजदूरों ने राहत की सांस ली।

loksabha election banner

प्रवासी मजदूरों ने बताया कि मुंबई की स्थिति अच्छी नहीं है। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से लोग डरे-सहमे हुए हैं। घर से बाहर निकलने के बाद पूरी तरह सैनिटाइज होने के बाद स्नान करना पड़ रहा है। लॉकडाउन की बढ़ती मियाद के कारण दूसरे राज्यों से आए लोग आर्थिक तंगी के शिकार हो चुके हैं। मकान मालिक किराए के लिए परेशान कर रहा है और राशन दुकान वालों ने उधार देना बंद कर दिया है। पिछले दो माह से काम-धंधा बंद होने के कारण मुंबई में एक-एक दिन काटना मुश्किल हो चुका था।

इन प्रवासी मजदूरों में घर में झाड़ू-पोंछा करने वाली महिलाएं, फर्नीचर का काम कर अपनी आजीविका चलाने वाले लोग भी शामिल थे, जो पिछले कई वर्षों से मुंबई में रहकर अपने परिवार को भी हर माह आर्थिक रूप से सहयोग कर रहे थे। इधर, मुंबई से प्रवासी मजदूरों के पहुंचने के बाद जिला प्रशासन की ओर से उन्हें भोजन के पेकैट व पानी उपलब्ध कराए गए। एयरपोर्ट से इन प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचाने के लिए आठ बसों की व्यवस्था भी की गई थी।

रांची की रहने वाली सुषमा ने बताया कि वह मार्च महीने में मुंबई गई थी। बेटा और बहू मुंबई से 150 किमी. दूर रहते हैं। बहू का डिलिवरी होना था, इसलिए उन्हें मुंबई से वापस लाने के लिए गई थी। 15 मई को बहू का डिलीवरी हुआ था। लॉकडाउन के कारण मुंबई से घर वापसी के लिए कोई विकल्प नहीं था। फिर जानकारी मिली कि चार्टर्ड विमान से प्रवासी मजदूरों को रांची पहुंचाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। मेरे भाई ने हम सभी की रांची वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन का काम पूरा करा दिया था। मेरे साथ बहू और नन्हा बच्चा भी साथ आया है। -सुषमा देवी, रांची।

अमूमन ट्रेन से ही मुंबई जाती हूं। लॉकडाउन में फंसने के बाद पहली बार विमान से यात्रा करने का मौका मिला। मुंबई में ट्रेन में धक्के खाकर जीने की आदत सी पड़ गई थी। लेकिन विमान में यात्री करने के बाद अजीब सा सुकून मिला। विमान में बैठने के बाद लॉकडाउन की सारी परेशानियां दूर हो गई। ऐसा लग रहा था कि अब मैं भी गरीब नहीं हूं। काश! इस लॉकडाउन में किस्मत बदल जाती। -मनीषा, प्रवासी मजदूर, गिरिडीह।

परिवार के साथ काम की तलाश में पुणे गए थे। लॉकडाउन में फंस गए। जब मुझे अपने परिजनों के माध्यम से जानकारी मिली कि विशेष विमान से रांची जाने वालों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है। मैंने भी मुंबई से रांची जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। सबसे ज्यादा खुशी हुई कि मुंबई से रांची जाने के लिए पैसे भी नहीं लिए गए। लॉकडाउन में संकट की घड़ी में मदद करने वाले हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं, जिन्होंने दिल खोलकर हमारी मदद की। -जितेंद्र करमाली, प्रवासी मजदूर, हजारीबाग।

मैं मुंबई घूमने गया था। वहां मेरे मामा रहते हैं। लॉकडाउन में रहने-खाने की कोई परेशानी नहीं थी। लॉकडाउन में घर के अंदर कैद था। बैंक भी बंद थे। इसलिए काफी परेशानी हो रही थी। मुंबई का माहौल बहुत ही खराब है। कोरोना वायरस के संक्रम्रण से लोग डरे-सहमे हुए हैं। घर से बाहर निकलने वाले लोग पूरी तरह सैनिटाइज होकर घर में प्रवेश करने से पहले स्नान कर रहे हैं। -मनोज साह, छात्र, दुमका।

मैं अपने पति के साथ पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रह रही हूं। वे वहां फर्नीचर बनाने का काम करते हैं। लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीने से एक रुपये की भी आमदनी नहीं हो रही थी। इस समयावधि में जमा पूंजी भी खत्म हो चुकी थी। मकान का किराया देना भी संभव नहीं था। अब घर वापस आ गए हैं। रांची पहुंचने के बाद काफी सुकून मिल रहा है। मुंबई की स्थिति सामान्य हाेने के बाद ही पुन: वापसी के लिए सोचूंगी। -किरण पांडे, प्रवासी मजदूर, हजारीबाग।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.