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स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिया 520 करोड़ का हिसाब, महालेखाकार कार्यालय ने की आपत्ति

Jharkhand. खर्च का हिसाब समय पर नहीं देना अनियमितता माना जाता है। राज्य गठन से अबतक कुल 1677 बिलों में जारी राशि का नहीं हुआ समायोजन।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:59 PM (IST)
स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिया 520 करोड़ का हिसाब, महालेखाकार कार्यालय ने की आपत्ति
स्वास्थ्य विभाग ने नहीं दिया 520 करोड़ का हिसाब, महालेखाकार कार्यालय ने की आपत्ति

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य गठन से लेकर वर्ष 2018-19 तक 520.31 करोड़ रुपये खर्च का हिसाब नहीं दिया। महालेखाकार कार्यालय ने लंबे समय से लंबित इस राशि के समायोजन नहीं होने (डीसी बिल नहीं मिलने) पर आपत्ति की है। साथ ही कहा है कि विभिन्न योजनाओं में खर्च हुई राशि का समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिलना बताता है कि उक्त रािश नियम के अनुसार खर्च नहीं हुई।

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उप महालेखाकार (लेखा) ने स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर इस ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि स्वास्थ्य विभाग उन विभागों में शामिल है जिनके पास अधिक राशि का डीसी बिल लंबित है। उन्होंने वर्षवार ऐसे लंबित बिल तथा असमायोजित राशि की जानकारी देेते हुए उक्त राशि का शीघ्र डीसी बिल महालेखाकार कार्यालय को सौंपने को कहा है ताकि राशि के समायोजन में वांछित प्रगति आ सके।

महालेखाकार कार्यालय के अनुसार, कुल 1677 बिलों में जारी राशि का हिसाब नहीं सौंपा जा सका है। महालेखाकार कार्यालय द्वारा इसे लेकर आपत्ति किए जाने के बाद स्वास्थ्य सचिव ने संबंधित पदाधिकारियों को लंबित राशि का शीघ्र समायोजन का निर्देश दिया है। बता दें कि विभिन्न विभाग एसी बिल के माध्यम से राशि खर्च करते हैं। राशि खर्च होने पर उसके हिसाब से संबंधित डीसी बिल महालेखाकार कार्यालय को सौंपना पड़ता है।

रेडक्रास को रक्तदान शिविर के लिए दिया अग्रिम, समायोजन नहीं

स्वास्थ्य विभाग के अधीन कार्य कर रही संस्था झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने रक्तदान शिविर आयोजित करने के लिए रांची रेडक्रास सोसाइटी को अग्रिम दिया, लेकिन इसका समायोजन नहीं हुआ। इसने अपने कई कर्मियों को भी अग्रिम के रूप में बड़ी राशि दी, लेकिन उसकी वसूली नहीं हुई। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन मदन कुलकर्णी ने सोसायटी के परियोजना निदेशक को सभी असमायोजित अग्रिम की समीक्षा कर सात दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

वर्ष 2007 से 2009 तक अधिक राशि का समायोजन लंबित

वैसे तो राज्य गठन से लेकर वर्ष 2018-19 तक सभी वित्तीय वर्ष में खर्च हुई राशि का समायोजन नहीं हुआ है। लेकिन सबसे अधिक वर्ष 2007 से 2009 तक की राशि लंबित है।


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