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Gangster अखिलेश सिंह के मामले में बड़ा खेल, सही तरीके से पक्ष नहीं रखते सरकारी वकील

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने गृह विभाग व महाधिवक्ता से लिखित शिकायत की है। उच्च न्यायालय में ससमय अपील दाखिल नहीं किया जाता है और सुनवाई के दौरान ध्यान भी नहीं दिया जाता है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 07:10 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 08:59 AM (IST)
Gangster अखिलेश सिंह के मामले में बड़ा खेल, सही तरीके से पक्ष नहीं रखते सरकारी वकील
Gangster अखिलेश सिंह के मामले में बड़ा खेल, सही तरीके से पक्ष नहीं रखते सरकारी वकील

रांची, राज्य ब्यूरो। कुख्यात अपराधी गैंगस्टर अखिलेश सिंह के विरुद्ध न्यायालयों में सरकारी वकील सरकार का पक्ष सही समय पर व समुचित तरीके से नहीं रख पाते हैं। इसका असर यह होता है कि सरकार के विरुद्ध ही न्यायालय से आदेश पारित हो जाते हैं और सरकार केस हार जाती है। जिला प्रशासन कुछ कांडों में पारित आदेश के विरुद्ध आवेदन तैयार कर भेजता है, लेकिन उच्च न्यायालय में ससमय उसे दाखिल नहीं किया जाता है और सुनवाई के दौरान ध्यान भी नहीं दिया जाता है।

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यह लिखित शिकायत पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त की है। उन्होंने यह शिकायत झारखंड हाई कोर्ट के महाधिवक्ता, गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव व विधि विभाग के प्रधान सचिव सह विधि परामर्शी से की है। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त ने अपने पत्र में लिखा है कि कुख्यात अपराधी अखिलेश सिंह के गिरोह के दो सक्रिय सदस्य कन्हैया सिंह व सुधीर दुबे एवं दो शूटर को जमशेदपुर न्यायालय ने सोनारी थाना कांड संख्या 235/16 में 30 जुलाई 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

सुधीर दुबे व कन्हैया सिंह ने उच्च न्यायालय में जमानत याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कोई उपस्थित नहीं हुआ। हाई कोर्ट से पारित आदेश में इसका उल्लेख भी किया गया। अपील बेल रद करने के लिए एसएसपी जमशेदपुर ने इस संबंध में पत्राचार भी किया। रिहाई के विरुद्ध अपील दायर करने के लिए विवरणी तैयार कर भेजी गई, लेकिन दोनों ही याचिकाएं अब तक न्यायालय में दायर नहीं की गई। 

अब लोक अभियोजकों के लिए भी बायोमीट्रिक व्यवस्था

अब लोक अभियोजकों के लिए भी बायोमीट्रिक व्यवस्था की जा रही है। यह शीघ्र ही लागू हो जाएगा। इसी 14 फरवरी को अभियोजन निदेशालय ने एक आदेश जारी किया है। जारी आदेश के अनुसार लोक अभियोजक अवकाश पर जाते हैं तो उसके लिए भी एक चैनल बना है, जिसे वे तोड़ नहीं सकते हैं।

बहुत जल्द ही इसका सख्ती से पालन होने वाला है। सहायक लोक अभियोजक व अपर लोक अभियोजक को अवकाश लेने के लिए लोक अभियोजक के माध्यम से उपायुक्त को आवेदन देना होगा। अगर वे बिना पूर्व अनुमति के अवकाश लेते हैं तो इसे अनुशासनहीनता मानते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।


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