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रिश्‍वत नहीं दी तो CO ने नामंजूर किया दाखिल-खारिज का आवेदन, लोकायुक्त की जांच में खुलासा

Jharkhand. रांची के चान्हो में गड़बड़ी कर दाखिल खारिज के आवेदन को नामंजूर किया था। जांच में अंचलाधिकारी की भूमिका संदिग्ध।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 08:28 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 08:28 PM (IST)
रिश्‍वत नहीं दी तो CO ने नामंजूर किया दाखिल-खारिज का आवेदन, लोकायुक्त की जांच में खुलासा
रिश्‍वत नहीं दी तो CO ने नामंजूर किया दाखिल-खारिज का आवेदन, लोकायुक्त की जांच में खुलासा

रांची, राज्य ब्यूरो। चान्हो में पंजी-2 में गड़बड़ी कर दाखिल खारिज के आवेदन को अस्वीकृत किए जाने का एक मामला सामने आया है। लोकायुक्त ने जांच में अनियमितता पकड़ी और चान्हो के तत्कालीन अंचलाधिकारी प्रवीण कुमार की भूमिका पर सवाल उठाया। शिकायतकर्ता जगदेव गोप ने लोकायुक्त कार्यालय में आवेदन देकर बताया था कि उनकी 2.61 एकड़ जमीन की दाखिल खारिज व रसीद निर्गत करने के एवज में चान्हो के तत्कालीन सीओ प्रवीण कुमार सिंह ने दो हजार रुपये प्रति डिसमिल के हिसाब से रिश्वत मांगी थी।

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रिश्वत नहीं देने पर उनके आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया, जबकि उन्होंने उक्त जमीन रैयत चक्रधारी सिंह से खरीदी थी। लोकायुक्त के आदेश पर रांची सदर के कार्यपालक दंडाधिकारी ने पूरे मामले की जांच की। इसमें पता चला कि ऑनलाइन पोर्टल पर रैयत चक्रधारी सिंह का पंजी-2 में नाम ही नहीं है। लोकायुक्त ने कार्यपालक दंडाधिकारी को निर्देशित किया कि मैनुअल जाकर पंजी-2 देखें।

मैनुअल पंजी-2 से पूरे मामले का खुलासा हुआ। रैयत चक्रधारी सिंह सिंह के नाम से पंजी टू में दो एकड़ 61 डिसमिल जमीन दर्ज है। अंचलाधिकारी ने बिना भौतिक सत्यापन के ही ऑनलाइन पोर्टल को देखकर आवेदक का आवेदन अस्वीकृत कर दिया था। इसका खुलासा होने के बाद लोकायुक्त ने अधिकारियों को फटकार भी लगाई। अब पूरे मामले को संशोधित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।


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