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Jharkhand: वज्रपात से हर वर्ष 200 मौतें, जानें कैसे बचें इस विपदा से

Weather of Jharkhand. यह कहना गलत नहीं होगा कि वज्रपात झारखंड की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक है। औसतन 200 लोगों की मौत वज्रपात की विभिन्न घटनाओं में हर साल हो रही हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 12:52 PM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 10:35 AM (IST)
Jharkhand: वज्रपात से हर वर्ष 200 मौतें, जानें कैसे बचें इस विपदा से
Jharkhand: वज्रपात से हर वर्ष 200 मौतें, जानें कैसे बचें इस विपदा से

रांची, राज्य ब्यूरो। यह कहना गलत नहीं होगा कि वज्रपात झारखंड की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक है। औसतन 200 लोगों की मौत वज्रपात की विभिन्न घटनाओं में हर साल हो रही हैं। इनमें से 95 फीसद मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं। वज्रपात के शिकार 60 फीसद किसान और 30 फीसद बच्चे होते हैं। ऐसा झारखंड के 24 जिलों में से 15 जिलों का लेवल-एक वज्रपात जोन में आने के कारण है।

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जुलाई का महीना इस मामले में सर्वाधिक घातक है। पिछले पांच वर्षों की बात करें तो झारखंड के स्तर पर वज्रपात की तीव्रता में कम से कम तीन गुना वृद्धि हुई है। केंद्र सरकार का लक्ष्य वज्रपात से होने वाली मौतों को अगले तीन वर्षों में 80 फीसद कम करना है। इसे केंद्र में रखकर क्लाईमेट रेजीलिएंट ऑब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (करौपसी) एवं वल्र्ड विजन इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में वज्रपात सुरक्षित भारत अभियान की शुरुआत की गई है।

करौपसी के सदस्य कर्नल संजय श्रीवास्तव के अनुसार जल्द ही झारखंड में भी इस अभियान की शुरुआत होगी। इसके तहत वज्रपात से बचाव के तीन सेक्टरों पर फोकस किया जाएगा। पहला फोकस वज्रपात की पूर्व सूचना तंत्र को मजबूत करने पर होगा। दूसरा वज्रपात से बचने के लिए क्या करें, क्या न करें और तीसरा वज्रपात संवेदनशील क्षेत्र में अवस्थित घरों पर तडि़त चालक लगाने पर फोकस होगा।

वज्रपात ने कब कितनी जानें ली

2007 में 157, 2008 में 143, 2009 में 153, 2010 मेंं 140, 2011 में 136, 2012 मेंं 142, 2013 में 167, 2014 में 162, 2015 में 204, 2016 में 270, 2017 में 300 तथा जून 2018 तक झारखंड में वज्रपात से 110 लोगों की मौत हो गई थी।

सावधानी में ही सुरक्षा

अगर वज्रपात से बचना हो तो सावधानी बरतनी होगी। तेज गर्जन की आवाज सुनें तो तत्काल कंक्रीट की इमारत में पनाह लें। ऊंचे व एकल पेड़ों के नीचे कतई खड़े न रहें। एक साथ दो अथवा उससे अधिक लोग खड़े न रहे। आपस में कम से कम 15 फीट की दूरी हो। खेत खलिहान में काम कर रहे हों तो पैरों के नीचे सूखे लकड़ी रखें। दोनों पैरों को आपस में सटा लें। जमीन पर कतई न लेटें। धातू से बनें कृषि यंत्र, डंडे आदि को दूर रखें। टेलीफोन टावर व विद्युत पोल से दूर रहें।

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