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Coronavirus Lockdown: फोन पर दर्द सुन पसीजा दिल, अमेरिका तक से जुटाई मदद

Coronavirus Lockdown News. कार्मिक विभाग के दो सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों ने बेंगलुरु में फंसे चतरा और लातेहार के श्रमिकों को दो दिन अपने पैसे से भोजन का बंदोबस्त कराया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 08:42 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 08:42 AM (IST)
Coronavirus Lockdown: फोन पर दर्द सुन पसीजा दिल, अमेरिका तक से जुटाई मदद
Coronavirus Lockdown: फोन पर दर्द सुन पसीजा दिल, अमेरिका तक से जुटाई मदद

रांची, [आशीष झा]। दिल में किसी के लिए कुछ कर गुजरने की भावना जाग जाए तो मदद पहुंचाने के लिए कोई सीमा नहीं होती। ऐसा ही कर दिखाया है मंत्रालय के दो सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों ने। दोनों ने बेंगलुरु में झारखंड के लोगों का दर्द सुना तो दिल पसीज गया। स्थानीय स्तर पर एक एनजीओ में कार्यरत महिला से संपर्क कर पहले तो अपने स्तर से दो दिनों के भोजन का प्रबंध कराया और फिर लोगों की पुकार विभिन्न माध्यमों से देश-विदेश तक पहुंचाई। आवाज सुनी भी गई।

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अमेरिका में बसे एक एनआरआइ ने अपने और सहयोगियों के माध्यम से इतनी मदद पहुंचाई कि लोगों के लिए लगभग एक माह का खाद्यान्न जुटा लिया गया। यह काम महज दो दिनों में हुआ है। 100 से अधिक परिवारों के लगभग 500 लोगों को अब खाने-पीने की चिंता नहीं है। दोनों सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों के नाम ओम प्रकाश सिंह और अवनीश कुमार है। सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की मदद के लिए कंट्रोल रूम में सहायक संवर्ग के कर्मियों को लगाया और यही लोग आम लोगों की समस्याएं सुन अधिकारियों को बताते हैं जहां से दूसरे राज्यों के अधिकारियों से संपर्क कर मदद पहुंचाई जा रही है।

यहां पर सहायक प्रशाखा पदाधिकारी ओम प्रकाश सिंह और अवनीश कुमार भी लोगों की समस्या सुनकर अधिकारियों तक पहुंचाने में लगाए गए थे। रविवार को कुछ लोगों ने बताया कि वे दाने-दाने को मोहताज हैं और उनके सामने भूखे मरने की नौबत है। एक व्यक्ति ने अपना फोन नंबर दिया तो सीधे वीडियो कॉल से समस्या से रूबरू हो गए। झुग्गियों में रहकर मजदूरी करनेवाले इन परिवारों के पास खाने-पीने की व्यवस्था भी नहीं थी और रुकने का कोई प्रबंध भी नहीं।

दैनिक मजदूरी पर काम करनेवाले लोगों में से एक ने कहा कि अगर अब मदद नहीं मिली तो आत्महत्या कर लेंगे। ये लोग चतरा और लातेहार जिले के थे और इसी क्षेत्र के सहायक प्रशाखा पदाधिकारी भी हैं। फिर क्या था। सरकारी कार्यवाही के बीच अपनी ओर से मदद में जुट गए। एक एनजीओ में कार्यरत महिला लक्ष्मी श्रीधरन से संपर्क में आए तो उन्होंने लोगों का हाल देखकर बात करने की बात कही।

लक्ष्मी ने बताया कि फिलहाल तो इनके खाने-पीने का तत्काल प्रबंध करना होगा। बिहार, ओडिशा, बंगाल और झारखंड के सैकड़ों परिवार आसपास के झुग्गियों में मौजूद थे और सभी को मदद चाहिए थी। दोनों सहायक प्रशाखा पदाधिकारियों ने अपनी ओर से दो दिनों के भोजन का इंतजाम कर राशि भेजी। इसके बाद सभी की मदद के लिए विभिन्न सोशल साइट्स पर अपील की गई।

इनके प्रयास और लक्ष्मी श्रीधरन की कोशिशों का नतीजा यह निकला कि अमेरिका में बसे एक एनआरआइ ने एक महीने का अनाज सभी परिवारों के लिए भेज दिया। एक-एक परिवार को 50-50 किलो चावल के अलावा, दाल, मसाला, आलू, तेल आदि का प्रबंध कर उपलब्ध कराया गया है।


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