CAA Support: जामा मस्जिद से पावरगंज तक धधकती रही आग, 28 साल बाद फिर दहला लोहरदगा
Violence in Lohardaga Jharkhand शहर के धर्मशाला रोड में 200 से ज्यादा की संख्या में महिला युवा और बच्चे फंसे हुए हैं। उनकी सहायता के लिए स्थानीय लोग सामने आए हैं।
लोहरदगा, [जागरण स्पेशल]। लोहरदगा 28 साल बाद फिर से दहल उठा। वर्ष 1992 में देशभर में जो दंगे हुए थे, उसके बाद एक बार फिर साल 2020 के जनवरी माह में लोगों को उसी आग का एहसास हुआ। हालांकि उस समय धर्म और हक को लेकर लड़ाई की आग में पूरा देश जला था, परंतु इस बार नागरिकता संशोधन विधेयक के समर्थन में निकाला गया जुलूस में पत्थरबाजी की घटना के बाद शहर जल उठा है।
लोहरदगा के अलग-अलग हिस्सों में आगजनी, तोडफ़ोड़ और मारपीट की घटना ने लोगों को भयभीत कर रख दिया। लोग कई स्थानों पर अब भी फंसे हुए हैं। शहर के धर्मशाला रोड में 200 से ज्यादा की संख्या में महिला, युवा और बच्चे फंसे हुए हैं। उनकी सहायता के लिए स्थानीय लोग सामने आए हैं। शहर के अलग-अलग हिस्सों में कई घरों को खाली कराने की स्थिति भी सामने आई है। हालांकि सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस की ओर से पुरजोर कोशिश की गई है।
वर्ष 1992 में देशभर में जो दंगे हुए थे, उसमें लोहरदगा इसलिए भी चर्चा में आया था कि यहां इस घटना में काफी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे। उस समय भी लूटपाट, आगजनी की घटनाएं काफी हुई थीं। कई परिवार उजड़ गए थे। फिर एक बार उसी प्रकार की स्थिति ने लोहरदगा के लोगों को न सिर्फ भयभीत कर दिया है, बल्कि सामाजिक सौहार्द और शांतिपूर्ण जिले के रूप में चिन्हित लोहरदगा के माथे पर एक दाग भी लगा दिया है। 28 साल के बाद लोहरदगा में हुई इस घटना ने लोगों को फिर एक बार सोचने पर मजबूर कर दिया है।
जामा मस्जिद से लेकर पावरगंज तक धधक रही थी आग
लोहरदगा शहरी क्षेत्र में सबसे अधिक जामा मस्जिद से लेकर पावरगंज तक आग धधक रही थी। पूरी सड़क ईंट पत्थर, लाठी-डंडों से पटी हुई थी। हर जगह उपद्रवियों को एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते देखा जा रहा था। हालांकि इसकी शुरुआत को देखने से ही स्पष्ट होता है कि समुदाय विशेष के लोगों द्वारा साजिशन पत्थरबाजी करते हुए घटना को अंजाम दिया गया। सड़क की हालत ही बता रही थी कि लोहरदगा में किस तरह से हिंसक वारदात हुई है। भीड़ पर किस तरह से हमला किया गया। साफ तौर पर यह संकेत है कि लोहरदगा को जलाने के लिए पूरी तरह से साजिश की गई थी।
करोड़ों का हुआ नुकसान
लोहरदगा जिले में गुरुवार को जो कुछ भी हुआ उसमें करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। कई दुकानों में लूटपाट और आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया है। इसके अलावा कई दुकानों में आग भी लगाई गई है। विशेषकर दर्जी दुकान, गैराज, मोबाइल दुकान, फर्नीचर दुकान, शोरूम सहित अन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। उपद्रवियों ने ऐसी दुकानों को निशाना बनाया, जिसमें लूटपाट कर अपने उपयोग की वस्तु तलाश सकें। इस क्रम में दुकानों में तोडफ़ोड़ और आगजनी भी करते हुए साक्ष्य को मिटाने की कोशिश भी की गई है।
लोहरदगा भेजे गए अतिरिक्त सुरक्षा बल, आयुक्त व डीआइजी भी पहुंचे
लोहरदगा में सीएए के समर्थन में निकली रैली के दौरान हिंसक झड़प और बवाल के बाद स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश जारी है। पुलिस मुख्यालय के आदेश पर लोहरदगा के लिए अतिरिक्त सशस्त्र बल के जवानों को भारी संख्या में लोहरदगा भेजा गया है। वहीं, स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दक्षिणी छोटनागपुर प्रमंडल के आयुक्त व रेंज डीआइजी भी लोहरदगा पहुंच गए हैं। एडीजी ऑपरेशन सह झारखंड पुलिस के प्रवक्ता मुरारी लाल मीणा ने बताया कि लोहरदगा में बवाल के बाद पुलिस की ठोस कार्रवाई हुई है। स्थिति नियंत्रित है। जो घायल हुए हैं, उनका इलाज करवाया जा रहा है।
हिंसा-बवाल के बाद पुलिस के शीर्ष अधिकारी लोहरदगा में कर रहे कैंप
लोहरदगा के हिंसा-बवाल के बाद वर्तमान हालात को देखते हुए राज्य सरकार ने यहां पर पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को प्रतिनियुक्त कर दिया है। लोहरदगा में फिलहाल दो आईजी, रेंज डीआईजी, 6 एसपी, 12 डीएसपी, 100 से ज्याद दारोगा सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। इसमें रांची जोन के डीआईजी सह मानवाधिकार नवीन कुमार सिंह, आईजी अभियान साकेत कुमार सिंह, डीआईजी रांची रेंज अमोल वेणु होमकर, सीआईडी एसपी मनोज रतन चोथे, सीटीसी मुसाबनी के एसपी नौशाद आलम, जैप-4 की कमांडेंट सुजाता वीणापानी, जैप-2 के कमांडेंट संजय रंजन सिंह के साथ-साथ गुमला एसपी अंजनी कुमार मिश्रा और लातेहार एसपी प्रशांत कुमार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तैनात हैं।
इनके साथ दक्षिणी छोटानागपुर के प्रमंडलीय आयुक्त विनोद कुमार लोहरदगा में कैंप किए हुए हैं। इसके अलावा राज्य के अलग-अलग स्थानों से 12 डीएसपी को लोहरदगा में प्रतिनियुक्त किया गया है। कुल 15 कंपनी फोर्स को सुरक्षा व्यवस्था में लगाया गया है। अर्धसैनिक बलों के हवाले सुरक्षा व्यवस्था को सौंपेने के बाद कुछ हद तक शांति व्यवस्था नजर आ रही है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल और अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है। महिला और पुरुष बल के जवानों को प्रतिनियुक्त करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेवारी दी गई है। पुलिस के आला अधिकारी लगातार विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण करते हुए सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे हैं।