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Jharkhand High Court: घोटाले के दोषी करार 16 इंजीनियरों को हाई कोर्ट से भी नहीं मिली राहत; जानें पूरा मामला

Jharkhand High Court पलामू में फ्लोराइड मुक्त ग्रामीण जलापूर्ति योजना में घोटाला उजागर होने के बाद लोकायुक्त ने इसके लिए इंजीनियरों को दोषी पाया था।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 11:46 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 11:46 AM (IST)
Jharkhand High Court: घोटाले के दोषी करार 16 इंजीनियरों को हाई कोर्ट से भी नहीं मिली राहत; जानें पूरा मामला
Jharkhand High Court: घोटाले के दोषी करार 16 इंजीनियरों को हाई कोर्ट से भी नहीं मिली राहत; जानें पूरा मामला

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand High Court पलामू में फ्लोराइड मुक्त ग्रामीण जलापूर्ति योजना में घोटाला उजागर होने के बाद लोकायुक्त ने इसके लिए इंजीनियरों को दोषी पाया था और उनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की थी। 19 अगस्त को जारी आदेश को चुनौती देते हुए कुछ इंजीनियर हाई कोर्ट चले गए थे। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद लोकायुक्त के आदेश को सही माना और दोषी इंजीनियरों की याचिका को खारिज कर दी। 

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पलामू में फ्लोराइड मुक्त ग्रामीण जलापूर्ति में करोड़ों के घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब एक शिकायत पर लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से पूरे मामले की जांच कराई। इस घोटाले में शामिल 16 इंजीनियर्स दोषी मिले। इसके बाद लोकायुक्त ने 19 अगस्त 2019 को आदेश पारित कर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को आदेश दिया था कि तीन महीने के भीतर की जाने वाली कार्रवाई से अवगत कराएं।

शिकायतकर्ता अभिमन्यु तिवारी ने वर्ष 2012 में लोकायुक्त कार्यालय में शिकायत की थी। उनका आरोप था कि पेयजल स्वच्छता विभाग पलामू अंचल में फ्लोराइड मुक्त ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अधीन लगाई गई मशीन जिसका बाजार मूल्य डेढ़ लाख रुपये है का विभाग ने अधिष्ठापन के लिए 9.25 लाख रुपये में एग्रिमेंट किया। जिस कंपनी ने ज्यादा कमीशन दिया, उसे ही कार्य आवंटित किया गया। शिकायतकर्ता ने वर्ष 2008 में 123 स्थलों पर एक लाख 71 हजार रुपये की दर से नलकूप का कार्य कराया था।

एग्रीमेंट के अनुसार 125 मीटर बोरिंग करने के बाद जिस स्थल पर दस हजार लीटर पानी आएगा, उसी का भुगतान किया जाना था। लेकिन, ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया गया। वर्ष 2008 में जितने हैैंडपंप लगे, उसमें 1000 फ्लोराइड रिमूवल मशीन भी लगाई गई थी, इसकी कीमत 40 हजार रुपये प्रति मशीन थी। उसके रखरखाव के लिए दो हजार रुपये प्रति हैैंडपंप के हिसाब से भुगतान किया गया था। सभी फ्लोराइड मशीन में बालू भर गया। कहीं मशीन लगी, कहीं नहीं लगी, लेकिन पैसे की निकासी कर ली गई। शिकायत की जब जांच हुई तो पूरे प्रमंडल में फ्लोराइड मुक्त ग्रामीण जलापूर्ति में करोड़ों के घोटाले की पुष्टि हुई है।

ये हैं दोषी इंजीनियर, जिनपर होनी है कार्रवाई 

  1. - सज्जाद हसन : सेवानिवृत्त। तत्कालीन अभियंता प्रमुख।
  2. - शरदेंदु नारायण : सेवानिवृत्त। तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, अंचल मेदिनीनगर।
  3. - विजय टोप्पो : तत्कालीन अधीक्षण अभियंता, अंचल मेदिनीनगर। वर्तमान में रांची।
  4. - अरविंद कुमार जायसवाल : तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में कार्यपालक अभियंता, चक्रधरपुर।
  5. - नर्मदेश्वर द्विवेदी : तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, मेदिनीनगर। वर्तमान में हजारीबाग।
  6. - अरुण कुमार सिंह : तत्कालीन कार्यपालक अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में स्वर्णरेखा रांची।
  7. - नवीन भगत : सहायक अभियंता, अवर प्रमंडल मेदिनीनगर, वर्तमान में गढ़वा।
  8. - प्रदीप कुमार सिंह : तत्कालीन सहायक अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में गढ़वा।
  9. - रणजीत ठाकुर : तत्कालीन सहायक अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में खूंटी।
  10. - विष्णुपद सिंह : तत्कालीन सहायक अभियंता, मेदिनीनगर।
  11. - कमल किशोर : तत्कालीन कनीय अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में जपला।
  12. - नंद किशोर सिंह : तत्कालीन कनीय अभियंता मेदिनीनगर।
  13. - वीरेंद्र कुमार सिंह : तत्कालीन कनीय अभियंता मेदिनीनगर, वर्तमान में लातेहार।
  14. - आनंद कुमार सिंह : तत्कालीन कनीय अभियंता, मेदिनीनगर।
  15. - सुमेलाल उरांव : तत्कालीन कनीय अभियंता मेदिनीनगर।
  16. - शिवाधार प्रसाद सिन्हा : तत्कालीन कनीय अभियंता, मेदिनीनगर।

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