कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार को कोसा, नए मोटर वाहन एक्ट को बताया तुगलकी कानून Ranchi News
झारखंड कांग्रेस बयानों के जरिये सरकार से मोर्चा ले रही है। सोमवार को प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी टीम के साथ राज्य व केंद्र सरकार की जमकर आलोचना की।
रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जोरशोर से संपर्क अभियान का आगाज किया है। वहीं, प्रमुख विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) हर जिला मुख्यालय में रैलियां कर रही है। इधर, जमीनी तैयारियों की बजाय कांग्रेस बयानों से आगे नहीं निकल पा रही है। सोमवार को नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने अपनी टीम के साथ जी भरकर केंद्र व राज्य सरकार को कोसा।
पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कार्यकारी अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, राजेश ठाकुर, संजय लाल पासवान, प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, लाल किशोर नाथ शाहदेव, डॉ. राजेश गुप्ता मौजूद थे। प्रदेश अध्यक्ष ने दावा किया कि भाजपानीत सरकारों ने जनहित में कोई काम नहीं किया। यही कारण है कि भाजपा 'घर घर रघुवर' का नारा दे रही है। अगर सरकार ने काम किया होता तो जनता के दिलों में घर कर जाती और इस मुहिम की आवश्यकता ही नहीं होती। 100 दिन की केंद्र सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि जनविरोधी मोटर व्हीकल्स एक्ट है, जो तुगलकी कानून है।
जुर्माना बढ़ा देना किसी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। प्रचार-प्रसार एवं विदेश यात्राओं पर सरकार खजाना खाली कर चुकी है। सरकार की गलत नीतियों के कारण देश आर्थिक मंदी के खराब दौर से गुजर रहा है। लोग रोजगार विहीन हो रहे हैं। ऐसे में सिर्फ दुर्घटना रोकने एवं लोगों को जिम्मेदार नागरिक बनाने के नाम पर मोटर व्हीकल्स एक्ट में जुर्माना राशि में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि कर एवं उसकी वसूली के नाम पर भयादोहन हो रहा है। राज्य सरकार को चाहिए कि इस कानून के अनुपालन पर रोक लगाए। कांग्रेस की राज्य सरकारों ने इसपर रोक लगा दी है।
महंगी बिजली के कारण कंपनियां बंद
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि झारखंड में महंगी बिजली दरों के कारण कई स्टील कंपनियां बंद हो चुकी हैं। जमशेदपुर में सैकड़ों एनसीलियरी यूनिट बंद हो चुके हैं। हजारों परिवार सड़क पर आ चुके हैं। एक कंपनी पर औसतन 1500 परिवार का भरण-पोषण होता है, लेकिन राज्य की जुमलेबाज सरकार की संवेदनहीनता खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। गरीब जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग करने में लगी झारखंड सरकार के ऊपर लगभग हजार करोड़ रुपये का बिल पेंडिंग है। सरकार मनरेगा मजदूरों को पैसा देने में असफल साबित हो रही है। मनरेगा मजदूरों का लगभग 120 करोड़ रुपये का भुगतान सरकार पर बकाया है।