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झारखंड: कैदियों के बूढ़े मां-बाप का सहारा बनेगी सरकार, मिलेंगी आवश्यक सुविधाएं Ranchi News

एक कैदी की पत्‍नी की चिट्ठी के बाद झालसा ने कैदियों का सर्वे कराया है। विधिक पदाधिकारी कैदियों के परिजनों से मिले। चार हजार कैदियों ने मुफ्त कानूनी सहायता मांगी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 08:15 PM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 09:17 AM (IST)
झारखंड: कैदियों के बूढ़े मां-बाप का सहारा बनेगी सरकार, मिलेंगी आवश्यक सुविधाएं Ranchi News
झारखंड: कैदियों के बूढ़े मां-बाप का सहारा बनेगी सरकार, मिलेंगी आवश्यक सुविधाएं Ranchi News

रांची, मनोज कुमार सिंह। किसी के जेल जाने के बाद उसके परिवार का साथ न तो रिश्तेदार देते हैं, और न ही समाज। ऐसे में उस परिवार के बारे में सोचिए, जिसका कमाऊ पूत ही जेल चला गया हो। लेकिन, अब राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (नालसा)  भी उस परिवार को समाज में सम्मान के साथ जीने का अधिकार दे रही है, चाहे वह किसी भी अपराध में जेल में बंद हो। इसकी शुरुआत नालसा को मिली एक चिट्ठी से हुई, जो एक कैदी की पत्नी द्वारा लिखी गई थी। उसमें उसने अपने परिवार के लिए मदद की गुहार लगाई थी।

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इसके बाद नालसा ने ऐसे परिजनों की तलाश करने की मुहिम शुरू की, जिनके परिवार का सदस्य जेल में बंद है और उन्हें कानूनी, आर्थिक एवं सरकारी योजना की बेहद जरूरत है। इसी मुहिम के तहत राज्य के दस हजार से ज्यादा कैदियों के परिजनों से संपर्क स्थापित किया गया है। इसमें चार हजार कैदियों के परिजनों ने कानूनी सहायता की मांग की है। इस सर्वे के लिए झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) ने सभी जिला सेवा प्राधिकार (डालसा) को निर्देश दिया था। इसकी रिपोर्ट नालसा को भेज दी गई है।

सम्मान से जी पाएंगे परिजन

झालसा के पदाधिकारी संतोष कुमार ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि अगर किसी परिवार का एक व्यक्ति जेल चला जाता है, तो आसपास के लोगों की बात छोडि़ए, रिश्तेदार तक उन्हें नहीं पूछते हैं। उनके परिजनों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस मुहिम के पीछे नालसा का प्रमुख उद्देश्य यह है कि किसी एक व्यक्ति के अपराध की सजा उसके परिवारों को नहीं मिले और उन्हें सामाजिक प्रताडऩा से बचाया जाए। सर्वे के दौरान सजायाफ्ता व विचाराधीन सहित कुख्यात कैदियों के परिजनों से भी संपर्क किया गया।

11 हजार से ज्यादा है कैदी

राज्य की सभी जेलों में 11,756 कैदी बंद है। इनमें से 4,887 सजायाफ्ता और 6,869 विचाराधीन कैदी हैं। झालसा के निर्देश पर डालसा के पदाधिकारियों ने कैदियों के परिजनों से मुलाकात की। इनमें से चार हजार कैदियों के परिजनों ने कानूनी मदद की गुहार लगाई है और बाकी अन्य ने सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन दिया है। इसके तहत कैदियों के छोटे बच्चों को आरटीई के तहत पास के स्कूलों में नामांकन कराया जाएगा। परिजनों से मिले आवेदनों को जिला प्रशासन को भेजा जाएगा, ताकि अर्हता के अनुसार उन्हें सरकारी लाभ भी दिलाया जा सके।

जिलावार रिपोर्ट (जिनसे हुआ संपर्क)

जिला  -   कैदी

रांची -   3032

बोकारो -   113

चाईबासा-   997

चतरा -   86

देवघर-   176

धनबाद -   218

दुमका -   565

गढ़वा -   400

गिरिडीह -   210

गोड्डा-   246

गुमला -   120

हजारीबाग-  1255

जमशेदपुर -   901

जामताड़ा-   106

कोडरमा -   23

खूंटी -    213

लातेहार -  554

लोहरदगा-   85

पाकुड़-   101

पलामू -   512

रामगढ़-   45

साहिबगंज -  138

सरायकेला -  93

सिमडेगा -   89


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