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थाने में खड़ी हैं गाड़ियां, जर्मन कंपनी दे रही फिटनेस प्रमाण पत्र; जानें पूरा मामला Ranchi News

नए ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करने के बीच राजधानी में जर्मन कंपनी जर्जर गाड़ियों को भी फिटनेस प्रमाण पत्र दे रही है।

By Edited By: Published: Mon, 09 Sep 2019 01:59 AM (IST)Updated: Mon, 09 Sep 2019 07:24 AM (IST)
थाने में खड़ी हैं गाड़ियां, जर्मन कंपनी दे रही फिटनेस प्रमाण पत्र; जानें पूरा मामला Ranchi News
थाने में खड़ी हैं गाड़ियां, जर्मन कंपनी दे रही फिटनेस प्रमाण पत्र; जानें पूरा मामला Ranchi News

रांची, [शक्ति सिंह]। नए ट्रैफिक नियमों को सख्ती से लागू करने के बीच राजधानी में जर्मन कंपनी टीयूवी-एसयूडी ऑथोराइज्ड टेस्टिंग स्टेशन व्यावसायिक वाहनों का फिटनेस प्रमाण पत्र देने में फर्जीवाड़ा कर रही है। जो गाड़ियां थाने में जब्त हैं, उन गाड़ियों के भी फिट होने का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है। इसका खुलासा तब हुआ जब परिवहन विभाग ने लोगों से मिली शिकायत के आधार पर जांच करवाई।

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जांच टीम ने निरीक्षण में पाया कि जर्जर वाहनों को भी दुरुस्त बताकर सड़कों पर दौड़ने के लिए कंपनी सर्टिफिकेट जारी कर दे रही है। टीम ने अपनी रिपोर्ट परिवहन विभाग को सौंप दी है। विभाग कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है। राज्य सरकार ने जर्मन कंपनी को गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण पत्र देने का जिम्मा सौंपा है। गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर संयुक्त परिवहन आयुक्त रविशंकर विद्यार्थी के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी। टीम में जिला परिवहन पदाधिकारी संजीव कुमार, वरिष्ठ मोटरयान निरीक्षक अवधेश कुमार, मोटरयान निरीक्षक अजय कुमार और पुनीत कुमार शामिल थे।

टीम ने पाया कि सदर मेसरा ओपी में खड़ी ऑटो रिक्शा जेएच-01-सीसी 6713, बस जेएच01वी 4807 और जेएच 01सीसी 0277 का भी फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया है। नौ अनफिट वाहनों को बताया गया फिट सेंटर में जिन वाहनों को अनफिट करार देना था उन्हें भी फिट बता दिया गया। इन वाहनों के सस्पेंशन, स्पीडोमीटर, हेड लाइट, ब्रेक, बॉडी और इंजन में खराबी होने के बाद भी प्रमाण पत्र दे दिया गया। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट ऐसे वाहनों के नंबर का भी जिक्र किया है।

वाहन मालिकों से की जा रही है नाजायज वसूली
समादेष्टा सशस्त्र-1(जैप-वन) के कार्यालय ने जांच टीम को बताया कि उससे कैटेगोराइजेशन ऑफ बसेस के नाम पर 250 रुपये प्रति बस लिए गए, जो विभाग द्वारा प्रदत्त प्राधिकार पत्र के शर्तो का उल्लंघन है। यही नहीं, वाहनों में रेडियम लगाने के लिए सर्टिफिकेट भी मांगा जाता है, जो अनुचित है। इसके लिए भी वाहन मालिकों को 250 रुपये लिए जा रहे हैं।

जांच टीम का मंतव्य
1. पुलिस कस्टडी में गाड़ी के रहने के बावजूद फिटनेस प्रमाण पत्र जारी कर दिया जा रहा है, यह गलत है और पूरी तरह आपराधिक मामला बनता है।
2. कुछ मामलों में नाजायज वसूली को टीम ने सही पाया। इसे अपराध की श्रेणी में रखा है और कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की है।
3. जांच एजेंसी एक निजी संस्था है और निरीक्षण मद का शुल्क वाहनों के बिना जांच किए संस्थान के निजी खाता में रख लिया जा रहा है। इससे सरकारी राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है।
4. अनफिट वाहनों को सड़क पर दौड़ाने से सड़क दुर्घटना की संभावना बढ़ सकती है।
5. जांच केंद्रों लगे कैमरों का ऑनलाइन डिसप्ले परिवहन विभाग के पदाधिकारियों के मोबाइल पर हो।
6. फिटनेस निर्गमन पर अविलंब रोक लगाई जाए।

'टीम ने सेंटर की जांच की है। कई मामलों में त्रुटियां पाई गई है, जिसकी रिपोर्ट टीम ने परिवहन विभाग को सौंप दी है। ' रविशंकर विद्यार्थी संयुक्त परिवहन आयुक्त, सड़क सुरक्षा 'रेडियम के लिए किसी भी तरह का सर्टिफिकेट देने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस तरह का कोई भी सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है, तो वह गलत है। क्योंकि इसका वेरीफिकेशन भौतिक रूप से करना है। ' एम शहनवाज एमवीआइ, रांची

'फिटनेस सेंटर पर हुई जांच की रिपोर्ट मिली है। इस मामले में कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।' फैज अक अहमद मुमताज परिवहन आयुक्त


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