Jharkhand Assembly Election 2019: विपक्षी महागठबंधन में अब दावेदारी का दौर, झगड़ा-रगड़ा अभी बाकी
Jharkhand. विपक्षी महागठबंधन भले ही फिर से एकजुट होने का दावा करे अंदर स्थिति सामान्य नहीं है। सीटों के लिए उम्मीदवारों ने सेटिंग-गेटिंग शुरू कर दी है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 10:07 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jul 2019 10:55 AM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। विपक्षी महागठबंधन भले ही फिर से एकजुट होने का दावा करे, अंदर ही अंदर स्थिति सामान्य नहीं है। अब सभी पार्टियों ने मिलकर यह तय कर लिया है कि जहां से जो विधायक है, वह सीट उसी पार्टी के कब्जे में रहेगी। सिटिंग विधायकों के लिए भी यह राहत की बात है। अभी से माना जा रहा है कि सिटिंग विधायकों के टिकट नहीं कटेंगे। ऐसे में पहली लड़ाई कहीं न कहीं खत्म हो गई है, लेकिन दूसरी लड़ाई अब बाकी बचे सीटों को लेकर है। इसके लिए उम्मीदवारों ने सेटिंग-गेटिंग शुरू कर दी है। अभी से पार्टी प्रमुखों से लेकर दिल्ली तक की दौड़ शुरू हो गई है।
बड़ी लड़ाई की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस जिन सीटों पर पहले या दूसरे नंबर पर रही, वही सीटें मिलने की स्थिति में पार्टी 19 सीटों पर ही सिमट जाएगी। लेकिन, कांग्रेस बड़ी लड़ाई की तैयारी में जुट गई है। विश्रामपुर से कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर भी नहीं रहे थे, लेकिन यहां से कई बार विधायक रहे ददई दुबे अपने पुत्र के लिए दावेदारी कर रहे हैं और कांग्रेस यह सीट छोडऩे नहीं जा रही है। इसी प्रकार घाटशिला, हटिया जैसी सीटों पर कांग्रेस का दावा है। इन सीटों पर भी कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर पहुंच नहीं सके थे, लेकिन इतिहास कांग्रेस के पक्ष में जा रहा है। कांग्रेसी अभी से कोलेबिरा का उदाहरण दे रहे हैं, जहां दूसर नंबर पर भी नहीं रहने के बावजूद उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली।
2009, 2014 और 2019 के आंकड़े तय करेंगे उम्मीदवार
कांग्रेस नेताओं के अनुसार महज पिछला चुनाव नहीं, बल्कि पिछले दो चुनावों के आधार पर उम्मीदवार तय होने चाहिए। इतना ही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में विधानसभा वार प्रदर्शन को भी आधार माना जाए। कांग्रेस 19 से अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है।
कांग्रेस में निर्णय लेने वाला ही नहीं
महागठबंधन के नेताओं की बैठक में भले ही कांग्रेस विधायक दल के नेता पहुंचे हों, लेकिन अभी निर्णय लेने वाला कोई है ही नहीं। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व ऐसे मामलों में निर्णय लेता है और अभी तक कोई अध्यक्ष नहीं बना है। इसके बाद प्रदेश प्रभारी भी इस मामले में सक्रिय नहीं हैं। ऐसे में इस महीने के अंत तक कोई निर्णय हो जाए, यह कहना मुश्किल ही है।
बड़ी लड़ाई की तैयारी में कांग्रेस
कांग्रेस जिन सीटों पर पहले या दूसरे नंबर पर रही, वही सीटें मिलने की स्थिति में पार्टी 19 सीटों पर ही सिमट जाएगी। लेकिन, कांग्रेस बड़ी लड़ाई की तैयारी में जुट गई है। विश्रामपुर से कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर भी नहीं रहे थे, लेकिन यहां से कई बार विधायक रहे ददई दुबे अपने पुत्र के लिए दावेदारी कर रहे हैं और कांग्रेस यह सीट छोडऩे नहीं जा रही है। इसी प्रकार घाटशिला, हटिया जैसी सीटों पर कांग्रेस का दावा है। इन सीटों पर भी कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे नंबर पर पहुंच नहीं सके थे, लेकिन इतिहास कांग्रेस के पक्ष में जा रहा है। कांग्रेसी अभी से कोलेबिरा का उदाहरण दे रहे हैं, जहां दूसर नंबर पर भी नहीं रहने के बावजूद उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर ली।
2009, 2014 और 2019 के आंकड़े तय करेंगे उम्मीदवार
कांग्रेस नेताओं के अनुसार महज पिछला चुनाव नहीं, बल्कि पिछले दो चुनावों के आधार पर उम्मीदवार तय होने चाहिए। इतना ही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में विधानसभा वार प्रदर्शन को भी आधार माना जाए। कांग्रेस 19 से अधिक सीटों पर दावेदारी कर रही है।
कांग्रेस में निर्णय लेने वाला ही नहीं
महागठबंधन के नेताओं की बैठक में भले ही कांग्रेस विधायक दल के नेता पहुंचे हों, लेकिन अभी निर्णय लेने वाला कोई है ही नहीं। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व ऐसे मामलों में निर्णय लेता है और अभी तक कोई अध्यक्ष नहीं बना है। इसके बाद प्रदेश प्रभारी भी इस मामले में सक्रिय नहीं हैं। ऐसे में इस महीने के अंत तक कोई निर्णय हो जाए, यह कहना मुश्किल ही है।
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