Move to Jagran APP

Exclusive: उपद्रवियों की कुंडली बांच रही पुलिस, राज्यभर में खुलने लगीं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों की फाइलें

उपद्रवी व असामाजिक तत्व को सलाखों तक पहुंचाने के लिए सरकार के आदेश पर जिले रेस हो गए हैं। अभियोजन स्वीकृति के लिए गृह विभाग को आधा दर्जन उपायुक्तों के पत्र मिले हैं।

By Alok ShahiEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 08:20 AM (IST)Updated: Wed, 10 Jul 2019 08:20 AM (IST)
Exclusive: उपद्रवियों की कुंडली बांच रही पुलिस, राज्यभर में खुलने लगीं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों की फाइलें
Exclusive: उपद्रवियों की कुंडली बांच रही पुलिस, राज्यभर में खुलने लगीं धार्मिक उन्माद फैलाने वालों की फाइलें

रांची, [दिलीप कुमार]। मॉब लिंचिंग के मामलों को लेकर आए दिन हो रहे तनाव को देखते हुए झारखंड पुलिस रेस है। हाई कोर्ट की फटकार के बाद अब जिलों में दर्ज धार्मिक उन्माद फैलाने व सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे के मामलों की फाइलें खुलने लगी है। सांप्रदायिक सौहार्द भड़काने से संबंधित धाराओं में दर्ज प्राथमिकियों के अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने की तैयारी है और इसके लिए सरकार के पास पत्र भी पहुंचने लगे हैं ताकि मुकदमा चलाने की अनुमति मिल सके।

loksabha election banner

सरकार के आदेश पर सभी जिलों के एसपी-डीसी ने ऐसे उपद्रवी व असामाजिक तत्वों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगी है। ऐसे आधा दर्जन पत्र गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग में पहुंचे हैं, जिसमें कुछ कमियां होने के चलते संबंधित जिलों के डीसी से मुकम्मल जानकारी मांगी गई है। इन मामलों में गोवंश हत्या, धार्मिक स्थलों से छेड़छाड़, धर्म विशेष की नारेबाजी, भड़काऊ वीडियो व पोस्ट वायरल करना आदि शामिल हैं।

गृह विभाग ने इन मामलों में उपायुक्तों से मांगी है पूर्ण केस डायरी

  • लातेहार जिले के बालूमाथ थाने में 03 सितंबर 2017 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी। इस मामले में अभियुक्तों के विरुद्ध धारा 295 (ए) भादवि व धारा 12 (1) गोवंशी पशु हत्या प्रतिषेध अधिनियम लगाया गया था। इसमें डायरी अपूर्ण रहने के कारण अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी गई है। उपायुक्त से पूर्ण केस डायरी की मांग की गई है।
  • सरायकेला-खरसांवा के खरसांवा थाने में 24 जून 2017 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें नामजद आरोपितों के विरुद्ध धारा 295/153 (ए) भादवि में वहां के उपायुक्त ने अभियोजन के लिए स्वीकृति मांगी थी। इस आवेदन पर गृह विभाग ने औपचारिक प्राथमिकी की कॉपी मांगी है ताकि अभियोजन के लिए स्वीकृति दी जा सके।
  • हजारीबाग के बरका थाने में 23 जून 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसमें नामजद आरोपितों के विरुद्ध धारा 153 (ए) व 295 (ए) भादवि में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यहां सांप्रदायिक तनाव भड़काने के लिए वाट्सएप पर भड़काऊ मैसेज वायरल किया गया था। गृह विभाग ने हजारीबाग के डीसी से अभियुक्तों के वायरल किए गए कंटेंट की प्रति उपलब्ध कराने को कहा है ताकि अभियोजन स्वीकृति के संबंध में निर्णय लिया जा सके।

क्या है 295 (ए) व 153 (ए)

  • धारा 153 (ए) भादवि : लोक शांति को भंग करने के उद्देश्य से विभिन्न जातियों व समुदायों के बीच सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩा। धार्मिक स्थल से छेड़छाड़ करना। ऐसा करने वालों के विरुद्ध दोष साबित होने पर तीन से पांच वर्ष तक की सजा का प्रावधान है और आर्थिक दंड भी देना पड़ता है।
  • धारा 295 (ए) भादवि : जो अपराध किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से किया गया हो। ऐसा करने वालों पर दोष साबित हुआ तो तीन साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों लगता है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.