कैसे सेहतमंद रहेंगे नौनिहाल, झारखंड के 35% बच्चों को ही मिलती है आयरन की दवा Ranchi News
Jharkhand. झारखंड में आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। सरकारी स्कूलों में बच्चों को आयरन की दवा देने तथा हेल्थ चेकअप की स्थिति ठीक नहीं है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 10:46 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 02:10 PM (IST)
रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। झारखंड में आधे से अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। दूसरी तरफ, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों में बच्चों को आयरन की दवा देने तथा हेल्थ चेकअप की स्थिति ठीक नहीं है। राज्य के सरकारी स्कूलों में ये दवा मुफ्त वितरित किए जाने हैं, लेकिन स्कूलों में 65 फीसद बच्चों को आयरन की दवा नहीं मिल पाती है। वहीं, 44 फीसद बच्चों का ही हेल्थ चेकअप होता है।
केंद्र सरकार द्वारा नई दिल्ली में मध्याह्न भोजन योजना के बजट की स्वीकृति को लेकर हुई प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की बैठक में यह बात सामने आई है। राज्य सरकार द्वारा बोर्ड की बैठक में जो आंकड़े रखे गए उनके अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष सरकारी स्कूलों में नामांकित 44,02,797 बच्चों में से महज 15,21,657 बच्चों अर्थात 35 फीसद बच्चों को ही आयरन एंड फोलिक एसिड के टैबलेट दिए गए।
वहीं, 19,22,759 अर्थात 44 फीसद बच्चों का हेल्थ चेकअप हुआ। बच्चों को कृमि से बचाने के लिए डी वार्मिंग टैबलेट देने की स्थिति थोड़ी ठीक है। लगभग 60 फीसद बच्चों को कृमि नाशक दवा अल्बेंडाजोल दी गई। फिर भी 40 फीसद बच्चे इससे वंचित रहे। बता दें कि तीनों योजनाएं सीधे बच्चों के पोषण से जुड़ी हैं।
मॉनिटरिंग मैकेनिज्म विकसित करने के निर्देश
केंद्र ने सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की इस स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए 100 फीसद कवरेज सुनिश्चित करने तथा इसके लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म विकसित करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग व स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बीच समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया है।
यह है झारखंड में कुपोषण की स्थिति
केंद्र सरकार द्वारा नई दिल्ली में मध्याह्न भोजन योजना के बजट की स्वीकृति को लेकर हुई प्रोग्राम एप्रूवल बोर्ड की बैठक में यह बात सामने आई है। राज्य सरकार द्वारा बोर्ड की बैठक में जो आंकड़े रखे गए उनके अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष सरकारी स्कूलों में नामांकित 44,02,797 बच्चों में से महज 15,21,657 बच्चों अर्थात 35 फीसद बच्चों को ही आयरन एंड फोलिक एसिड के टैबलेट दिए गए।
वहीं, 19,22,759 अर्थात 44 फीसद बच्चों का हेल्थ चेकअप हुआ। बच्चों को कृमि से बचाने के लिए डी वार्मिंग टैबलेट देने की स्थिति थोड़ी ठीक है। लगभग 60 फीसद बच्चों को कृमि नाशक दवा अल्बेंडाजोल दी गई। फिर भी 40 फीसद बच्चे इससे वंचित रहे। बता दें कि तीनों योजनाएं सीधे बच्चों के पोषण से जुड़ी हैं।
मॉनिटरिंग मैकेनिज्म विकसित करने के निर्देश
केंद्र ने सरकारी स्कूलों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की इस स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए 100 फीसद कवरेज सुनिश्चित करने तथा इसके लिए मॉनिटरिंग मैकेनिज्म विकसित करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग व स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के बीच समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया है।
यह है झारखंड में कुपोषण की स्थिति
- झारखंड में 06 से 59 माह की 70 फीसद बच्चियों में एनीमिया की समस्या है।
- झारखंड के 47.8 फीसद बच्चे अंडरवेट अर्थात कुपोषण के शिकार हैं।
- झारखंड में 11.4 फीसद बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। इनमें मौत का खतरा नौ से बीस गुना अधिक रहता है। ऐसे बच्चों की संख्या 5.8 लाख है।
- दस में से तीन बच्चे अपनी लंबाई की तुलना में दुबले-पतले हैं।
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