पुलिस की मिलीभगत से पीडि़त परिवार को 23 साल बाद भी नहीं मिला मुआवजा Ranchi News
Jharkhand Police कोर्ट के आदेश के बाद भी आरोपित की मदद करती रही। जबकि उसका घर थाने के सामने है। अब एसपी को एक माह में रिपोर्ट देनी है।
रांची, राज्य ब्यूरो। रामगढ़ के एक ट्रक चालक सत्यारायण राम की विधवा सरस्वती देवी 23 साल से मुआवजा की लड़ाई लड़ रही हैं। नीलाम पत्र वाद में सुनवाई के बाद दिए गए आदेश के बावजूद रामगढ़ पुलिस आरोपित ट्रक मालिक महेंद्र प्रताप सिंह को खोज नहीं सकी। जबकि, ट्रक मालिक महेंद्र प्रताप सिंह का मकान रामगढ़ थाने के ठीक सामने है। पुलिस महेंद्र के भाई सत्येंद्र सिंह के साथ मिलीभगत कर यह रिपोर्ट देती रही है कि महेंद्र प्रताप सिंह का कोई अता-पता ही है और न ही उसका घर है।
अब लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने रामगढ़ के एसपी को निर्देश दिया है कि एक महीने के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई से संबंधित पूरी रिपोर्ट दें। सरस्वती देवी के पति सत्यनारायण राम महेंद्र प्रताप सिंह का ट्रक चलाते थे। 1996 में ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें महेंद्र प्रताप सिंह की मौत हो गई थी। इस मामले में मुआवजा तय हुआ था और ट्रक मालिक को दो लाख सात हजार 980 रुपये (207980 रुपये) मुआवजे के रूप में देने का आदेश हुआ था।
अब मुआवजे की राशि ब्याज के साथ 557408 रुपये (पांच लाख 57 हजार 408 रुपये) हो गई है। ट्रक के मालिक सत्येंद्र सिंह हैं, लेकिन उन्होंने अपने भाई महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर उक्त ट्रक का निबंधन करवाया था। कोर्ट के आदेश के बावजूद महेंद्र प्रताप सिंह को पुलिस नहीं खोज सकी। लोकायुक्त ने एसपी को यह भी आदेश दिया है कि नीलाम पत्र वाद में अगर संपत्ति जब्ती का आदेश है, तो उसकी भी कार्रवाई करें और आरोपितों पर विधि सम्मत कार्रवाई करें।