पुलिस मुठभेड़ का नाट्य रूपांतरण देखेगी सीबीआइ, जानिए क्यों Ranchi News
Jharkhand. पलामू के बकोरिया में कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 12 लोगों के मामले की जांच के लिए सीबीआइ के बड़े अधिकारी पलामू पहुंच गए हैं।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 10:23 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 10:59 AM (IST)
रांची, राज्य ब्यूरो। पलामू के सतबरवा स्थित बकोरिया में 9 जून 2015 को कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 12 लोगों के मामले की जांच को सीबीआइ के बड़े अधिकारी पलामू पहुंच गए हैं। दिल्ली से पहुंचे जांच अधिकारियों के साथ केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी के विशेषज्ञ भी है। अब प्लान बना है कि बकोरिया मुठभेड़ का नाट्य रूपांतरण होगा। इस चर्चित कथित मुठभेड़ पर दी गई झारखंड पुलिस की थ्योरी का जीवंत दृश्य प्रस्तुत कर पूरी घटना को समझने की कोशिश की जाएगी, ताकि यह पता चल सके कि बकोरिया का मुठभेड़ असली था या पुलिस की गढ़ी हुई फर्जी कहानी थी।
बकोरिया कांड के समय पलामू के एसपी रहे हजारीबाग के एसपी कन्हैयालाल मयूर पटेल को भी टीम ने मौके पर बुलाया है। वह बुधवार को पलामू पहुंचेंगे। सीबीआइ की टीम घटना से संबद्ध एक-एक व्यक्ति का बयान ले रही है। बुधवार को सतबरवा के तत्कालीन थानेदार मोहम्मद रुस्तम से भी लंबी पूछताछ हो चुकी है। घटनास्थल से जब्त हथियार व गाड़ी से केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है। पलामू पहुंचे केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के विशेषज्ञों में वहां के निदेशक एनबी वद्र्धन भी शामिल हैं।
नौ जून 2015 की इस घटना में 12 लोग मारे गए थे। मृतकों में एक की पहचान अनुराग उर्फ डॉक्टर उर्फ आरके के रूप में हुई थी। अन्य मृतकों में चार नाबालिग, एक चालक, एक पारा शिक्षक आदि थे। पुलिस ने दावा किया था कि सभी नक्सली थे और स्कार्पियो से कहीं जा रहे थे। गुप्त सूचना पर जाल बिछा पुलिस ने कथित नक्सलियों की गाड़ी को रोकने की कोशिश की। उधर पुलिस को देखकर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
जवाबी कार्रवाई में 12 नक्सली मारे गए थे। इस कथित मुठभेड़ में मारे गए शिक्षक उदय यादव के परिजनों हाई कोर्ट में पुलिस के खिलाफ शिकायत की थी। मृतक के परिजन ने ही हाई कोर्ट से बकोरिया के मुठभेड़ को फर्जी मुठभेड़ बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआइ इस मुठभेड़ की जांच कर रही है। सीबीआइ की टीम अब तक पलामू के तत्कालीन डीआइजी हेमंत टोप्पो, तत्कालीन एडीजी सीआइडी रेजी डुंगडुंग, तत्कालीन पलामू के सदर थानेदार हरीश पाठक का बयान ले चुकी है।
बयान से मुकरे सूचक
बकोरिया पुलिस मुठभेड़ के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा थाना प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं। उनके बयान पर ही पुलिस मुठभेड़ के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पूरे मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने मोहम्मद रुस्तम से घंटों पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो मोहम्मद रुस्तम पूर्व में दिए अपने बयान से पूरी तरह मुकर गए है। उन्होंने सीबीआइ को बताया है कि वरीय अधिकारियों के दबाव के चलते वे शिकायतकर्ता बने थे। ना तो वे घटनास्थल पर थे और ना ही उन्हें घटना के बारे में पूरी जानकारी थी। हालांकि पूछताछ में शामिल सीबीआई के अधिकारियों ने इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
गवाह भी बयान से मुकरे
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीआईडी ने बकोरिया मुठभेड़ मे जितने ग्रामीणों को गवाह बनाया था, सभी सीबीआइ के सामने अपने बयान से मुकर गए हैं।
मनिका के तत्कालीन थानेदार गुलाम मुस्तफा से भी पूछताछ
सीबीआई की टीम लातेहार के मनिका थानेदार गुलाम मुस्तफा से भी लंबी पूछताछ की है। पूछताछ में घटना के बारे में गुलाम ने क्या बताया यह स्पष्ट नहीं है।
बकोरिया कांड के समय पलामू के एसपी रहे हजारीबाग के एसपी कन्हैयालाल मयूर पटेल को भी टीम ने मौके पर बुलाया है। वह बुधवार को पलामू पहुंचेंगे। सीबीआइ की टीम घटना से संबद्ध एक-एक व्यक्ति का बयान ले रही है। बुधवार को सतबरवा के तत्कालीन थानेदार मोहम्मद रुस्तम से भी लंबी पूछताछ हो चुकी है। घटनास्थल से जब्त हथियार व गाड़ी से केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम साक्ष्य जुटाने में लगी हुई है। पलामू पहुंचे केंद्रीय फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के विशेषज्ञों में वहां के निदेशक एनबी वद्र्धन भी शामिल हैं।
नौ जून 2015 की इस घटना में 12 लोग मारे गए थे। मृतकों में एक की पहचान अनुराग उर्फ डॉक्टर उर्फ आरके के रूप में हुई थी। अन्य मृतकों में चार नाबालिग, एक चालक, एक पारा शिक्षक आदि थे। पुलिस ने दावा किया था कि सभी नक्सली थे और स्कार्पियो से कहीं जा रहे थे। गुप्त सूचना पर जाल बिछा पुलिस ने कथित नक्सलियों की गाड़ी को रोकने की कोशिश की। उधर पुलिस को देखकर नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
जवाबी कार्रवाई में 12 नक्सली मारे गए थे। इस कथित मुठभेड़ में मारे गए शिक्षक उदय यादव के परिजनों हाई कोर्ट में पुलिस के खिलाफ शिकायत की थी। मृतक के परिजन ने ही हाई कोर्ट से बकोरिया के मुठभेड़ को फर्जी मुठभेड़ बताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। हाई कोर्ट के आदेश पर ही सीबीआइ इस मुठभेड़ की जांच कर रही है। सीबीआइ की टीम अब तक पलामू के तत्कालीन डीआइजी हेमंत टोप्पो, तत्कालीन एडीजी सीआइडी रेजी डुंगडुंग, तत्कालीन पलामू के सदर थानेदार हरीश पाठक का बयान ले चुकी है।
बयान से मुकरे सूचक
बकोरिया पुलिस मुठभेड़ के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा थाना प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं। उनके बयान पर ही पुलिस मुठभेड़ के इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पूरे मामले की जांच कर रही सीबीआइ ने मोहम्मद रुस्तम से घंटों पूछताछ की। सूत्रों की मानें तो मोहम्मद रुस्तम पूर्व में दिए अपने बयान से पूरी तरह मुकर गए है। उन्होंने सीबीआइ को बताया है कि वरीय अधिकारियों के दबाव के चलते वे शिकायतकर्ता बने थे। ना तो वे घटनास्थल पर थे और ना ही उन्हें घटना के बारे में पूरी जानकारी थी। हालांकि पूछताछ में शामिल सीबीआई के अधिकारियों ने इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
गवाह भी बयान से मुकरे
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीआईडी ने बकोरिया मुठभेड़ मे जितने ग्रामीणों को गवाह बनाया था, सभी सीबीआइ के सामने अपने बयान से मुकर गए हैं।
मनिका के तत्कालीन थानेदार गुलाम मुस्तफा से भी पूछताछ
सीबीआई की टीम लातेहार के मनिका थानेदार गुलाम मुस्तफा से भी लंबी पूछताछ की है। पूछताछ में घटना के बारे में गुलाम ने क्या बताया यह स्पष्ट नहीं है।
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