पेंशन नहीं मिलने पर हाई कोर्ट सख्त, कहा अधिकार है, दान नहीं
Jharkhand High Court. 2007 में सेवानिवृत्त हुए जेई के मामले में उच्च अदालत में हाजिर ग्रामीण विभाग के सचिव अविनाश कुमार को हाई कोर्ट ने कहा कि जिला स्तर पर पेंशन सेल बनाएं।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट ने दस साल से पेंशन का लाभ नहीं मिलने पर कड़ी नाराजगी जताई है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि पेंशन सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अधिकार है, न कि कोई दान है। अदालत ने इस मामले में मुख्य सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने सरकार से कहा कि ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे कर्मचारियों के सेवानिवृत्त होते ही सभी तरह से लाभ और पेंशन मिल जाएं।
सोमवार को अदालत में ब्रजकिशोर तिवारी की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार अदालत में उपस्थित थे। सुनवाई के दौरान अदालत ने सचिव से पूछा कि सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन देने में इतनी देर क्यों होती है। क्या इसके लिए जिलास्तर पर पेंशन सेल बनाया गया है। जिस पर सचिव ने कहा कि अभी तक जिलास्तर पर पेंशन सेल नहीं बना है। इसके लिए कोशिश की जाएगी। जिसके बाद अदालत ने इस संबंध में पूरी जानकारी अदालत में शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस दौरान महाधिवक्ता अजीत कुमार ने अदालत को बताया कि इस मामले में कुछ त्रुटियां है। वादी के सेवाकाल का विवरण अप्राप्त है, जिसकी वजह से सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान संभव नहीं हो पा रहा है। यह है मामला पश्चिमी सिंहभूम के बंदगाव बीडीओ कार्यालय से ब्रज किशोर तिवारी जेई के पद से 31 मार्च 2007 को सेवानिवृत्त हुए। दस साल तक किसी भी लाभ नहीं मिलने पर इनकी ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। जिसपर सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में ग्रामीण विकास विभाग के सचिव को तलब किया था।