झारखंड विस में पहली बार बहस का स्तर दिखा, सवाल भी खूब हुए और जवाब भी शानदार
चार वर्षो से अधिक समय से गतिरोध के बीच चले विधानसभा में सोमवार को बेहतर बहस देखने को मिला।
रांची, राज्य ब्यूरो। चार वर्षो से अधिक समय से गतिरोध के बीच चले विधानसभा में सोमवार की दूसरी पाली का दृश्य मंगलमय रहा। सत्ता और विपक्ष की बागडोर युवा विधायकों ने थामी और एक-दूसरे को कठघरे में खड़ा किया तो सवालों के जवाब भी खूब मिले। वरीय नेताओं ने भी दोनों युवाओं के बीच की तार्किक बहस का आनंद उठाया और मेजें भी थपथपाई। शोर-शराबे और हंगामे के बीच चलने वाले सदन में ऐसे दृश्य दिखे ही नहीं और बहस का स्तर भी दिखा। सत्ता पक्ष से अमित कुमार मंडल और विपक्ष से कुणाल षाड़ंगी ने जब तथ्यों के साथ अपनी बात रखी तो पूरा सदन चुप होकर सुनता रहा। सीएम भी कुछ देर के लिए मौजूद रहे और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन भी।
- इंटैंजबल विकास दिखता नहीं लेकिन लोगों के जीवन का स्तर बढ़ा रहा सरकार का काम : अमित मंडल
राज्य ब्यूरो, रांची : अमित कुमार मंडल ने इंटैंजबल (अप्रत्यक्ष, अदृश्य) विकास की बात की। कहा कि सड़क, बिजली, पुल-पुलिया के लिए किया काम दिखता है लेकिन सरकार इस बार जिस ईमानदारी और गति से काम कर रही है वह बेहतरीन परिणाम दे रहा है। अप्रत्यक्ष विकास दिखता नहीं लेकिन लोगों के जीवन स्तर को बढ़ा रहा है। उन्होंने पिछड़े जिलों के स्तर में विकास की बात की। कहा सैनिटेशन, माल न्यूट्रीशन आदि तथ्यों की जब बात होती है तो हमारी स्थिति देश के किसी हिस्से से तुलना के लायक नहीं है बल्कि बांग्लादेश जैसी है। मुझे गर्व होता है कि इम्युनाइजेशन, डायरिया, डिहाड्रेशन, बाल मृत्यु दर आदि कई विषयों में बेहतर परिणाम प्राप्त किए हैं।
इसी को आगे बढ़ाते हुए स्वास्थ्य विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के लिए अलग से राशि का प्रावधान किया गया है। निश्शुल्क जांच, कैंसर के इलाज, आयुष्मान भारत योजनाओं के लिए राशि की मांग की गई है। सरकार सबको स्वास्थ्य तक ही नहीं रूकी है बल्कि स्वस्थ होने के बाद रोजगार का प्रबंध भी हमारा लक्ष्य है। इसके तहत स्किल डेवलपमेंट की योजनाएं चलाई जा रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष सकारात्मक भूमिका निभाने के बदले आलोचना में जुटा हुआ है। मोमेंटम झारखंड के लोगो उड़ते हाथी का कई बार विपक्ष ने मजाक उड़ाया, कहा गया कि हाथी उड़ा बकरी क्यों नहीं, अजीब बातें की गई लेकिन यह भी देखिए कि हमारी सोच कितनी दमदार है। दावा किया कि राज्य में एवरेज ग्रोथ दर 8.7 फीसद है। फसल उत्पादन में 16 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
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- तकनीकी शब्दों से आम लोगों को लेनादेना नहीं, जो दिखता है सरकार उसकी भी बात करे : कुणाल षाड़ंगी
राज्य ब्यूरो, रांची : अमित मंडल की तर्को का जवाब देने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने कुणाल षाड़ंगी को मौका दिया तो उन्होंने भी इंटैंजबल विकास से ही शुरुआत की। कहा, हम शिक्षित हो रहे हैं तो कोई नहीं जान रहा कि कितने शिक्षित हुए, शिक्षा दर की स्थिति तो पूरे देश में दिखती है। राष्ट्रीय औसत 76 फीसद से हम कहीं पीछे 66 फीसद पर अटके हैं। स्कूल बंद कर कैसे शिक्षा के विकास की कल्पना की जा सकती है।
भाजपा के सांसद विधायकों ने भी इसका विरोध किया है लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। यह प्रक्रिया तत्काल बंद होनी चाहिए। कभी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, कभी एवरेज ग्रोथ जैसे तकनीकी शब्दों से आम लोगों का कोई लेनादेना नहीं है। तमाम रैंकिंग के समावेश करते हुए ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स बनता है। देश में केंद्रशासित प्रदेशों को जोड़कर देखें तो 36 प्रदेशों में से झारखंड का 34वां स्थान है। शिक्षा के बाद उन्होंने रोजगार की बात की।
मोमेंटम झारखंड की चर्चा करते हुए कहा कि हाथी के उड़ने की कल्पना ही दुखद है। कैसे कोई इस प्रकार की कल्पना कर सकता है। दुनिया का कोई इंसान नहीं मानेगा लेकिन पूरी सरकार ऐसी ही कल्पनाओं से चल रही है। तंज कसते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि मैं उस जिले से आता हूं कि जहां से मुख्यमंत्री आते हैं। सीएम ने पिछले दिनों सदन में एक लाख लोगों को रोजगार देने की बात सीएम ने की और कहा कि मेरे विधानसभा क्षेत्र के एक लड़के को 11 लाख का पैकेज दिया गया। उस लड़के का प्लेसमेंट बीआइटी के माध्यम से हुआ था, स्किल इंडिया के माध्यम से नहीं। अधिकारियों ने सीएम को भी दिग्भ्रमित कर दिया है। खुद सरकार की शिक्षा मंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि 140 करोड़ रुपये का बंदरबांट किया गया है। स्किल इंडिया के नाम पर यही सब चल रहा है। किसानों को इजरायल भेजने की पहल बहुत अच्छी है लेकिन यहां के किसानों की भी सुध लेनी चाहिए। आज पूरे राज्य में मुख्यमंत्री आशीर्वाद योजना के लिए ग्राम सभा का आयोजन हो रहा है लेकिन सोशल मीडिया में भाजपा जिलाध्यक्षों के पत्र वायरल हो रहे हैं कि उन्होंने पहले ही नाम तय कर लिए हैं। योजनाओं का राजनीतिकरण गलत है।
इंटैंजबल विकास पर ही बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रचार पर 323 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इस राशि से बहुत काम हो सकता था। रोजगार मिल सकते थे। कहा, जेपीएससी तो झारखंड पैरवी सर्विस कमीशन बन गया है। इनके सचिव का पुत्र परीक्षा में सफल हुआ है। सचिव ने खुद लिखा है कि उन्हें इस पद से मुक्त कर दिया जाए लेकिन न जाने सरकार किस मजबूरी में उनकी सेवा को जारी रखे हुए है। सीएम प्रधानमंत्री के पद चिह्नों पर चलने की बात करते हैं लेकिन गुजरात की तरह शराबबंदी नहीं कर रहे। कैबिनेट इस बात पर चर्चा करती है कि शराब की बिक्री कैसे बढ़े। एसीबी बड़ी मछलियों पर कार्रवाई नहीं कर रही। कंबल घोटाले में कुछ नहीं हुआ। विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री के माध्यम से हर वर्ष दिसंबर में घोषणा कराते रहे कि अगले वर्ष दिसंबर में 24 घंटे बिजली मिलने लगेगी लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका। प्रदेश की जनता तारीख पर तारीख की घोषणाओं से तंग आ गई है। उन्होंने अंत में सर्वदलीय बैठकों से निर्णय लेने की बात भी कही। अंत में उन्होंने एक शायरी कही कहा - तू मेरे इश्क की इंतहां न ले, तू सितम किए जा तेरी चाह जहां तक है। वफा की उम्मीद उन्हें होगी जिन्हें होगी, मुझे तो देखना है तू बेवफा कहां तक है।