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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी है बड़ी चुनौती : प्रणव मुखर्जी

रांची स्थित आइएमए के स्थापना दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए पूर्व राष्ट्रपति

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 07:32 AM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 07:32 AM (IST)
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी है बड़ी चुनौती : प्रणव मुखर्जी
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अभी भी है बड़ी चुनौती : प्रणव मुखर्जी

जागरण संवाददाता, रांची : पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को अभी भी देश के लिए बड़ी चुनौती बताया है। वह शनिवार को रांची में आइआइएम के 10वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि देश में शिक्षण संस्थानों की कमी नहीं है, लेकिन इसमें गुणवत्ता की कमी है। रिसर्च में भी कमी देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा से ही क्वालिटी पर ध्यान देने की जरूरत है।

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उन्होंने कहा कि 1930 में सीवी रमण को नोबेल पुरस्कार मिला। इसके बाद तीन और भारतीयों को नोबेल पुरस्कार मिला, लेकिन स्नातक के बाद रिसर्च के लिए उन्हें देश से बाहर जाना पड़ा। हर वर्ष एक बड़ी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए देश से बाहर चले जाते हैं, जबकि नालंदा और विक्रमशिला जैसी यूनिवर्सिटी विश्व में लीडिंग यूनिवर्सिटी रहे थे। उन्होंने कहा कि हम रिसर्च, इनोवेशन और टोटल डेवलेपमेंट ऑफ फैकल्टी ऑफ स्टूडेंट्स पर ध्यान दें। समारोह में विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में गीत-संगीत व नृत्य पर सभी को खूब झुमाया। मौके पर आइआइएम के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह, चेयरमैन पीके पांडया सहित सभी विद्यार्थी व फैकल्टी थे। पूर्वोतर से हो सकती हरित क्रांति की शुरुआत

प्रणव मुखर्जी ने कहा कि दूसरी हरित क्रांति की शुरुआत पूर्वोतर क्षेत्र से हो सकती है। क्योंकि इसके लिए इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं। नदी, जंगल, जमीन हैं। पूर्वोतर भारत के लगभग क्षेत्र कृषि के लिए उपयुक्त हैं। साथ ही इस क्षेत्र में इन्वेस्टमेंट के लिए भी उचित माहौल है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2035 तक पूर्वोतर राज्यों का कुल जीडीपी में 25 प्रतिशत का योगदान होगा।

जन्मजात नहीं होता लीडरशिप का गुण प्रणवं मुखर्जी ने कहा कि मेरा मानना है कि किसी में लीडरशिप का गुण जन्मजात नहीं होता, बल्कि उसमें ऐसे गुण लाए जाते हैं। किसी की प्रतिभा को सही आकार देकर उनके अंदर की चमक को बाहर निकाला जाता है। इसमें आइआइएम का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिति को सुधारने वाला होना चाहिए। आइआइएम शिक्षा के साथ इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट को बढ़ावा दिया है। अच्छी होती जीडीपी तो मिट जाती गरीबी

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के समय देश की जीडीपी 1 प्रतिशत थी। इसके बाद 7 प्रतिशत से अधिक रहा। यदि जीडीपी 8-10 प्रतिशत होती तो भूखमरी, गरीबी, बीमारी जैसी समस्या से निजात मिल जाती। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि जॉब क्रिएटर बनें। परिश्रम के लिए शार्टकट रास्ता नहीं होता, परिश्रम से सफलता हासिल करें। उन्होंने कहा कि बिजनेस का मतलब केवल लाभ कमाना ही नहीं, बल्कि सामाजिक भागीदारी भी हो। देखें कि आपने रांची व देश को क्या दिया : डॉ. शैलेंद्र

आइआइएम के निदेशक डॉ. शैलेंद्र सिंह ने छात्रों से कहा कि आप यह नहीं देखें कि रांची और देश ने आपके लिए क्या किया, बल्कि यह देखें कि आपने रांची व देश को क्या दिया। उन्होंने कहा कि आइआइटी का मकसद बहुमुखी विकास है। छात्रों से कहा कि आप पूर्व राष्ट्रपति की सफलता का 10 प्रतिशत भी सीख लें तो आफ सफल हो जाएंगे। इन्होंने सभी का ओपिनियन का सम्मान किया। चाहे वह आरएसएस के कार्यक्रम में जाने की ही बात क्यों न हो। उन्होंने कहा कि आइआइएम में अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर सेंटर ऑफ लीडरशिप स्टडीज एंड कंज्यूमर इंट्रेस्ट की पढ़ाई शुरू की जाएगी। कुछ हट कर सोचने की जरूरत : प्रवीण पंड्या चेयरमैन प्रवीण शंकर पांड्या ने छात्रों से कहा कि कुछ हट कर सोचने की जरुरत है। सामान्य थिंकिंग से कुछ नहीं मिलता, फ्यूचर विजन से नयापन आता है। उन्होंने कहा कि देश में टेलककॉम इंडस्ट्रीज अच्छा कर रहा है। हमें मैन्यूफैक्च¨रग के बारे में चाइना से सीखना चाहिए। 13 विद्यार्थी हुए सम्मानित

आइआइएम में वर्ष 2018 में शैक्षणिक में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 13 विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इसमें एमबीए सत्र 2018-20 के जसमीत सिंह बिंद्रा, रिधिमा माहेश्वरी, सुमेधा गुप्ता हैं। इसी तरह एमबीए एचआर सत्र 2018-20 के रितुपर्णा नाथ, कानूप्रिया जैन व सुरभि सेठी हैं। सत्र 2017-19 के पीजीडीएम के तरुण चौधरी, अंकित मार्धा व वैद्य विनित जतनलाल हैं। इसी सत्र के पीजीडीएचआरएम के एमवीएस सुधीर, जॉय कुंडू व विशाख भारद्वाज हैं। इसके अलाव निबंध लेखन प्रतियोगिता में अच्छा प्रदर्शन करने वाले ए. विश्वास, मो. अनीश व जेशिका डाकलिया थे।


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