झारखंड फूड एंड एग्रीकल्चर समिट में बोले केंद्रीय कृषि मंत्री-किसानों की आय दोगुनी करने वाला पहला राज्य बनेगा झारखंड
केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने विश्वास जताया है कि वर्ष 2022 तक दुगुनी आय हो जाएगा।
रांची। केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने विश्वास जताया है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने वाला झारखंड पहला राज्य होगा। रांची में आयोजित ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट-2018 के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री रघुवर दास जिस प्रतिबद्धता से काम कर रहे हैं, उससे स्पष्ट हो रहा है कि झारखंड इस लक्ष्य को सबसे पहले हासिल करेगा।
राधा मोहन सिंह ने गांवों और किसानों के विकास के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को किसानों से साझा करते हुए पूर्व की कांग्रेस और यूपीए सरकारों पर जमकर निशाना भी साधा। कहा, पूर्व की सरकारों में महज मुठ्ठी भर लोगों का विकास हुआ जबकि आज विकास गांव-गांव तक पहुंच रहा है। उन्होंने इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया।
राधा मोहन सिंह ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यो की सराहना की। कहा, झारखंड को पहली बार ऐसा मुख्यमंत्री मिला है, जो पूरी प्रतिबद्धता के साथ गांव के विकास, गरीबों के सशक्तिकरण और किसानों की उन्नति के बारे में सोचता है।
यहां पहले भी सीएम बनते थे, दिन भर खनन-उत्खनन में लगे रहते थे। पहली बार एक ऐसा मुख्यमंत्री बना है जिसका जीवन गरीब किसान के लिए समर्पित है। उन्होंने मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा हासिल की गई उपलब्धि की भी चर्चा की। कहा, वर्ष 2013-14 में जहां एक लाख टन उत्पादन था वह 2018-19 में बढ़कर दो लाख टन हो गया है। उन्होंने राज्य आपदा कोष में की गई वृद्धि का भी जिक्र किया। कहा, चार वर्ष पूर्व यह कोष 33 करोड़ का था, जिसे बढ़ाकर 61 करोड़ कर दिया गया है।
पहले लटकी रहती थीं परियोजनाएं, सब कुछ ठंडे बस्ते में था
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी का स्पष्ट संदेश था कि आजादी के बाद गांवों को मजबूत करना है यानि किसानों को मजबूत करना है। आजादी के बाद ¨हदुस्तान आगे बढ़ा लेकिन गांव जहां का तहां खड़ा रहा। कृषि सुधार के लिए कदम नहीं उठाए गए। जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार आई तो रिफार्म शुरू हुए।
अटल जी बने तो किसान क्रेडिट कार्ड आया, गांवों में पक्की सड़कें बनीं। कृषि में सुधार के लिए 2003-04 में राज्यों के कृषि मंत्रियों की बैठक हुई। लेकिन देश का दुर्भाग्य रहा कि 2004 से 2014 तक बैठक नहीं हुई। जो रिफार्म किए गए थे उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। केंद्रीय मंत्री ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 2004-2014 तक कृषि सुधार के लिए कदम ही नहीं उठाए गए। स्वायल हेल्थ कार्ड के लिए पूरे देश में कोई मानक नहीं था। स्वायल हेल्थ कार्ड के लिए एक पैसा नहीं दिया गया।
सिंचाई की 99 बड़ी-बड़ी परियोजनाएं 20-25 सालों से लटकी पड़ी थीं। इनमें से 40 अब पूर्ण हो चुकी हैं। कहा, मैं यह बात इसलिए कह रहा हूं कि आज चुनाव में बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। राधा मोहन सिंह ने स्वामीनाथन की रिपोर्ट का भी जिक्र किया। कहा, उन्होंने किसानों की दशा में सुधारने के लिए 201 सुझाव दिए। पूर्व की सरकार ने उन पर कुछ नहीं किया गया।
उन्होंने स्वामीनाथन के एक लेख का हवाला देते हुए कहा कि वे खुद लिखते हैं कि यद्यपि राष्ट्रीय किसान आयोग की रिपोर्ट 2006 में दी गई थी, लेकिन जब तक केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार नहीं बनीं थी तब तक इस रिपोर्ट पर बहुत कम काम हुआ। सीधे शब्दों में समझें तो सब कुछ ठंडे बस्ते में था।
ताज्जुब होता है जब युवराज किसानों के हित की बात करते हैं
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने गांधी परिवार पर सीधे निशाना साधा। राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि ताज्जुब होता है जब युवराज किसानों के हित की बात करते हैं। किसी भी डेमोक्रेसी में एक ही परिवार के लोगों ने इतने लंबे समय तक शासन किया। जिस परिवार ने 48 वर्ष राज किया। वे आज पूछते हैं कि कृषि योजनाएं लंबित क्यों हैं? ऐसे लोग किसानों के हितों की बात करते हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए।