क्लोन चेक बना ठेकेदार के खाते से उड़ाए पौने दस लाख, दो हिरासत में
आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर कर खाते से हुई अवैध निकासी
जागरण संवाददाता, रांची : जालसाजों ने ठेकेदार के खाते से क्लोन चेक तैयार कर 9 लाख 80 हजार रुपये की निकासी कर ली। ठेकेदार चडरी लाइन टैंक रोड निवासी चंद्रकात कुमार हैं। चंद्रकांत ने पुलिस को बताया कि बीते मंगलवार दोपहर पौने चार बजे उन्हें खाते से रुपये निकासी का मैसेज मोबाइल पर मिला। पैसे आरटीजीएस के माध्यम से ट्रांसफर किए गए थे। आरटीजीएस अभिषेक कुमार पाडेय के नाम पर किया गया था। इस संबंध में चंद्रकात ने कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
दर्ज प्राथमिकी में अभिषेक कुमार पाडेय के अलावा बैंक अधिकारियों पर राशि निकासी का आरोप लगाया गया है। कोतवाली थाने में धारा 420, 468, 471, 34 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इसी कड़ी में दो लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्रारंभिक जांच में टेलीकॉम कंपनी के कर्मियों और बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि टेलीकॉम कंपनी द्वारा फर्जी सिम इशू कर बैंक भेजा जा रहा है। पोर्ट के बहाने अनजान लोगों को भी सिम जारी किया जा रहा है। इससे एसएमएस अलर्ट नंबर बदल दिया जा रहा है। असली चेकबुक रखा रह गया, क्लोन हो गया इस्तेमाल
ठेकेदार चंद्रकात ने पुलिस को बताया कि जिस चेक नंबर 976525 के इस्तेमाल से आरटीजीएस कर खाता से रुपये का ट्रांसफर किया गया है वह चेक उनके चेकबुक में ही है। बीते 27 नवंबर को उनके मोबाइल नंबर 9431359605 पर 9.80 लाख रुपये का आरटीजीएस का मैसेज मिला। आरटीजीएस अभिषेक कुमार पाडेय के नाम पर है। जिसका यूटीआर नंबर एसबीआईएनआर 52018112700068244 है। उनका कहना है कि इतनी बड़ी रकम का चेक पास करने से पहले खाता में अंकित मोबाइल नंबर पर सूचना दी जाती है। मगर बैंक कर्मियों ने खाता से जुड़े मोबाइल नंबर पर सूचना तक नहीं दी।
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बैंक में की शिकायत
ठेकेदार चंद्रकात ने पुलिस को बताया है कि उसने खाते से आरटीजीएस ट्रांसफर की शिकायत एसबीआई मेन ब्रांच में की। इस पर बैंक अधिकरियों ने जांच करने की बात कही। बैंक अधिकारियों ने उन्हें बताया कि फर्जी चेक और साइन का इस्तेमाल कर अपराधियों ने खाते से राशि की निकासी की है। पूरे मामले की जांच मुख्यालय वन एएसपी अमित रेणु कर रहे हैं। मिलीभगत से बदला जा रहा एसएमएस अलर्ट नंबर
पुलिस ने आशंका जताई है कि इस प्रकार की अवैध निकासी में एसएमएस अलर्ट का मोबाइल नंबर बदल दिया जाता है। इससे आरटीजीएस या खाते से ट्रांसफर का मैसेज नहीं मिलता। इसके बाद खाते से चुपके से रुपये की निकासी कर ली जाती है। यह बैंक अधिकारियों और टेलीकॉम कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से ही संभव है।
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मामले की जांच की जा रही है। कई पहलू सामने आए हैं। तकनीकी जांच भी चल रही है।
सुजाता वीणापाणि, सिटी एसपी, रांची
ऐसे होता है चेक का फर्जीवाड़ा
धोखाधड़ी करनेवाले कोरल ग्राफिक डिजाइनर के जरिए चेकबुक से ब्रांच का नाम और चेक का सीरियल नंबर बदल देते हैं। उसके बाद फर्जी साइन कर इन्हें बैंक में जमा कर देते हैं। वहीं एक निश्चित अवधि में चेक बुक पर प्रिंट सामग्री मिट जाती है। जालसाज इसका फायदा उठाते हैं। मामला पुलिस में जाने के बाद भी आरोपितों के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिल पाता। साइबर क्राइम विशेषज्ञों का कहना है कि चेक को लैमिनेट किया जाना चाहिए। इससे प्रिंटेड सामग्री मिट नहीं पाएगी। --------
रांची में क्लोन चेक से पैसे निकासी के पहले भी हुए हैं मामले
25 मई 2018
जेएन कॉलेज धुर्वा के एकाउंट से क्लोन चेक तैयार कर 14 लाख 33 हजार रुपये की अवैध निकासी कर ली गई। ऐसे चेक से निकासी की गई थी, जिसका चेक कॉलेज प्रबंधन के पास मौजूद था। 27 मार्च 2018
एकलव्य प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की एमडी कांति सिंह के खाते से 14.90 लाख रुपये की निकासी कर ली गई। इसे लेकर अरगोड़ा थाने में कांति कुमारी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कांति कुमारी ने बताया था कि इस निकासी में बैंक अधिकारियों की भी मिलीभगत है। जनवरी 2018
कोकर औद्योगिक क्षेत्र के स्पीडो प्रिंटर्स के खाते से क्लोन चेक के माध्यम से 1.52 लाख रुपये की निकासी कर ली गई थी। कंपनी के प्रोपराइटर सुचित्रा अग्रवाल ने डेली मार्केट थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनके खाते के रुपये अमित बाखला, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, गुमला ब्राच खाता संख्या 596602010006000, मोबाइल नंबर 9708219533 में एनईएफटी के माध्यम से ट्रासफर किए गए थे। 4 दिसंबर 2017
बैंक ऑफ इंडिया लालपुर ब्रांच के मेसर्स आनंद कंस्ट्रक्शन के खाते से 4 दिसंबर 2017 को 5.35 लाख रुपये की अवैध निकासी की गई थी। यहां भी क्लोन चेक से पैसे ट्रांसफर किए गए। दोबारा 2.35 लाख की निकासी के दौरान अभिषेक नाम का आरोपित पकड़ा गया था। उसकी गिरफ्तारी 6 दिसंबर 2017 को हुई थी।