दलबदल मामले में सुनवाई, दो-तिहाई विधायकों के विलय के निर्णय को सही बताया
विधायक आलोक चौरसिया की ओर से दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव की अदालत में सोमवार को बहस हुई।
रांची, राज्य ब्यूरो। दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव की अदालत में सोमवार को विधायक आलोक चौरसिया की ओर से बहस की गई। उनकी ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार ने बताया कि जेवीएम के दो-तिहाई विधायकों ने विलय का निर्णय लिया। ऐसे में उक्त निर्णय को सही माना जाए।
जिस दौरान पार्टी का विलय किया गया उसी दौरान कई लोग पार्टी को छोड़कर जा रहे थे। पार्टी के अध्यक्ष को कार्यकारिणी के चुनाव के बाद पदाधिकारियों को नामित करने का अधिकार है। केंद्रीय समिति की बैठक में जेवीएम के दो-तिहाई विधायकों ने मर्जर की घोषणा की थी तो शेष बचे एक-तिहाई लोग उस पार्टी के बैनर तले रह सकते हैं। लेकिन जेवीएम की ओर से बाकी लोगों की सूची भी नहीं दी गई है।
झारखंड विकास मोर्चा पार्टी के संविधान के अनुसार भी अध्यक्ष को सिर्फ लोगों को नॉमिनेट करने का ही अधिकार है। ऐसा बयान पार्टी के नेता प्रदीप यादव व बाबूलाल ने भी अपनी गवाही दी है। इस दौरान आलोक चौरसिया की ओर से गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया है कि किसी पार्टी के दो-तिहाई विधायकों ने दलबदल कर लिया है तो स्पीकर इसकी जांच नहीं कर सकते हैं।
इसके बाद स्पीकर ने मामले में अगली सुनवाई सात दिसंबर को निर्धारित की है। उस दिन विधायक जानकी यादव की ओर से बहस की जाएगी। उल्लेखनीय है कि झारखंड विकास मोर्चा ने यह शिकायत दर्ज कराई है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ दिनेश उरांव लगातार सुनवाई कर रहे हैं।