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झारखंड की ट्राइबल ज्‍वेलरी की दीवानी हुई दिल्‍ली, अंतरराष्‍ट्रीय मेले में जूट क्राफ्ट्स का जलवा

नर्इ दिल्‍ली के प्रगति मैदान में व्यापार मेले में दर्शकों को झारखंडी ट्राइबल ज्वेलरी खूब लुभा रही है। अंतरराष्ट्रीय मेले में ट्राइबल व टेराकोटा ज्वेलरी की बहुत डिमांड है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 25 Nov 2018 12:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Nov 2018 12:07 PM (IST)
झारखंड की ट्राइबल ज्‍वेलरी की दीवानी हुई दिल्‍ली, अंतरराष्‍ट्रीय मेले में जूट क्राफ्ट्स का जलवा
झारखंड की ट्राइबल ज्‍वेलरी की दीवानी हुई दिल्‍ली, अंतरराष्‍ट्रीय मेले में जूट क्राफ्ट्स का जलवा

रांची, राज्य ब्यूरो। नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में झारखंड की ट्राइबल ज्वेलरी सभी का मन लुभा रही है। इतना ही नहीं यहां बंबू क्राफ्ट और जूट क्राफ्ट्स को भी लोग पसंद कर रहे हैं। मेले में स्थापित झारखंड पैवेलियन में लोगों को झारखंड के हस्तशिल्प पसंद आ रहे हैं।

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आदिवासी जनजातियों के बीच प्रचलित हसली, कंगना, ठेला, पैरी, मटर लोला, मंडली, तरपत, बाजूबंद, झुप्पा सिकड़ी आदि को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। ये ज्वेलरी चांदी अथवा तांबा मिश्रित चांदी से बनी होती है। मेले में झारखंड पैवेलियन अपनी विशिष्टता के आधार पर दर्शकों के बीच लोकप्रिय होता जा रहा है।

झारखंड में 32 जनजातीय समूह हैं और इनमें से संथाल, गोंड, बिरहोर, मुंडा, असुर आदि जनजातीय समुदाय के पास अपनी पारंपरिक हस्तशिल्प कलाएं हैं। झारखंड पैवेलियन में रामगढ़ से पहुंचीं गीता वर्मा ने बताया कि इस वर्ष में मेले में वह इसी तरह की ट्राइबल ज्वेलरी लेकर आई है जिन्हें लोग पसंद कर रहे हैं। उनके पास 250 रुपये से पांच हजार रुपये तक के गहने मौजूद हैं। खूंटी से पहुंची तारा सोनी ने बताया कि उनका परिवार चार पीढिय़ों से ट्राइबल ज्वेलरी बना रहा है।


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