पीने के पानी को तरस रहा झारखंड, 82 फीसद शहरी आबादी को नल का जल नहीं
राज्य के नगर निकायों में रहनेवाले लोगों को जरूरत का एक तिहाई पानी भी नहीं नहीं मिल रहा है। राज्य के 18 फीसद घरों में ही वाटर कनेक्शन है।
रांची, विनोद श्रीवास्तव। सरकार तेजी से हो रहे शहरी विकास का लाख दावा ठोक ले, परंतु सर्विस लेवल बेंचमार्क पर बुनियादी सुविधाओं की स्थिति एकदम उलट है। राÓय के 45 शहरी निकायों में पानी की उपलब्धता तथा इससे जुड़े अन्य तथ्यों की बात करें तो यह राष्ट्रीय मानक से काफी पीछे है। शहरवासियों को आज भी जरूरत का एक तिहाई पानी मयस्सर नहीं हो रहा।
नगर विकास एवं आवास विभाग की हालिया रिपोर्ट की बात करें तो संबंधित शहरी निकायों की 82.22 फीसद आबादी तक पाइप लाइन के सहारे जलापूर्ति नहीं हो रही है। सरकार ने प्रति व्यक्तिप्रतिदिन 1&5 लीटर पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है, जबकि आपूर्ति का औसत महज 4&.4 लीटर है। यानी कि सरकार इस लक्ष्य से 91.6 लीटर पीछे चल रही है।
जलापूर्ति के मानकों में शहरी क्षेत्रों में 24 घंटे जलापूर्ति की जानी है, परंतु औसतन 2.79 घंटे ही जलापूर्ति की जा रही है। हालांकि सरकार ने इन सुविधाओं को लेकर मार्च 2019 तक के लिए लक्ष्य निर्धारित कर दिया है, परंतु यह भी बहुत उत्साहजनक नहीं है। जलापूर्ति के इन तीनों सेक्टरों के लक्ष्य में सरकार ने महज क्रमश:10.85, 12.82 तथा 0.69 फीसद की बढ़ोतरी की है। स्पष्ट है कि जलापूर्ति के राष्ट्रीय मानकों के करीब पहुंचना सरकार के लिए निकट भविष्य में दूर की कौड़ी है।
मानगो में सर्वाधिक वाटर कनेक्शन, मधुपुर फिसड्डी : रिपोर्ट के अनुसार राज्य के शहरी निकायों में से मानगो वह निकाय है, जहां सर्वाधिक 61 फीसद हिस्से में जलापूर्ति पाइप का विस्तार है। इससे इतर मधुपुर में महज एक फीसद क्षेत्र को ही वाटर कनेक्शन मयस्सर हो सका है। विश्रामपुर, साहिबगंज और मझिआंव में तो वाटर कनेक्शन का नामोनिशान ही नहीं है।
दुमका में प्रति व्यक्तिमिल रहा औसत से अधिक पानी : रिपोर्ट बताती है कि प्रति व्यक्तिपानी की उपलब्धता के मामले में जहां राज्य के शहरी निकायों की स्थिति जहां बद से बदतर है, वहीं झारखंड की उप राजधानी दुमका में प्रति व्यक्ति158 लीटर पानी की उपलब्धता है। इस मामले में साहिबगंज की स्थिति सबसे दयनीय है, जहां प्रति व्यक्तिमहज चार लीटर पानी ही मिल रहा है।
चाकुलिया में सर्वाधिक आठ घंटे जलापूर्ति, मझिआंव सबसे पीछे : जलापूर्ति के राष्ट्रीय मानक की बात करें तो शहरी क्षेत्र में 24 घंटे जलापूर्ति की जानी चाहिए। इससे इतर अधिकांश शहरों में औसतन तीन घंटे ही जलापूर्ति हो पा रही है। इस मामले में चाकुलिया की स्थिति सबसे अ'छी है, जहां आठ घंटे जलापूर्ति हो रही है। मझिआंव इस मामले में सबसे पीछे है, यहां महज 0.4 घंटे जलापूर्ति हो रही है। विश्रामपुर, साहिबगंज, बड़हड़वा, छतरपुर, डोमचांच तथा नगरऊंटारी में यह स्थिति शून्य है।
41 शहरों में मीटर का नामोनिशान नहीं, बुंडू में 9& फीसद घरों में मीटर : शहरी क्षेत्रों में सर्विस लेवल बेंचमार्क की बात करें तो हर घर में पानी का मीटर होना अनिवार्य है। इससे इतर 45 शहरी निकायों में से महज चार निकायों ने ही मीटर लगाने पर फोकस किया है। अलबत्ता यह कार्य भी चार फीसद ही हुआ है। जिन शहरों में पानी के मीटर लगाए गए हैं, उनमें रांची, चाईबासा, दुमका व बुंडू शामिल हैं। इनमें से बुंडू के 9& फीसद और दुमका के 75 फीसद घरों में वाटर कनेक्शन के साथ मीटर लगाए गए हैं।
सेक्टर राष्ट्रीय बेंचमार्क वर्तमान स्थिति लक्ष्य मार्च 2019 तक
-वाटर कनेक्शन 100 फीसद 17.88 फीसद 28.7& फीसद
-प्रति व्यक्ति पानी उपलब्धता 135 लीटर 43.4 लीटर 56.22 लीटर
-मीटर की मौजूदगी 100 फीसद 4.17 फीसद 5.44 फीसद
-जलापूर्ति अवधि में 24 घंटे 2.79 घंटे 3.48 घंटे