जानिए पारा शिक्षकों के नाम पर क्यों बरपा है झारखंड में हंगामा, क्या है पेच स्थायी करने में
राज्य में 67 हजार पारा शिक्षकों को स्थायी करने से सरकार बच रही है। इसके पीछे दलील है कि मामला कोर्ट जाने पर सरकार की फजीहत हो सकती है।
रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार पारा शिक्षकों को तकनीकी रूप से स्थायी नहीं कर सकती। सरकार ने राज्य के 76 हजार पारा शिक्षकों को स्थायी करने की सारी संभावनाओं को तलाशा था। मुख्य सचिव द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी ने भी कई पड़ोसी राज्यों की नियुक्ति नियमावली का अध्ययन किया लेकिन झारखंड में हुई नियुक्ति की प्रकृति भिन्न होने से स्थायीकरण का रास्ता नहीं निकल पाया।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह के अनुसार, मध्य प्रदेश में पारा शिक्षकों की नियुक्ति व्यापम से हुई थी, जबकि छत्तीसगढ़ में विज्ञापन निकालकर पंचायतों के माध्यम से नियुक्ति हुई। वहां की सरकार ने सीधे भी नियुक्ति की। जहां तक झारखंड की बात है तो यहां ग्राम शिक्षा समितियों के माध्यम से नियुक्ति हुई तथा इसमें आरक्षण का पालन नहीं किया गया।
इन तकनीकी पहलुओं को देखते हुए सरकार पारा शिक्षकों को स्थायी करने की दिशा में आगे बढ़ नहीं पा रही है। उत्तर प्रदेश सरकार की इसी तरह के मामले में फजीहत हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2017 में पारा शिक्षकों को वेतनमान दे दिया था, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया। न्यायालय का कहना था कि उसके लिए उत्तर प्रदेश के 1.79 लाख पारा शिक्षक नहीं, बल्कि राज्य के लाखों-करोड़ों बच्चे हैं।
झारखंड में भी एक मामला रिट संख्या 315/2016 तथा 226/2017 कोर्ट में चल रहा है। जहां तक सुविधाओं की बात है तो झारखंड के पारा शिक्षकों को सबसे अधिक सुविधाएं प्राप्त हैं। झारखंड पहला राज्य है जिसने प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति में 50 फीसद पद पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित है। इससे दस हजार पारा शिक्षक स्थायी हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में पारा शिक्षकों को दस हजार मानदेय मिलता है, वह भी साल में 11 माह के लिए। झारखंड में 12 माह का मानदेय मिलता है। राज्य सरकार ने पारा शिक्षकों के कल्याण कोष की राशि पांच करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ करने तथा टेट की मान्यता पांच साल से बढ़ाकर सात साल करने पर सहमति दे दी है।
किसी भी राज्य में स्थायी करने का नहीं है प्रावधान : किसी भी राज्य में पारा शिक्षकों को स्थायी करने का प्रावधान नहीं है। झारखंड में पारा शिक्षक 60 साल तक काम कर सकते हैं।
यह भी है समस्या : -निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षक नियुक्ति के लिए टेट पास होना अनिवार्य है। झारखंड में अधिसंख्य पारा शिक्षक यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हैं। - सभी पारा शिक्षकों के स्थायी करने से राज्य सरकार पर 3,123 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।
कैबिनेट में उठा मामला, मंत्री बोले अब खत्म हो विवाद : मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में आंदोलनरत पारा शिक्षकों का मामला उठा। दस में से पांच मंत्रियों ने इस बाबत अपनी बातें सामने रख नसीहत दी कि मामले को तत्काल शांत करना चाहिए। सरकार पारा शिक्षकों से अपील करे कि वे काम पर वापस लौट आएं। मंत्रियों ने यह भी कहा कि स्थापना दिवस समारोह के दौरान पारा शिक्षकों पर बल प्रयोग से परहेज करना चाहिए था।
इस पर मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों ने वस्तुस्थिति से मंत्रियों को अवगत कराते हुए पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रियों का कहना था कि अप्रिय स्थिति से यथासंभव बचना चाहिए था। मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, सरयू राय, चंद्रप्रकाश चौधरी, रामचंद्र चंद्रवंशी, रणधीर सिंह आदि ने इस संदर्भ में अपनी बातें रखी और आंदोलनरत पारा शिक्षकों के संदर्भ में सकारात्मक पहल करने का आग्र्रह किया। इस मुद्दे पर कैबिनेट किसी मुद्दे पर नहीं पहुंच पाई।