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संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा-इस तरह की पत्‍थलगड़ी को सही नहीं कहा जा सकता

रांची में संविधान की पांचवीं अनुसूची पर व्‍याख्‍यान देने पहुंचे संविधानविद् डॉ सुभाष कश्‍यप ने कानूनों के क्रियान्‍वयन पर खास जोर दिया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 02:09 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 02:09 PM (IST)
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा-इस तरह की पत्‍थलगड़ी को सही नहीं कहा जा सकता
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा-इस तरह की पत्‍थलगड़ी को सही नहीं कहा जा सकता

रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। देश के जाने-माने संविधान विशेषज्ञ डॉ. सुभाष कश्यप ने भारत में आदिवासियों के लिए बनाए गए कानून को सर्वश्रेष्‍ठ बताया है। संविधान की पांचवीं अनुसूची पर राजधानी रांची में व्‍याख्‍यान देने पहुंचे डॉ कश्‍यप ने दो टूक कहा कि हमारे देश में आदिवासियों के लिए कानून अन्य देशों से अच्छा है, परंतु उसका क्रियान्वयन ठीक तरह से नहीं हो रहा। उन्‍होंने निजी अधिकार के नाम पर आदिवासी इलाकों में की जा रही पत्‍थलगड़ी काे गलत ठहराया। परंपरागत की जाने वाली पत्‍थलगड़ी से इत्‍तफाक रखते हुए उन्‍होंने कहा कि वर्तमान स्‍वरूप में इस तरह से पत्‍थलगड़ी नहीं की जानी चाहिए।

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आदिवासी हितों पर जोर देते हुए डॉ कश्‍यप ने कहा कि केंद्र सरकार ने पेसा का मॉडल नियम बनाया, लेकिन राज्य सरकारों ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। राज्‍यपाल की भूमिका को गौण कर राष्ट्रपति को सालाना भेजी जानेवाली रिपोर्ट भी वर्तमान स्‍वरूप में सरकारी हो गई है। राज्‍य सरकारें सिर्फ विभाग की रिपोर्ट को आगे प्रेषित कर रही है।

उन्‍होंने कहा कि बापू के सपनों की राजनीतिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है कि संसद और विधानसभा में सांसदों औऱ विधायकों के समानांतर ग्रामीणों का प्रतिनिधित्व हो।


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