छठ व्रत : कांके डैम पर नहीं है निगम का ध्यान, बदबूदार पानी व्रतियों को कर रहा निराश
छठ पर्व को अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं, लेकिन कांके डैम की स्थिति सही नहीं है। दुर्गध युक्त पानी छठं व्रतियों को परेशान कर सकता है। कई बीमारियां अटैक कर सकती हैं।
रांची, विवेक आर्यन। कांके डैम की स्थिति चार महीने बाद भी नहीं बदली। बरसात के आगमन के कुछ दिनों बाद से ही दुर्गध ने लोगों की नाक में दम कर रखा है। अब छठ पर्व पर व्रतियों को भी चिंता सता रही है कि इस पानी में वे कैसे पूजा करेंगे। खास कर तब जब टिकरीटोला से सैकड़ों श्रद्धालु छठ के लिए उसी घाट पर जाते हैं जहां अभी काई और गंदगी फैली हुई है।
स्थानीय लोग बताते हैं कि हर साल छठ के पूर्व घाट की सफाई की जाती है, लेकिन अभी तक नगर निगम द्वारा ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है। ज्ञात हो कि कांके डैम के दक्षिणी-पूर्वी भाग में करीब चार महीनों से गंदगी पसरी हुई है। ऐसा बरसात के आने के साथ हुआ है। गर्मियों में जलस्तर घटने के साथ किनारों पर झाड़ियों का उगना आम बात है।
बरसात आने के पूर्व उनकी सफाई नहीं होने से पानी के साथ मिल कर वे सड़ जाते हैं। गंदगी, काई और सड़े हुए पौधे दुर्गध का कारण बनते हैं। लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। पैर में चिपक रही है पानी की काई डैम के किनारे की स्थिति विभागीय उदासीनता का बड़ा उदाहरण है।
पानी में काई इस कदर घुल चुकी है कि मजबूरीवश डूबने वाले पांव भी हरे हा जाते हैं। साफ दिखता है कि साल भर से वहां कोई सफाई नहीं की कई है। दूसरे स्तर पर इसे भी नहीं भुलाया जा सकता है कि राजधानी की बड़ी आबादी इसी पानी का प्रयोग पीने के लिए करती है। निश्चय ही विभागीय तंत्र आस्था, स्वास्थ्य और लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड़ कर रही है।
पहले कई बार शिकायत कर चुके हैं। एक भी बार सफाई नहीं हुई है। छठ घाट के पास गंदगी भरी पड़ी है। उपर से दुर्गध बड़ी समस्या बन रही है। मनोज कुमार, स्थानीय निवासी।
दूसरे स्थानों पर सफाई हो रही है। लेकिन यहां कोई नहीं आता। हम नजरअंदाज किए जा रहे हैं। डैम की स्थित कई महीनों से ऐसी ही है। चंदन राज, स्थानीय निवासी।