सुहाना सफर : जनवरी से पटरियों पर फर्राटा भरेगी हाईस्पीड ट्रेन 18
रोज ब रोज उन्नत तकनीक के भरोसे सफर को सुहाना और सुरक्षित बनाने में जुटी भारतीय रेल ट्रेन-18 के बाद एल्युमीनियम बोगी बनाने को प्रयासरत है।
रांची/बड़ोदरा, शक्ति सिंह। हाईस्पीड ट्रेन-18 के बाद रेलवे ने एल्युमीनियम बोगी की ओर कदम बढ़ाया है। ट्रेन-18 जनवरी से रेल की पटरियों पर दौडऩे लगेगी, जबकि एल्युमीनियम बोगी के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा। एल्युमीनियम बोगी से स्पीड में और बढ़ोतरी होगी तो बेहतर फिनिशिंग के कारण ट्रेन की खूबसूरती भी बढ़ेगी।
एल्मीनियम बोगी के लिए प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड को भेज दिया गया है। बोर्ड इसपर विचार कर रहा है। रिकार्ड समय में ट्रेन-18 को तैयार करने वाले आइसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री, चेन्नई) के जीएम सुधांशु मणि ने बड़ोदरा में जागरण से एक विशेष बातचीत के दौरान एल्युमीनियम बोगी और ट्रेन-18 की खासियत के बारे में विस्तार से बातचीत की।
विदेशी कंपनी की मदद लेकर तैयार किया जाएगा एल्युमीनियम बोगी : सुधांशु मणि के अनुसार प्रस्ताव में बताया गया है कि भारतीय रेलवे कोच फैक्ट्री को एल्युमीनियम बोगी के बारे में विशेषज्ञता हासिल नहीं है। एक विदेशी कंपनी को पार्टनर बनाकर एल्युमीनियम बोगी के निर्माण पर काम किया जाएगा। इसके लिए विशेष तौर पर एल्युमीनियम बोगी लाकर रेल फैक्ट्री के कर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा। सुधांशु मणि ने कहा कि भारतीय रेलवे वर्तमान में 85 फीसद वल्र्ड स्टैंडर्ड की बोगी तैयार कर रहा है। 100 फीसद विश्वस्तरीय बोगी तैयार करने के लिए एल्युमीनियम बोगी की ओर जाना होगा। बोर्ड की इस पर मंजूरी मिलते ही इस दिशा में आइसीएफ जुट जाएगा।एल्युमीनियम बोगी का वजन कम होने से जहां ट्रेन की गति बढ़ेगी, वहीं यह देखने में भी ज्यादा सुंदर होगी।
ट्रेन-18 बढ़ाएगी रेलवे की रफ्तार : ट्रेन-18 भारत में ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाएगी। आधुनिक तकनीक से लैस इस ट्रेन का निर्माण चेन्नई के आइसीएफ में हुआ है। ट्रेन-18 पटरियों पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। जनवरी से यह पटरियों पर दौडऩे लगेगी। शताब्दी एक्सप्रेस से इसकी शुरुआत होगी उसके बाद राजधानी एक्सप्रेस में इसे इस्तेमाल किया जाएगा। रिकार्ड तोड़ समय में इसे तैयार किया गया है।
आगे नहीं बोगियों के नीचे इंजन के हिस्से : सुधांशु मणि ने बताया कि टे्रन-18 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें इंजन बोगियों के आगे नहीं बल्कि सभी बोगियों में इंजन के हिस्से इंस्टॉल किए जा रहे हैं। इसमें 16 कोच होंगे और बैठने के लिए 750 सीटें होंगी। सभी बोगियों में इंजन का कुछ न कुछ हिस्सा लगा हुआ होगा। इंजन को बोगी की सतह के नीचे लगाया जाएगा।
इंजन काटने से मिलेगी मुक्ति : वर्तमान में इंजन को जोडऩे और काटने के लिए कई घंटे ट्रेन को स्टेशन पर खड़ा रहना पड़ता है। इससे यात्रियों को परेशानी होती है। पर इस नई ट्रेन में ऐसा नहीं है। ट्रेन को दोनों तरफ चलाने की सुविधा है।
सभी बोगियां होंगी इंटर कनेक्टेड : ट्रेन 18 की बोगियां यात्रियों के भीतरी आवागमन के लिहाज से भी पूरी तरह सुरक्षित है। एक बोगी को दूसरे बोगी से जोड़कर पूरी तरह सील कर दिया गया है। इससे एक से दूसरी बोगी में जाने में गिरने की आशंका नहीं रहेगी। जर्क को कम करने के लिए कपलर को विकसित किया गया है। बोगी काफी लचीली होगी।
ट्रेन में वाइफाइ और जीपीएस की होगी सुविधा : ट्रेन को वाइफाइ और जीपीएस की सुविधा से लैस किया गया है। साथ ही बायो वैक्यूम टॉयलेट और एलईडी लाइट की सुविधा दी गई है। मौजूद मौसम के आधार पर खुद-ब-खुद टे्रन का कूलिंग सिस्टम एडजस्ट होगा। बोगी को सुरक्षा की दृष्टि से तैयार किया गया है, ताकि दुर्घटना में कम से कम यात्रियों को नुकसान पहुंचे। किसी भी तरह की परेशानी होने पर इमरजेंसी अलार्म की व्यवस्था की गई है।