किसान की जमीन भी नहीं जाएगी, सरकार का काम भी हो जाएगा
विकास योजनाओं की राह में जमीन अधिग्रहण से उत्पन्न होने वाली बाधाओं के स्थायी समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है।
रांची । विकास योजनाओं की राह में जमीन अधिग्रहण से उत्पन्न होने वाली बाधाओं के स्थायी समाधान की दिशा में राज्य सरकार आगे बढ़ी है। फिलहाल जल, गैस व ड्रेनेज पाइपलाइन के लिए इसे अपनाया जाएगा। इसके तहत किसानों के खेतों से पाइप लाइन गुजारी जाएगी और बाद में जमीन किसान को वापस कर दी जाएगी ताकि वे दोबारा खेतीबाड़ी कर सके।
हालांकि, भू स्वामी से यह अपेक्षा की जाएगी कि वह कोई ऐसा कार्य न करे जिससे पाइप लाइन को नुकसान पहुंचे। विधानसभा में पारित झारखंड जल, गैस और ड्रेनेज पाइप लाइन (भूमि में उपयोगकर्ता के अधिकारों का अर्जन) विधेयक, 2018 में इसका प्रावधान किया गया है। विधेयक पर राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसके गजट का प्रकाशन जल संसाधन विभाग ने कर दिया है।
सरकार किसानों की सहमति से ही उसकी जमीन का उपयोग करेगी और इसके एवज में किसान को कुछ राशि का भुगतान भी किया जाएगा। यदि जमीन मालिक को कोई आपत्ति है तो वह तीस दिन के भीतर जमीन के नीचे पाइप लाइन बिछाए जाने पर लिखित आपत्ति कर सकेगा। सक्षम पदाधिकारी आपत्तियां सुनने के बाद उसे मंजूर या नामंजूर करेगा।
जमीन मालिक आपत्ति की सुनवाई के क्रम में वकील की भी मदद ले सकेगा। तीस दिन के भीतर आपत्ति नहीं मिलने पर सक्षम पदाधिकारी अधिसूचना द्वारा उद्घोषणा करेगा कि पाइप लाइन बिछाने के लिए उक्त जमीन का उपयोग किया जाएगा।
ऐसी परिस्थिति में नहीं बिछाई जा सकेगी पाइप लाइन
-यदि जमीन का उपयोग अधिसूचना जारी होने से पूर्व आवासीय कार्य के लिए हो रहा हो।
-जिसपर कोई स्थायी संरचना पहले से हो।
-जो आवासीय भवन से संबद्ध हो।
-जहां सतह से एक मीटर से कम की गहराई हो।
जमीन पर कुआं-तालाब नहीं खोदे जा सकेंगे, पेड़ भी नहीं लगेंगे
जमीन मालिक अपनी जमीन का उपयोग तो कर सकेगा लेकिन वह वहां किसी अन्य संरचना का निर्माण, तालाब-कुआं आदि की खुदाई या पेड़ लगाने का काम नहीं कर सकेगा। ऐसे करने से भूमि के नीचे बिछाई गई पाइपलाइन को क्षति पहुंच सकती है। यह भी प्रावधान किया गया है कि पाइपलाइन लगाने या मरम्मत आदि में रैयत को कोई नुकसान होता है तो उसका मुआवजा सक्षम पदाधिकारी द्वारा दिया जाएगा।