मानव तस्करी : आलोक वर्मा से पूछताछ और जांच को डीएसपी की अगुआई में दिल्ली गई पुलिस टीम
रांची की पीडि़ता के एफआईआर के आधार पर अब पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई है। हालांकि अब तक उसका कोर्ट में बयान नहीं कराया गया है।
रांची, जासं। मानव तस्करी की शिकार मांडर की युवती के मामले में पुलिस की एक टीम आलोक वर्मा सहित अन्य अभियुक्तों से पूछताछ और जांच के लिए दिल्ली रवाना हो गई है। टीम डीएसपी यशोदरा के नेतृत्व में गई है। टीम में एक सब इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल शामिल हैं। टीम वसंत बिहार के मकान नंबर बी-2/7 का सत्यापन कर जांच करेगी, जहां पीडि़ता ने उसे बंधक बनाने की बात कही थी।
इसके अलावा दक्षिणी दिल्ली के संत नगर स्थित प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक गोविंद शर्मा से भी पूछताछ की जाएगी। बता दें कि पीडि़ता के बयान पर रांची के कोतवाली थाने में आलोक वर्मा, मांडर के परयागो निवासी निशिया और प्लेसमेंट एजेंसी संचालक गोविंद शर्मा के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। युवती की शिकायत थी कि उसे काम के पैसे नहीं मिलते थे, साथ ही परेशान भी किया जाता था।
इस पूरे प्रकरण में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा का नाम सामने आ रहा था।इस बात को लेकर ऊहापोह था कि यह आलोक वर्मा सीबीआइ निदेशक तो नहीं। दैनिक जागरण की पड़ताल में यह साफ हो गया है कि इस मामले में जिस आलोक वर्मा का नाम आ रहा है वह सीबीआइ निदेशक नहीं बल्कि एक फाइनेंशियल कंसल्टेंट हैं। युवती इन्हीं के मकान में थी।
युवती उनके माता-पिता के उसी इलाके में स्थित मकान नंबर बी-2/13 में भी कभी-कभी काम करने जाती थी। अब तक मामला हाईप्रोफाइल रूप ले रहा था इसलिए पुलिस के पांव भी जांच के लिए ठिठक रहे थे। लेकिन अब जब जागरण की पड़ताल के बाद मामले से पर्दा हट चुका है तो जांच में पुलिस भी रेस हो गई है।
बड़ी बहन भी छुड़ाई जाएगी : झारखंड महिला आयोग और रांची पुलिस को पीडि़ता ने बताया है कि उसकी एक बड़ी बहन दिल्ली में ही फंसी है। दिल्ली गई रांची पुलिस की टीम उस बहन को भी रेस्क्यू कराएगी। वह लड़की दक्षिणी दिल्ली के संत नगर में प्लेसमेंट एजेंसी के संचालक गोविंद शर्मा के पास ही पिछले दस वर्षों से काम कर रही है। जबकि इस पीडि़ता को इसी वर्ष अगस्त माह में आलोक वर्मा के यहां रखवाया गया था।
चौथे दिन भी नहीं दर्ज हुआ 164 का बयान : पुलिस ने रांची लाने के चार दिनों बाद भी पीडि़त युवती का कोर्ट में 164 का बयान दर्ज नहीं कराया गया। उसे अभी भी शेल्टर होम में ही रखा गया है। बताया जा रहा है कि पीडि़ता जल्दी घर जाना चाहती है। लेकिन पुलिस द्वारा 164 का बयान दर्ज कराने में देरी से पीडि़ता परेशान हो गई है।
बताते चलें कि बीते 25 अक्टूबर को ही दिल्ली महिला आयोग की टीम ने युवती को वसंत विहार स्थित आलोक वर्मा के घर से मुक्त कराया था। इसके बाद रांची पुलिस के माध्यम से झारखंड महिला आयोग के पास लाया गया था। आयोग ने उसे शेल्टर होम में रखवा दिया है।
करेंगे सख्त कार्रवाई : प्लेसमेंट एजेंसी पर सख्त कार्रवाई होगी। चूंकि एजेंसी ने पहले पीडि़ता की बड़ी बहन का सौदा किया है। इस तरह कई बेटियों को बेचने का काम लगातार किया जा रहा है। ऐसी सभी एजेंसियों व दलालों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी। कल्याणी शरण, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग झारखंड।