सीबीआइ निदेशक नहीं, कंसल्टेट आलोक वर्मा के घर बंधक थी पीड़िता
दैनिक जागरण की टीम ने दिल्ली, रांची और युवती के मांडर के घर में पूरी पड़ताल की, जिसमें निकला कि सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा के नाम पर बेवजह हंगामा मचाया जा रहा था।
रांची, जेएनएन। दिल्ली में मानव तस्करी कर मांडर की जिस युवती को रखा गया था, उसका असली पता और आरोपित आलोक वर्मा को दैनिक जागरण ने ढूंढ निकाला। युवती दिल्ली के वसंत विहार में मकान नंबर बी-2/7 में रहने वाले आलोक वर्मा के घर रहकर काम कर रही थी। यह आलोक वर्मा सीबीआइ निदेशक नहीं बल्कि एक प्राइवेट कंपनी में फाइनेंशियल कंसल्टेट हैं।
निशिया के प्रलोभन से गई दिल्ली, वहां बन गई दाई : दिल्ली के बसंत विहार से मुक्त कराई गई रांची स्थित मांडर की युवती के परिजनों की आंखें बेटी के लौटने की आस में पथरा गई हैं। वे बेबसी से अपनी लाडली के मांडर लौटने का इंतजार कर रहे हैं। अपने घर पर युवती के 65 वर्षीय पिता ने बताया कि उनके एक बेटा व तीन बेटियां हैं। चार माह पूर्व परयागो गांव निवासी निशिया उनके घर आई और उनकी छोटी बेटी से कहा कि यहां क्यों बेकार में जिंदगी बर्बाद कर रही हो। चलो हम तुम्हारी नौकरी दिल्ली में लगा देंगे। जहां रहने के लिए बंगला, अच्छे कपड़े मिलेंगे और घूमने के लिए गाड़ी मिलेगी। साथ ही पैसा भी मिलेगा।
शुरू मेें परिवार का कोई सदस्य सुनीता को दिल्ली भेजने के लिए तैयार नहीं था। पर, निशिया के बार-बार घर में आने, परिवार के सदस्यों को तरह-तरह का प्रलोभन देने तथा ऑफिस में नौकरी लगाने के नाम पर सुनीता उसके साथ दिल्ली जाने के लिए तैयार हो गई। जुलाई में ही वह दिल्ली चली गई। उसके दो-चार दिन बाद सुनीता ने दिल्ली से फोन कर अपनी मां को बताया कि वह दिल्ली में ठीकठाक है और एक ऑफिस में काम कर रही है। इसके बाद फिर कभी बात नहीं हुई।
अचानक 26 अक्टूबर को मांडर पुलिस उनके घर आई और उनसे उनकी बेटी के बाबत पूछताछ की। बताया कि उनकी बेटी को दिल्ली के एक घर से पुलिस ने मुक्त कराया है। इसके चार दिन बाद पुलिस पुन: उनके घर आई और उन्हें व उनकी पत्नी को अपने साथ यह कहते हुए रांची ले गई कि चलो वहां तुम्हें तुम्हारी बेटी से मुलाकात करानी है। रांची में बेटी से उनकी मुलाकात कराई गई। इसके बाद से मां-बाप को मांडर भेज दिया गया तो बेटी को शेल्टर होम।
बेटी की हालत देख कलेजा मुंह को आया : रांची में मुलाकात के दौरान बेटी की हालत देख उसके पिता व मां का कलेजा मुंह को आ गया। तीन महीने में ही सुनीता की हालत बदल गई थी। सुनीता ने उन्हें बताया कि दिल्ली ले जाकर महिला ने किसी ऑफिस में उसकी नौकरी नहीं लगवाई थी, बल्कि एक घर मे घरेलू काम पर लगा दिया था। जहां बीमार रहने पर भी उससे काम कराया जाता था।
उसकी व्यथा सुन वे हक्के-बक्के थे। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वे मजदूरी कर किसी तरह अपना जीवन यापन करते हैं। नौकरी के नाम पर बेटी दिल्ली गई थी, तो वे आस लगाए बैठे थे कि वह चार पैसे कमाएगी, तो उनकी भी थोड़ी मदद हो जाएगी। पर, बेटी की हालत देख उनकी आशा पर पानी फिर गया है। मां ने बताया कि वह ठीक से चल-फिर नहीं पाती है। चार बच्चों मे बड़ी बेटी का विवाह हो गया है।
दूसरी बेटी भी है दिल्ली में, एक साल से पता नहीं : परिवार की दूसरी बेटी भी करीब छह साल से भी अधिक समय से दिल्ली में है। वह एक साल पहले अपने भाई की शादी में घर आई थी। उसके बाद से उनका कोई संपर्क नहीं है। इधर, दूसरी बेटी की दर्द भरी दास्तान सुनने के बाद उनके दिल में डर समा गया है।
उन्हें लग रहा है कि कब वह घर आए और पहले की तरह ही रुखी-सूखी ही खाकर उनकी नजरों के सामने रहे। इसके अलावा अब उन्हें दूसरी बेटी की भी चिंता होने लगी है। कहीं उसकी भी हालत तो इस बेटी जैसा नहीं है। उन्होंने प्रशासन से नौकरी के नाम पर लड़कियों को बरगलाने व दिल्ली ले जाकर उनकी जिंदगी खराब करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।