दलों में नेताओं को शामिल करने की होड़
चुनाव करीब आता देख झारखंड में भी चुनाव भगदड़ मची है। नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला तेज हो चला है।
रांची, जेएनएन। कहते हैं कि राजनीति में स्थाई दोस्ती या दुश्मनी नहीं होती। दलों की विचारधारा भी कुछ खास मायने नहीं रखता, कभी इधर तो कभी उधर। चुनाव करीब आता देख झारखंड में भी कुछ ऐसी ही भगदड़ मची है। नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला तेज हो चला है।
नीति-सिद्धांत और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के जुमले यहां हवा में हैं। राजनीतिक दलों का एक ही एजेंडा है कि ज्यादा से ज्यादा जिताऊ नेताओं को अपने पाले में लाया जाए। हाल ही में कांग्रेस और भाजपा में नेताओं की हुई एंट्री इसकी बानगी है। वैसे यह सिलसिला चुनाव तक जारी रहेगा। राष्ट्रीय दलों के साथ-साथ सूबे के क्षेत्रीय दल भी इसका अनुसरण करेंगे। कांग्रेस तो इसमें एक कदम आगे ही है। हाल ही में गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल किया गया है। उनकी गुमनाम सी पार्टी जय भारत समानता पार्टी का विलय भी कांग्रेस में हो चुका है।
गीता कोड़ा के पति मधु कोड़ा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के किस्से मशहूर हैं। अनियमितता के मामलों में वह लंबे अरसे तक सलाखों के पीछे रहे। वह भ्रष्टाचार के आरोपों से अभी पूरी तरह से मुक्त नहीं हो पाए हैं, लेकिन कांग्रेस ने उदारता दिखाते हुए उन्हें पार्टी में एंट्री दे दी। बाकायदा नई दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के समक्ष उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इधर भाजपा ने पूर्व सांसद सूरज मंडल को अपनी पार्टी में शामिल किया है। उन्होंने झारखंड विकास दल नामक अपने संगठन का भाजपा में विलय कर दिया।
यह वही सूरज मंडल हैं जो कभी झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन के करीबी थे और सांसद रिश्वत कांड के आरोपी भी। उन पर 1990 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव की सरकार को रिश्वत लेकर बचाने का आरोप है। आश्चर्यजनक यह है कि भाजपा जब भी राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा को निशाना बनाती है तो रिश्वत कांड को याद करना नहीं भूलती। लेकिन शायद भाजपा को अब यह दाग अच्छे लग रहे हैं। इसकी वजह यह है कि भाजपा झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रभाव क्षेत्र वाले संताल परगना इलाके में उनका इस्तेमाल करेगी।
चर्चा है कि चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आएंगे, पाला बदलने की यह कवायद और तेज भी होगी। अलग-अलग दलों के नेताओं ने भी सहूलियत के हिसाब से नया घर तलाशना आरंभ कर दिया है। सबसे ज्यादा छटपटाहट हाशिये पर चल रहे अनेक नेताओं में है। इनकी कोशिश है कि एक अदद सुरक्षित सीट का भरोसा मिल जाए तो वे तुरंत पाला बदल लेंगे। इसके लिए सुगम माध्यम तलाशे जा रहे हैं। कोशिश इस स्तर पर है कि मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों में जगह बनाकर लोकसभा अथवा विधानसभा पहुंचने का रास्ता बनाया जा सके।
नेताओं के सैकड़ों आवेदन राजनीतिक दलों के पास पड़े हैं। इनकी स्क्रूटनी के लिए दलों ने खास रणनीतिकारों को जिम्मा भी दे रखा है। कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्हें वक्त का इंतजार करने की नसीहत दी गई है।
विवादों को हवा
झारखंड के महाधिवक्ता अजीत कुमार विवादों के घेरे में हैं। उन पर माइनिंग कंपनियों द्वारा सरकार को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति की राशि में सरकार का पक्ष कोर्ट में नहीं रखने का आरोप लगाया गया है। सबसे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने उनकी घेराबंदी की।
इसका महाधिवक्ता ने तत्काल प्रतिवाद करते हुए प्रक्रिया को सही बताया, लेकिन दूसरे दिन राज्य सरकार के वरीय मंत्री सरयू राय उनके खिलाफ उतर आए। उन्होंने महाधिवक्ता द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उन्हें कठघरे में खड़ा किया। उनका दावा था कि राज्य सरकार को इससे घाटा होगा। दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने एक माइनिंग कंपनी शाह ब्रदर्स को क्षतिपूर्ति के एवज में एकमुश्त जुर्माना देने का प्रावधान किया था, लेकिन महाधिवक्ता ने इससे हाई कोर्ट को अवगत नहीं कराया। उन्हें सरकार का पक्ष रखना चाहिए था। माइनिंग लीज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि कंपनियों को 100 फीसद जुर्माना एक बार में भरना होगा। इसमें देर करने पर 24 फीसद ब्याज चुकाना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इस मामले में रिविजन में जाना चाहिए।
यह पहला वाकया नहीं है। सरयू राय खनन के मुद्दे पर पहले भी सरकार को घेरते रहे हैं। पूर्ववर्ती सरकारों में भी उन्होंने कई बार खनन से संबंधित प्रक्रिया में अनियमितता को उठाया है। वह खनन कंपनियों को लीज देते वक्त भी मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट करा चुके हैं। उनका कहना है कि खनन लीज में दंड भुगतान करना कंपनियों की मजबूरी है। ऐसा नहीं करने पर सरकार सर्टिफिकेट केस कर सकती है। शाह ब्रदर्स मामले में अधिकारियों ने भी सरकार को लिखा है कि लीज कैंसिल होना चाहिए। महाधिवक्ता की घेराबंदी से विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का एक मौका मिल गया है।