बरियातू यूनिवर्सिटी कॉलोनी में सेवानिवृत्ति के बाद रहनेवाले अवैध, खाली होंगे फ्लैट
हाईकोर्ट ने पहले रिटायर्ड कर्मियों के नाम फ्लैट की रजिस्ट्री करने का आदेश दिया गया था। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। बरियातू स्थित रांची विश्वविद्यालय की कॉलोनी (यूनिवर्सिटी कॉलोनी) में सेवानिवृत्ति के बावजूद फ्लैट पर कब्जे को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी और अवैध करार दिया है, साथ ही इसे खाली कराने एवं जुर्माने के साथ किराया वसूलने का आदेश दिया है। खास बात यह कि रांची विवि के नाम पर बकाया राशि माफ करने के मूड में सरकार आ गई थी और इसके लिए प्रस्ताव भी कैबिनेट के लिए तैयार हो रहा था।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया। फैसले के अनुसार अवैध रूप से रहनेवाले लोगों से जुर्माने के साथ रेंट (पेनल रेंट) वसूलने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय मनोहर सप्रे और इंदू मल्होत्रा की अदालत ने रांची विश्वविद्यालय की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया है। इस फैसले से 150 से अधिक फ्लैटधारी सीधे प्रभावित होंगे।
अब क्या होगा - सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पेटिशनर सक्षम न्यायालय में अपील कर सकते हैं। - रांची विवि चाहे तो बोर्ड के साथ फ्लैट के आवंटन पर स्पष्ट निर्णय ले ताकि मौजूदा कार्यरत कर्मियों को फायदा हो। - विवि कर्मियों की सेवानिवृत्ति की तिथि से जुर्माना सहित किराया जोड़कर वसूल सकता है।
नए सिरे से अतिक्रमणकारियों की पहचान करेगा बोर्ड : बरियातू स्थित यूनिवर्सिटी कॉलोनी में सेवानिवृत्ति के बावजूद फ्लैट पर कब्जे को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैरकानूनी करार दिए जाने के बाद अब यहां रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ गई है। लंबे समय से यहां रह रहे लोग जहां बकाया रकम सरकार द्वारा माफ कर दिए जाने की उम्मीद में थे, वहीं इस त्योहारी सीजन में कोर्ट के फैसले ने उन्हें दोहरा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से 150 से अधिक फ्लैटधारी सीधे प्रभावित हो रहे हैं।
इस आदेश के बाद आवास बोर्ड अब नए सिरे से अतिक्रमणकारियों की पहचान कर कार्रवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही सख्ती से कहा है कि सेवानिवृत्त अथवा नौकरी से हटने के साथ ही कर्मियों को फ्लैट विश्वविद्यालय के हवाले कर देना चाहिए था। ऐसा नहीं करनेवाले अवैध और गैरकानूनी रूप से रह रहे हैं। इनसे फ्लैट खाली कराने एवं जुर्माने के साथ रेंट वसूलने का निर्देश दिया गया है।
फ्लैट में रहनेवाले लोग अगर चाहेंगे तो उन्हें जमा की गई राशि ब्याज के साथ बोर्ड लौटाएगा। दूसरी ओर, रांची विश्वविद्यालय के अधिवक्ता गोपाल प्रसाद ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया है, जिसमें हाई कोर्ट ने वहां रहने वाले लोगों के नाम से फ्लैट की रजिस्ट्री करने का आदेश दिया था। इसी आदेश को चुनौती देते हुए आरयू ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी।
1976 में 192 फ्लैट मिले थे आरयू को : अधिवक्ता गोपाल प्रसाद ने बताया कि 1976 में हाउसिंग बोर्ड ने बरियातू में 192 फ्लैट बनाकर आरयू को दिया था। इसके लिए आरयू को हाउसिंग बोर्ड को किस्तों में पैसे देने थे। आरयू ने सभी फ्लैट अपने कर्मचारियों को आवंटित कर दिए।
वर्ष 1992 में आरयू के तत्कालीन वीसी ने हाउसिंग बोर्ड को पत्र लिखकर किस्त की राशि देने में असमर्थता जताई और कहा कि जो लोग वहां पर रह रहे हैं उनसे पैसे लेकर उनके नाम से रजिस्ट्री कर दी जाए। इसके बाद हाउसिंग बोर्ड ने एक आदेश निकालकर इच्छुक लोगों से आवेदन मांगे। इस बीच आरयू के वीसी बदल गए और नए वीसी ने हाउसिंग बोर्ड को पत्र लिखकर अपने पूर्व के आदेश पर रोक लगाने की बात कही। इसके बाद बोर्ड ने आवेदन लेने संबंधित आदेश पर रोक लगा दी।
162 ने दिया था आवेदन : कवायद के बीच 162 लोगों ने कुछ राशि के साथ आवेदन भी कर दिया था। रजिस्ट्री नहीं होने पर इन लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। एकलपीठ ने इस संपत्ति को सार्वजनिक बताते हुए बोर्ड को सभी लोगों से आवेदन आमंत्रित करने का निर्देश दिया, जिसको आरयू ने खंडपीठ में चुनौती दी।
आरयू पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट 21 नवंबर 2006 को खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर दिया और आरयू को इस मामले में पार्टी मानने से इन्कार करते हुए बोर्ड को तीन माह में वहां रहने वाले लोगों को नाम से रजिस्ट्री करने का निर्देश दिया। 2007 में इस आदेश के खिलाफ आरयू सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुनवाई करते हुए अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और कहा कि वहां अवैध तरीके से रहने वाले लोगों को जुर्माने की राशि वसूलते हुए फ्लैट को खाली कराया जाए।
इनको माना जाएगा अवैध : आरयू अब उन लोगों की सूची बनाएगी, जो संस्थान से सेवानिवृत्त हो गए हैं लेकिन फ्लैट पर उनका कब्जा है। उक्त सूची को सरकार सौंपी जाएगी और अतिक्रमण हटाने के लिए आग्रह किया जाएगा। फिलहाल हाउसिंग बोर्ड का आरयू पर सात करोड़ रुपये बकाया है, जिसके भुगतान के लिए सरकार तैयार हो रही थी।
जल्द उठाएंगे कारगर कदम : सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाएगी। रांची विवि के प्रतिनिधियों से भी बात होगी। अजय कुमार सिंह, सचिव, नगर विकास एवं आवास विभाग। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है। किसी भी कानूनी कार्रवाई पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। डॉ. अमर कुमार चौधरी, रजिस्ट्रार, रांची विवि।