बकोरिया कांड : इनकाउंटर में मारे गए थे 12, एसपी व पूरी टीम हुई थी पुरस्कृत, डीजीपी ने दिया था सम्मान
बकोरिया कांड में पुलिस नक्सली मुठभेड़ के दौरान 12 लोग पुलिस की गोली से मारे गए थे।
रांची, राज्य ब्यूरो। पलामू के बकोरिया में आठ जून 2015 को कथित मुठभेड़ में मारे गए 12 लोगों के मामले में पुलिस की पूरी टीम पुरस्कृत की गई थी। घटना के दूसरे ही दिन नौ जून 2015 को डीजीपी डीके पांडेय, तत्कालीन एडीजी ऑपरेशन एसएन प्रधान आदि मौके पर पहुंचे थे। घटनास्थल पर ही डीजीपी डीके पांडेय ने पलामू के एसपी मयूर पटेल कन्हैयालाल व कोबरा की 209 बटालियन को एक-एक लाख रुपये नकद इनाम दिया था।
मौके पर उन्होंने झारखंड जगुआर की 11वीं बटालियन को भी सम्मानित किया था। इस अभियान में शामिल अन्य जवानों को भी सम्मानित करने की बात कही। इतना ही नहीं, मुठभेड़ में शामिल पूरी टीम की डीजीपी ने केंद्र में ब्रांडिंग भी की थी और शाबाशी ली थी। डीजीपी ने यह घोषणा भी की थी कि वे मुठभेड़ में एक दर्जन माओवादियों को मार गिराने में शामिल पुलिसकर्मियों और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवानों के लिए राष्ट्रपति पदक दिलाने के लिए केंद्र सरकार से अनुशंसा करेंगे।
मुठभेड़ में ये थे शामिल : पलामू जिला पुलिस, सीआरपीएफ, कोबरा व झारखंड जगुआर की पूरी टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई का दावा किया था। दावा किया गया था कि पुलिस की टीम ने कुख्यात माओवादी कमांडर अनुराग उर्फ आरकेजी उर्फ ब्रजेश उर्फ देवराज जी व उसके 11 अन्य सहयोगियों को मारा है।
...तब डीजीपी ने यह कहानी बताई थी : घटना के दूसरे दिन मौके पर पहुंचे डीजीपी ने बताया था कि 10 जून 2015 को लातेहार जिले के कुमंडी में पुलिस पिकेट का उद्घाटन होना था। सुरक्षा बलों को खबर मिली थी कि माओवादी पिकेट को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। इसी सूचना पर घटना के दो दिन पूर्व से ही पिकेट व इसको जोडऩे वाली सड़कों की रेकी की जा रही थी।
08 जून 2015 की रात पुलिस को सूचना मिली कि उग्रवादी कुमंडी से बैठककर दो वाहनों में सवार होकर मनिका की ओर जा रहे हैं। इसी सूचना के आलोक में एनएच 75 पर बकोरिया के समीप पुलिस ने नाकाबंदी कर दी थी। रात करीब 12.10 बजे जंगल से वाहन आते दिखे। इशारे पर भी वे नहीं रूके और आगे बढ़कर सुरक्षा बलों पर हमला कर दिए। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने डॉक्टर उर्फ अनुराग समेत 12 उग्रवादियों को मार गिराया। दोनों ओर से तड़के तीन बजे तक फायरिंग होती रही।