विपक्षी गठबंधन में गांठ, उठने लगी विरोध में आवाज
झारखंड में भाजपा के खिलाफ जोरशोर से विपक्षी गठबंधन बनाने की कवायद शुरुआत में ही फुस्स होती दिख रही है।
रांची, झारखंड में भाजपा के खिलाफ जोरशोर से विपक्षी गठबंधन बनाने की कवायद शुरुआत में ही फुस्स होती दिख रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के यहां विपक्षी दलों के दिग्गजों के जुटान के बाद सीटों के बंटवारे का खाका तैयार हुआ था। इसे लेकर कांग्रेस में ही मतभेद पैदा हो गया है। कांग्रेस का एक खेमा झारखंड विकास मोर्चा के साथ तालमेल का विरोध कर रहा है। इसकी एक बड़ी वजह गोड्डा लोकसभा सीट की दावेदारी है।
झारखंड विकास मोर्चा ने गठबंधन की स्थिति में गोड्डा सीट अपने लिए मांगी है। मोर्चा के प्रधान महासचिव सह विधायक प्रदीप यादव यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने इसका विरोध किया है। उनके विधायक पुत्र डॉ. इरफान अंसारी ने भी स्पष्ट कहा है कि गोड्डा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है।
इसे किसी अन्य को तालमेल के नाम पर नहीं दिया जाएगा। बेहतर यही होगा कि झारखंड विकास मोर्चा संग कांग्रेस तालमेल ही नहीं करे। इससे संताल परगना की अन्य सीटों पर विपक्षी गठबंधन कमजोर होगा। उन्होंने दावा किया कि गोड्डा में सबसे मजबूत स्थिति में कांग्रेस है और ऐसे में किसी अन्य के लिए यह सीट नहीं छोड़ी जा सकती है। आलाकमान को भी वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा वेट एंड वाच की स्थिति में
भाजपा के खिलाफ प्रस्तावित विपक्षी गठबंधन की कमान संभालने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी फिलहाल सीटों के बंटवारे को लेकर उदासीनता बनी हुई है। पार्टी के एक वरीय नेता के मुताबिक सीट शेय¨रग को लेकर कोई सहमति नहीं बनी है। सहमति को लेकर लगाई जा रही अटकलें बेमानी है। विपक्षी धड़े के तमाम दल आपस में बैठकर इसका फैसला करेंगे। सीटों के बंटवारे में जमीनी हकीकत के आधार पर फैसला किया जाएगा।
जगन्नाथपुर की विधायक गीता कोड़ा को आननफानन में कांग्रेस में शामिल कराने पर भी झारखंड मुक्ति मोर्चा में बेचैनी है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के रणनीतिकार यह मान रहे हैं कि चाईबासा संसदीय सीट पर दावेदारी के मद्देनजर कांग्रेस ने यह फैसला किया है जबकि चाईबासा संसदीय सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्वाभाविक दावेदारी है। जिले की एक विधानसभा सीट को छोड़कर सब पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा है।
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