फीडर से बिजली चोरी करा सरकार को चूना लगा रहे इंजीनियर
बिजली की व्यवस्था सुधारने के लिए की गई सरकार की कोशिश कुछ इंजीनियरों ने पानी फेर दिया है।
रांची, प्रदीप सिंह। बिजली की व्यवस्था सुधारने के लिए की गई सरकार की कोशिश कुछ इंजीनियरों की वजह से बेकार चली गई। लगभग चार वर्ष पूर्व राज्य बिजली बोर्ड का विखंडन कर चार स्वतंत्र कंपनिया बनाई गई थीं। दावा किया गया था कि ये कंपनिया घाटा शून्य होंगी। बिजली वितरण निगम जितनी आपूर्ति करेगा, उसी के अनुपात में उसकी राजस्व वसूली होगी लेकिन ये सारे दावे धरे रह गए।
निगम घाटे में है और इसकी एक बहुत बड़ी वजह बिजली की चोरी है। और ये चोरी ऐसे ही नहीं हो रही। जिन अफसरों पर चोरी रोकने का जिम्मा है उनकी मिलीभगत से ही इसको अंजाम दिया जा रहा है। उद्योगों को सीधे डेडिकेटेड फीडर से बिजली की चोरी करवाई जा रही है। गड़बड़ी पकड़े जाने पर लीपापोती की कोशिश होती है। कुल मिलाकर सरकार को सालाना लगभग 750 करोड़ रुपया बतौर रिसोर्स गैप चुकाना पड़ता है।
एसआइटी की जाच में हुआ खुलासा
-एचटीएसएस उपभोक्ताओं को रिले सेटिंग में परिवर्तन कर इंजीनियरों ने लाभ पहुंचाया
बिजली चोरी की लगातार शिकायतों के बाद निगम मुख्यालय ने एसआइटी का गठन किया तो चौकाने वाले खुलासे सामने आए। जमशेदपुर से सटे आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र और धालभूमगढ़ में डेडिकेटेड फीडर से बिजली ले रहे एचटीएसएस उपभोक्ताओं को रिले सेटिंग में परिवर्तन कर इंजीनियरों ने लाभ पहुंचाया। जब फीडर और मीटर की रीडिंग में भारी अंतर आया तो भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। अधिकतम डिमाड का तकनीकी परीक्षण करने में तैनात इंजीनियरों की टीम ने अनदेखी की। यही वजह थी कि बिजली की खपत के बावजूद मीटर रीडिंग का डेटा कम आया। इसका सीधा प्रभाव राजस्व वसूली पर पड़ा।
5.57 करोड़ का लगाया झटका
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की मेसर्स नानक इस्पात, मेसर्स नरेडी इंटरनेशनल एवं मेसर्स कामसा स्टील ने एक जनवरी 2015 से 31 दिसंबर 2017 तक सिंगल डेडिकेटेड फीडर से बिजली ली। इन तीनों औद्योगिक उपभोक्ताओं के फीडर मीटर रीडिंग का योग और कंच्यूमर मीटर रीडिंग के योग का अंतर 1,58,17,678 यूनिट रहा। इतनी बिजली खपत की राशि लगभग 5.57 करोड़ रुपये होती है। इसी प्रकार मेसर्स पूर्वी आयरन का अंतर 1,41,626 यूनिट रहा। इसकी राशि 5.36 लाख होती है। 23 नवंबर 2017 को एसआइटी टीम के गठन के बाद इन उपभोक्ताओं के दोनों मीटर रीडिंग का अंतर घटकर मैनेजेबल लिमिट के भीतर आ जाता है। एसआइटी ने पाया कि इससे यह स्पष्ट होता है कि उपभोक्ताओं को अवैध लाभ पहुंचाने में इंजीनियरों की सहभागिता रही। इसी प्रकार मेसर्स कृष्णा लक्ष्मी स्टील उद्योग प्राइवेट लिमिटेड के फीडर मीटर डाटा की रीडिंग कंच्यूमर मीटर डाटा की रीडिंग से काफी कम थी। इनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।
19 इंजीनियरों के खिलाफ चार्जशीट
बिजली वितरण निगम ने बिजली चोरी कराने में शामिल इंजीनियरों पर शिकंजा कसा है। इसमें कार्यपालक अभियंता पंकज तिवारी समेत 19 इंजीनियर शामिल हैं। सबके खिलाफ विभागीय कार्यवाही का संचालन किया जाएगा। इनका तबादला किया जा चुका है। हालाकि शुरूआती जाच की लपेट में चार दर्जन से ज्यादा इंजीनियर आए थे। जाच के दौरान आधे इंजीनियरों के खिलाफ साक्ष्य नहीं पाए गए। इसके कारण उन्हें कार्रवाई की प्रक्रिया से अलग किया गया।
सबको नौकरी से हटाने की तैयारी
चार्जशीट का जवाब देने के लिए दागी इंजीनियरों को 15 अक्टूबर तक का वक्त दिया गया है। इस दौरान ये जाच दल के समक्ष भी उपस्थित होंगे। तमाम प्रक्रिया पूरी किए जाने के बाद इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। इन्हें नौकरी से हटाने की भी तैयारी की जा रही है ताकि गलत कार्य में लगे अन्य इंजीनियरों को भी सबक मिल सके।
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