हाई कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी ; हत्या और अपहरण की जांच में पुलिस अफसर अक्षम
हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पुलिस की कार्यप्रणाली और क्षमता पर सवाल उठाए हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की कोर्ट ने पुलिसिया जांच पर तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पीडि़त को ही मामले में गवाह नहीं बनाया जाना पुलिस की बड़ी चूक है। हत्या व अपहरण जैसे मामलों की जांच करने वाले अधिकारी पूरी तरह से अक्षम हैं तो वे साइबर क्राइम के मामलों की जांच कैसे करेंगे।
अगर ऐसे ही रहा तो यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि किसी भी साइबर अपराधी को सजा नहीं मिल पाएगी, इसलिए इन मामलों की जांच प्रशिक्षित अधिकारी ही करें। हजारीबाग में विकास कुमार साव अपहरण के मामले में पुलिस ने पीडि़त को ही गवाह नहीं बनाया था। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए डीजीपी को हाजिर होने का निर्देश दिया था।
जस्टिस आनंद सेन की अदालत में बुधवार को डीजीपी डीके पांडेय हाजिर हुए। अदालत ने डीजीपी से कहा का पुलिस अनुसंधान में लापरवाही बरत रही है, जो मामले का पीडि़त है पुलिस उसे ही गवाह नहीं बनाती है। ऐसे अक्षम लोगों को अनुसंधान अधिकारी क्यों बनाया जाता है। कई ऐसे मामले हैं जिनमें तबादला और सेवानिवृत्त होने के बाद जांच अधिकारी और डॉक्टर कोर्ट में गवाही देने नहीं पहुंचते हैं। यह स्थिति गंभीर है।
इससे प्रतीत होता है कि जांच में पुलिस दिलचस्पी नहीं दिखाती और सिर्फ खानापूर्ति करती है। कोर्ट ने डीजीपी से पूछा कि क्या जांच अधिकारियों का आपके पास कोई डाटा है। डीजीपी ने अदालत को बताया कि जांच अधिकारियों का डाटा रखा जा रहा है, इससे पता चल जाएगा कि किस मामले की जांच कर रहे थे और उनका स्थानांतरण कहां किया गया है। अब इस तरह की लापरवाही नहीं होगी।
अदालत ने डीजीपी और महाधिवक्ता से कहा कि दोनों मिलकर एक ऐसी व्यवस्था तैयार करें, जिसमें कोर्ट के आदेश सही तरीके से संबंधित जिलों और लोगों तक पहुंच सके। इसके लिए आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली बेंच में एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को नोडल अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जा सकता है ताकि कोर्ट के सभी आदेश को जिलों के संबंधित पदाधिकारियों तक पहुंचाया जा सके।
यह था मामला : वर्ष 2013 में विकास कुमार साव का अपहरण हुआ था। हालांकि पुलिस ने उसे बरामद भी कर लिया था। इस मामले में लक्ष्मण सिंह सहित 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। लक्ष्मण कुमार ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसपर सुनवाई के दौरान यह मामला सामने आया है।