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ईस्टर्न जोन काउंसिल की बैठक में सीएम रघुवर ने उठाया मसानजोर का मामला

झारखंड और पश्चिम बंगाल से जुड़े मसानजोर डैम पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विस्तार से अपनी बात रखी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 03:51 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 07:26 PM (IST)
ईस्टर्न जोन काउंसिल की बैठक में सीएम रघुवर ने उठाया मसानजोर का मामला
ईस्टर्न जोन काउंसिल की बैठक में सीएम रघुवर ने उठाया मसानजोर का मामला

राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को कोलकाता में हुई ईस्टर्न जोन काउंसिल की बैठक में दुमका के मसानजोर डैम के विवाद का मामला उठाया। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई ईस्टर्न जोन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी सहित अन्य पूर्वी क्षेत्र के राज्य के प्रतिनिधि मौजूद थे। झारखंड और पश्चिम बंगाल से जुड़े मसानजोर डैम पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने विस्तार से अपनी बात रखी।

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बैठक में तय हुआ कि इस मसले के समाधान के लिए दोनों राज्यों के बीच अधिकारी स्तर पर बातचीत होगी। दोनों मुख्यमंत्री इस बात पर सहमत थे कि बातचीत के माध्यम से विवाद का हल निकाला जाना चाहिए। साथ ही, दोनों राज्यों के विकास के लिए जरूरी है कि साथ मिलकर काम करे और परस्पर सहयोग की भावना रखे।

गौरतलब है कि मसानजोर डैम के जल बंटवारे और स्वामित्व के अधिकार को लेकर दोनों राज्यों के बीच खासा विवाद चलता रहा है। हाल ही में डैम के रंग रोगन को राजनीतिक रंग देने को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद बढ़ा था। राज्य सरकार की मंत्री लुइस मरांडी ने कहा था कि मसानजोर डैम की ओर जो आंख उठाकर देखेगा उसकी आंखें निकाल ली जाएगी। पश्चिम बंगाल सरकार पहले एग्रीमेंट की डीड दिखाए फिर स्वामित्व का दावा करे।

जानें, क्या है मसानजोर विवाद
-मसानजोर डैम के निर्माण के दौरान बिहार और बंगाल के बीच 12 मार्च 1949 को मयूराक्षी जल बंटवारे पर पहला समझौता हुआ था।
-देवघर की त्रिकुट पहाड़ी से निकलकर करीब 203 किलोमीटर तक बहने वाली मयूराक्षी के कुल जलग्रहण क्षेत्र 8,530 वर्ग किलोमीटर में से 2070 वर्ग किलोमीटर जलग्रहण क्षेत्र झारखंड में और शेष 6460 वर्ग किलोमीटर बंगाल में है।
-इसमें मसानजोर जलाशय से तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) में 81,000 हेक्टेयर जमीन की खरीफ और 1050 हेक्टेयर पर रबी फसल तथा पश्चिम बंगाल में 2,26,720 हेक्टेयर खरीफ और 20,240 हेक्टेयर रबी फसलों की सिंचाई का प्रावधान किया गया था।
- समझौते के अनुसार निर्माण, मरम्मत तथा विस्थापन का पूरा व्यय बंगाल सरकार को वहन करना है। इतना ही नहीं विस्थापितों को सिंचित जमीन भी देनी थी।
-दूसरा समझौता 19 जुलाई 1978 को हुआ था, जिसमें मयूराक्षी के अलावा इसकी सहायक नदियों सिद्धेश्वरी और नून बिल के जल बंटवारे को भी शामिल किया गया था।
-इस समझौते के अनुसार मसानजोर डैम का जलस्तर कभी भी 363 फीट से नीचे न आए, इसका ध्यान बंगाल सरकार को पानी लेते समय हर हालत में रखना था ताकि झारखंड के दुमका जिले की सिंचाई प्रभावित न हो।
- बंगाल सरकार को एक अतिरिक्त सिद्धेश्र्वरी -नूनबिल डैम बनाना था, जिसमें झारखंड के लिए डैम के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र का 10,000 एकड़ फीट पानी दुमका जिला के रानीश्वर क्षेत्र के लिए रिजर्व रखना था।
-सिंचाई आयोग ने पाया था कि मसानजोर डैम के पानी का जलस्तर हर साल 363 फीट से काफी नीचे आ जाता था। इसकी मूल वजह यह थी कि बंगाल डैम से अधिक पानी लेता था।
-मसानजोर डैम से दुमका जिले की सिंचाई के लिए पंप लगे थे, जो हमेशा खराब रहते थे, जबकि इनकी मरम्मत बंगाल सरकार को करनी है।

रोहिंग्या की पहचान के लिए राज्य सरकारें एकत्रित करें बायोमेट्रिक्स: राजनाथ सिंह
रोहिंग्या मुद्दे को हल करने के लिए केंद्र की नीतियों को रेखांकित करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि सभी राज्यों को अवैध घुसपैठियों के बायोमेट्रिक्स एकत्र करने को कहा गया है। इस पर राज्य सरकारों को एक रिपोर्ट भी भेजने को कहा गया है जिसके बाद केंद्र सरकार म्यांमार की सरकार से राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत करेगी। यहां राज्य सचिवालय नवान्न में 23 वीं पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिंह ने राज्य सरकारों को यह भी आश्वासन दिया कि यदि आवश्यकता पड़ी तो केंद्र पर्याप्त संख्या में केंद्रीय बलों को भी मुहैया कराएगा।

गृहमंत्री ने कहा, 'राज्यों को उनकी (रोहिंग्या) पहचान करने को कहा गया है। उनसे बायोमेट्रिक्स भी लेना होगा। इसके बाद, वे केंद्र को एक रिपोर्ट भेजेंगे। तब केंद्र सरकार म्यांमार के साथ राजनयिक चैनलों के माध्यम से आगे की पहल करेगी और हम इस मसले का हल निकालेंगे।'

राजनाथ सिंह का बयान आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद आया है जिसमें कोर्ट ने कहा है कि सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड नहीं मिले। गृहमंत्री ने राज्यों को यूआइडीएआइ के साथ उन अवैध प्रवासियों के विवरण साझा करने के लिए भी कहा जो गलत तरीके से आधार कार्ड बनाने में सक्षम हुए हैं ताकि उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जा सके।

सोमवार की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने शिरकत की। वहीं, ओडिशा की ओर से वहां के वित्त मंत्री शशि भूषण बेहरा ने भाग लिया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 40,000 से अधिक रोहिंग्या अवैध रूप से रह रहे हैं, जिनमें से अधिकतर जम्मू-कश्मीर में रह रहे हैं।

उधर, राजनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अलग से बैठक की। इस बैठक में आर्थिक पैकेज, एनआरसी, बंगाल का नाम बदलने समेत कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इसके अलावा दोनों नेताओं के बीच चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर भी बातचीत हुई। सूत्रों के मुताबिक राजनाथ और ममता के बीच करीब 50 मुद्दों पर बातचीत हुई जिसमें से 30 पर दोनों सरकार रजामंद हुईं हैं। 


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