Move to Jagran APP

लोकमंथन विचारों का कुंभ, चलता रहना चाहिए प्रज्ञा का प्रवाह

रांची। लोकमंथन के समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सामाजिक पहलुओं को बड़ी साफग

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 01:13 AM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 07:16 AM (IST)
लोकमंथन विचारों का कुंभ, चलता रहना चाहिए प्रज्ञा का प्रवाह
लोकमंथन विचारों का कुंभ, चलता रहना चाहिए प्रज्ञा का प्रवाह

रांची। लोकमंथन के समापन समारोह में लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सामाजिक पहलुओं को बड़ी साफगोई से छुआ और संवाद की महता पर बल दिया। शुरूआत में हीं उन्होंने वैचारिक प्रवाह पर बल देते हुए कहा कि प्रज्ञा का प्रवाह चलता रहना चाहिए तभी विचारों का मंथन होता रहेगा। दो साल पहले भोपाल में भी ऐसा ही आयोजन हुआ था। यह राष्ट्रीय पुनर्निर्माण की सोच है। वाद-संवाद से हीं कुछ बोध होगा। यह कुंभ मेले जैसा है। उन्होंने बीस वर्ष पूर्व इंदौर में एक कार्यक्रम के दौरान रामकृष्ण मिशन के संत आत्मानंद के सम्मुख यह सवाल उठाया था कि नदियों के किनारे कुंभ का आशय क्या है। उन्होंने स्पष्ट किया कि साधु लंबी अवधि तक देश,काल का अभ्यास करता है। वह नदी के किनारे आकर विचारों का मंथन करता है कि 12 साल तक समाज का विचार और व्यवहार क्या रहा और आगे इसकी दिशा क्या होगी? यह होता रहना चाहिए। युवाओं की भूमिका भी उन्होंने बखूबी इंगित किया। कहा, विश्वामित्र ने राजा दशरथ से दोनों पुत्र मांगे। वे समर्थ थे। दशरथ स्वयं राक्षसों का मुकाबला करने को तैयार थे लेकिन विश्वामित्र ने उन्हें समझाया। किशोर अवस्था के युवाओं को देश, काल की परिस्थिति से अवगत कराया। वही काम समर्थ रामदास और स्वामी विवेकानंद ने किया। सोचना होगा कि मेरा देश क्या है? हमारे लिए राष्ट्र पहले होना चाहिए।

loksabha election banner

उन्होंने देश की महता का जिक्र करते हुए कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातात्रिक देश है। सभी के मन में मेरा राष्ट्र का भाव जरूरी है, नहीं तो प्रजातंत्र का लक्ष्य समाप्त हो जाएगा। प्रजातंत्र में अधिकार व कर्तव्य का साथ-साथ होना जरूरी है। हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश के लिए कुछ करे। हमें देश के प्रति जागरूक रहना होगा। प्रजातंत्र जनता का, जनता के लिए व जनता के द्वारा शासन है। इसलिए सरकार के साथ- साथ जनता की भी भागीदारी आवश्यक है। जब हम देश व अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक नहीं थे तो हमारे देश को लूटा गया।

सुमित्रा महाजन ने कहा कि प्रजातंत्र में सरकार की आलोचना जरूरी है लेकिन आलोचना से सकारात्मक सोच आनी चाहिए। देश में सामाजिक समरसता के लिए आत्मचिंतन, आत्मनिरीक्षण जरूरी है। आजादी के 70 साल के बाद हम कहा पहुंचे हैं, इसका चिंतन जरूरी है। लोकमंथन विचारों का कुंभ है। इसमें देश, काल व स्थिति पर तीन दिन मंथन हुआ है। प्रज्ञा प्रवाह की परिकल्पना वाद और संवाद है। संवाद से समाज के लिए भविष्य की दिशा तय होती है।

----


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.