गर्भावस्था में मां रखे विशेष ध्यान, पैदा होगा स्वस्थ और संस्कारी बच्चा
गर्भवती महिलाओं को फील गुड योगा आसन, प्राणायाम से स्वस्थ तन, राजयोग मेडिटेशन करना चाहिए।
रांची, जागरण संवाददाता। अद्भुत मातृत्व फॉग्सी संस्था की पहल पर फील गुड योगा आसन, प्राणायाम से स्वस्थ तन, राजयोग मेडिटेशन से शांत एवं शक्तिशाली मन तथा महिलाओं के लिए विशेष स्वास्थ्य कार्यक्रम रांची ऑब्स एंड गायनी सोसायटी तथा ब्रह्माकुमारी इश्वरीय विश्व विद्यालय के तत्वावधान में रिम्स ऑडिटोरियम में शनिवार को किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होनें कहा की दुनियां का सबसे बड़ा संपदा मानव मंा के बदौलत ही इस धरती पर आता है। मां का नाम लेते ही आखों के सामने त्याग तपस्वी और मुस्कुराने वाला चेहरा सामने आता है। कहा की समाज का हर व्याक्ति हर नारी को चाहे वह किसी भी आयु, जाति का देश की हो देवी स्वरूप समझे। उसमें मां जगदम्बा का रूप देखे, उसे जगत को जन्म देने वाली, पालना देने वाली और प्रभू की प्रतिनिधि समझे।
वह बच्चे को नौ माह कोख में रखती है। वह उनके जीवन का गोल्डेन समय होता है। जब बच्चे मां की कोख में रहता है उस समय मां का खान-पान, सोच, व्यवहार, क्रियाकलाप का असर बच्चों पर परता है। इस लिए मां को गर्भावस्था के समय अच्छी-अच्छी बातें सोचना चाहिए। तनाव से दूर रहते हुए स्वच्छ विचार पालना चाहिए। जिससे संस्कारी व स्वस्थ बच्चा पैदा होगा। जो कलयुग को सतयुग की ओर ले जाएगा। साथ ही माता योग का भी सहारा लें।
मंत्री सीपी सिंह ने कहा की जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ, परिपक्व और मजबूत होता है तो उसके कर्मों में भी कुशलता और प्रवीनता आ जाती है। यह सब राजयोग के अभ्यास से ही संभव है। मनुष्य दो चीजों से मिलकर बना है एक शरीर और दूसरा चैतन्य आत्मा। मुम्बई से पधारी प्रसिद्ध गायनी चिकित्सक एवं अद्भुत मातृत्व के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. शुभदा नील ने कहा मातृत्व की जिम्मेदारी अद्भूत है। इस दायित्व को पूरा करने के लिए एक मां को खान पान, विचार और व्यवहार इन सभी का बखुबी ख्याल रखना चाहिए।
पहले हमें यह सोचना चाहिए कि हम जो कुछ कर रहे हैं, उसका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जब हम आध्यात्मिक जागृति से कार्य करेंगे, तब ही हम चिकित्सा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद कर सकते हैं। उन्होनें कहा की सामान्य प्रसव के लिए महिलाओं को व्यायाम तथा सामान्य आसन करते रहना चाहिए। जिससे प्रसव में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो। मुम्बई से पधारे हुए मोटिवेशनल स्पीकर माइंड एंड मेमोरी मेनेजमेन्ट प्रोफेसर ई व्ही स्वामीनाथन ने कहा बच्चे पर सबसे पहला प्रभाव मां का पड़ता है। मां जैसा चाहे बच्चे को वैसा संस्कार दे सकती है।
गायनी सोसाइटी रांची के अध्यक्ष डॉ. रेणुका सिन्हा ने कहा कि आध्यात्मिक शांति से ही संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त हो सकता है। आध्यात्मिक ज्ञान व्यक्ति को सही मायने में श्रेष्ठ, संयमित, आदर्श और खुशी के साथ जीवन जीने की कला सिखाता है। राजयोग से विचारों में सकारात्मता आती है। इससे मन शांत होता है और तनाव दूर हो जाता है। रिम्स के निदेशक आरके श्रीवास्तव ने कहा कि संतान दिव्य तथा सर्वगुण संपन्न हो इसलिए गर्भवती महिलाओं को राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास जरूर करना चाहिए।
जैसा अन्न वैसा मन धारणा के तहत गर्भावस्था में महिलाओं को शुद्ध शाकाहारी भोजन करना चाहिए। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय सेवा केन्द्र चौधरी बगान, हरमू रोड की संचालिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जैसा अन्न वैसा हमारा मन होता है, इसलिए माता का आहार शुद्ध सकारात्मक विचारों से संपन्न, सात्विक और सर्व आवश्यक तत्वों से परिपूर्ण एवं संतुलित और साथ में सम्पूर्ण पोषण करनेवाला हो।
व्यायाम की वजह से मांसपेशियों की कार्यक्षमता बनी रहती है और कुदरती प्रसूति होने में मदद मिलती है। कार्यक्रम में गायनी सोसायटी के विशेष चिकित्सकगण तथा सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास किया गया।