विदेशी तत्व भारतीयों को धर्म का ज्ञान ना दें : स्वामी नरसिंहानंद
रांची : लोकमंथन कार्यक्रम में भाग लेने आए उत्तराखंड केचंपावत जिले के मायावती में स्थापित रामकृ
रांची : लोकमंथन कार्यक्रम में भाग लेने आए उत्तराखंड केचंपावत जिले के मायावती में स्थापित रामकृष्ण मठ के स्वामी नरसिंहानंद ने विभिन्न विषयों पर शनिवार को दैनिक जागरण से खुलकर बातचीत की। वे ¨हदी, अंग्रेजी, बंगाली, तमिल एवं मलयाली भाषा के जानकार हैं। एक सत्र में उनका संबोधन भी हुआ था। उन्होंने बातचीत में धर्मातरण के मुद्दे पर कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सितंबर 1893 में ही शिकागो की धर्म महासभा में कहा था कि भारत को धर्म प्रचारकों की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि भारत हमेशा ही धर्म और आध्यात्मिकता के विभिन्न धाराओं की भूमि रही है। मैं मानता हूं कि स्वामी जी द्वारा कही गई बातें आज भी सत्य है। यहां विदेशी तत्वों को धर्म का ज्ञान देने की जरूरत नहीं है। धर्म के नाम पर अशांति या किसी प्रकार की जबदस्ती करने की जरूरत नहीं है। भारत में शिक्षा, अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य इत्यादि क्षेत्रों पर ध्यान देना चाहिए। लोकमंथन कार्यक्रम का समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में कहा कि चर्चा में समाज की प्राचीन व्यवस्था को वर्तमान में कैसे लागू किया जा सकता है इन विषयों पर मंथन हुआ है। इसका असर तब दिखेगा जब समाज तक इन विचारों का प्रचार-प्रसार होगा। जब ऐसा होगा तब आम व्यक्ति एक थोपी हुई चिंता प्रणाली से हटकर स्वतंत्र रूप से भारतीय परंपराओं के अनुसार सोच प्रकट करेगा। इसी सोच से समाज व्यवस्था, अर्थ व्यवस्था, आत्मानुभूति आदि के नए-नए रास्ते निकलकर आएंगे।
युवा पीढ़ी को धर्म और मूल्य की शिक्षा मिले :
स्वामीजी ने कहा कि युवा पीढ़ी को धर्म और मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए। यह आज के तकनीक के युग में नहीं मिलती है। युवा पीढ़ी को इस धरोहर से वंचित किया जा रहा है। इस पर परिवार एवं समाज को चिंता करने की जरूरत है। स्कूलों को भी इस तरह की शिक्षा पद्धति पर ध्यान देना होगा।
----