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समाजशास्त्री विकास के साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ाएं

रांची : विधानसभाध्यक्ष डॉ. दिनेश उराव ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में हर क्षेत्र में बदलाव

By JagranEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 07:21 AM (IST)Updated: Sun, 30 Sep 2018 07:21 AM (IST)
समाजशास्त्री विकास के साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ाएं
समाजशास्त्री विकास के साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी बढ़ाएं

रांची : विधानसभाध्यक्ष डॉ. दिनेश उराव ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में हर क्षेत्र में बदलाव हो रहा है। समाजशास्त्री विकास के साथ सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजते हुए आगे बढ़ाएं। सरकार विकास के लिए योजनाएं बनाते हैं, जिसमें समाजशास्त्रियों द्वारा दिए गए सुझाव को भी शामिल किया जाता है। वे शनिवार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग और राची विवि के पीजी समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन समारोह में बोल रहे थे। इसका विषय भूमंडलीकरण के युग में सामाजिक बदलाव और चुनौतिया था। इस मौके पर पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. पारस चौधरी द्वारा लिखित पुस्तक समाजशास्त्र के सिद्धात का विमोचन हुआ। अतिथियों का स्वागत डॉ. सुरेंद्र पाडेय और मंच संचालन डॉ. कमल बोस ने किया। धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. पीके सिंह ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. मिथिलेश, प्रो. अशोक सिंह, डॉ. भीम प्रभाकर, डॉ. पारस चौधरी, डॉ. विनोद नारायण, डॉ. मनोज, डॉ. सोनी कुमारी आदि का योगदान रहा।

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भूमंडलीकरण के चकाचौंध से बचना जरूरी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रांची विवि की प्रोवीसी डॉ. कामिनी कुमार ने कहा कि सेमिनार का विषय अत्यंत ही प्रासंगिक है। बदलाव शास्वत प्रक्रिया है, जिसका प्रभाव समाज और परिवार पर भी पड़ रहा है। भूमंडलीकरण के चकाचौंध से बचना आसान नहीं होगा। सीसीडी डॉ. गिरजा शकर शाहदेव ने कहा कि भूमंडलीकरण से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समाजशास्त्रियों को आगे आना होगा।

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लोकतंत्र में मूल्यों का होना जरूरी

इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी के सचिव डॉ. बीआर साहू ने कहा कि लोकतात्रिक व्यवस्था में मूल्यों का होना जरूरी है। भूमंडलीकरण के दौर में हो रहे विकास के कारण कई चुनौतिया भी हैं जिसे दूर करने के लिए आर्गेनिक इंटलेक्चुअल बनना होगा। पटना विवि के पूर्व कुलपति डॉ. जेपी सिंह ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन को प्रायोजित कहा जाता है, लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं।

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222 रिसर्च पेपर प्रस्तुत किए गए

झारखंड में पहली बार समाजशास्त्र विषय पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। इसमें कुल 222 प्रतिभागियों ने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। इसमें नेपाल यूनिवर्सिटी ग्राट कमीशन के डॉ. केदार आचार्य और बाग्लादेश के ए. इस्लाम भी शामिल हुए।


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