एक दूसरे से मांगी क्षमा, आंखें हुई नम
रांची : जैन धर्मावलंबियों का पर्यूषण पर्व बुधवार को क्षमावाणी के साथ संपन्न हो गया। इस अवसर प
रांची : जैन धर्मावलंबियों का पर्यूषण पर्व बुधवार को क्षमावाणी के साथ संपन्न हो गया। इस अवसर पर सुबह अपर बाजार दिगंबर जैन मंदिर व रातू रोड स्थित भगवान वासुपूज्य जिनालय में श्रद्धालुओं नें नित्य पूजा अर्चना के बाद भगवान जिनेंद्र देव को पाडुशिला पर विराजमान कर तालियों की गड़गड़ाहट, घट ध्वनि व मंत्रोच्चारण के साथ शातिधारा की गई। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे से क्षमा मांगी। इस तरह यह पर्व संपन्न हो गया।
इस मौके पर सुबल महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि अगर हम धर्म के मर्म को समझ जाएं, तो संसार के सभी झगड़े समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा, हम अपनी गलती को बार-बार दोहराते हैं। हर वर्ष क्षमावाणी के दिन क्षमा मागते हैं और मुनि क्षमामय जीवन जीते हैं। हमें यह सोचना होगा कि हमने जिससे बैर भाव रखा, उससे मेरा कितने दिन का संबंध है। कल इसे छोड़ना पडे़गा। जब तक बैर भाव की भावना रखोगे तब तक मानव जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। मुनि श्री ने कहा कि अग्नि को बुझाया नहीं जा सकता। अग्नि जल से बुझती है। गाली का जबाव मीठी वाणी से देना होगा। जब तुम्हें कोई गाली दे, तो तुम उसके गले में फूलों का हार पहना दो, जबाव देना बंद कर दो। तुम्हारी शत्रुता के भाव समाप्त हो जाएंगे। मनुष्य जैसा कर्म करता है उसको वैसा ही फल मिलता है। तुम्हारी कोई निंदा करे, तो तुम जबाव मत दो।
सुबल सागरजी ने की क्षमा याचना
क्षमावाणी पर्व के मौके पर मुनि श्री
सुबल सागरजी ने अपने संघ के शिष्यों से क्षमा याचना की। इस दृश्य को देख कर श्रद्धालुओं की आखों से आसू छलक गए। इसके बाद लोगों ने एक दूसरे से क्षमा याचना की। छोटे लोगों ने बुजुर्गो के पांव छूकर क्षमा मांगी।