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एक ऐसा गांव जहां 50 फीसद महिलाएं विधवा, पड़ताल में मिले चौंकाने वाले तथ्य

आदिवासियों का एक ऐसा गांव है, जहां 50 फीसद महिलाएं विधवा हैं। वहीं, एक ऐसा भी गांव है जहां हाल के वर्षों में किसी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 02:14 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 02:14 PM (IST)
एक ऐसा गांव जहां 50 फीसद महिलाएं विधवा, पड़ताल में मिले चौंकाने वाले तथ्य
एक ऐसा गांव जहां 50 फीसद महिलाएं विधवा, पड़ताल में मिले चौंकाने वाले तथ्य

राज्य ब्यूरो, रांची। आदिवासियों की आबादी घटने की पड़ताल में जुटी जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की उपसमिति को चौंकाने वाले तथ्य मिल रहे हैं। उप समिति ने छह जिलों दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, लोहरदगा, गुमला और सिमडेगा का दौरा करने के बाद मंगलवार को इन जिलों में सामने आई बातों पर मंथन किया। ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन छह जिलों से आदिवासियों की जनसंख्या से संबंधित जातिवार आंकड़े उपायुक्तों से एक सप्ताह के भीतर मंगाने का निर्णय लिया गया। यह भी तय किया गया कि आबादी घटने के कारणों की विस्तृत और वैज्ञानिक आधार पर जांच और शोध की जरूरत है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की बड़ी जिम्मेदारी हो सकती है।

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बताया जाता है कि सब कमेटी को मुख्य रूप से संताल के जिलों में कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। दुमका में आदिवासियों का एक ऐसा गांव है, जहां 50 फीसद महिलाएं विधवा हैं। वहीं, एक ऐसा भी गांव है जहां हाल के वर्षों में किसी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है। हालांकि उन गांवों का खुलासा नहीं किया गया। आदिवासियों की आबादी घटने में पलायन, शिक्षा की कमी और स्वास्थ्य संबंधित जागरुकता व सुविधाओं का अभाव, अंधविश्वास को भी कारण बताया गया। सबकमेटी ने कई विभागों से आदिवासियों से संबंधित आंकड़े मांगे हैं। जैसे, स्वास्थ्य विभाग से आदिवासियों की जन्म दर, मृत्यु दर व अन्य सूचकांकों की विस्तृत जानकारी मांगी है। कितने आदिवासी कैदी जेल में कब से बंद हैं, इसकी जानकारी कारा प्रशासन से मांगी गई है।

बैठक में यह भी तय हुआ कि उपसमिति चार अक्टूबर को खूंटी, पांच अक्टूबर को चाईबासा, सरायकेला-खरसावां तथा छह अक्टूबर को पूर्वी सिंहभूम का दौरा कर वहां कारणों की पड़ताल करेगी। विभिन्न जिलों में कार्यशालाएं आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया, जिसमें भी आदिवासियों के घटने के कारणों पर मंथन होगा।बैठक में मंत्री के अलावा विधायक ताला मरांडी, गंगोत्री कुजूर, पूर्व गृह सचिव जेबी तुबिद, रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के निदेशक रणोंद्र कुमार, आदिवासी कल्याण आयुक्त गौरी शंकर मिंज आदि उपस्थित थे। बैठक में विधायक शिवशंकर उरांव व पूर्व मंत्री हेमलाल मुमरू उपस्थित नहीं हो सके। इस उपसमिति को दिसंबर तक विस्तार मिला है।

लोहरा, लोहार को आदिवासी का दर्जा मिलने में पेच

मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में ही गठित जनजातीय परामर्शदातृ समिति की दूसरी उपसमिति की भी हुई बैठक में बड़ाइक, चिक बड़ाइक, तांती, कपाट मुंडा, भुइंहर मुंडा, लोहार, लोहरा को आदिवासी का दर्जा देने पर चर्चा हुई। बताया जाता है कि उपसमिति में लोहरा और लोहार को ही अनुसूचित जनजाति में शामिल करने पर आपत्ति है, अन्य में नहीं। लोहरा और लोहार जाति के बुद्धिजीवियों, गांव प्रधान आदि की बैठक कर उनका पक्ष जाना जाए।


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