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वर्षो से अधूरे पड़े और जर्जर सरकारी भवनों को ध्वस्त करने का दिया निर्देश : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जर्जर सरकारी भवनों और वर्षो से अधूरे पड़े भवनों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया है।

By Edited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 07:19 AM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 08:03 AM (IST)
वर्षो से अधूरे पड़े और जर्जर सरकारी भवनों को ध्वस्त करने का दिया निर्देश : मुख्यमंत्री
वर्षो से अधूरे पड़े और जर्जर सरकारी भवनों को ध्वस्त करने का दिया निर्देश : मुख्यमंत्री

रांची, जेएनएन। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जर्जर सरकारी भवनों और वर्षो से अधूरे पड़े भवनों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया है। उन्होंने यह निर्देश मुख्यमंत्री जनसंवाद कार्यक्रम में उठे मामलों की सुनवाई के दौरान दिया। हजारीबाग से शिकायत पहुंची थी कि जिले में 200 के करीब ऐसे भवन हैं जो वर्षो से अधूरे हैं और इनके एवज में बड़े पैमाने पर राशि की भी निकासी कर ली गई है।

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हजारीबाग उपायुक्त ने ऐसे करीब 15 भवन होने की बात कही लेकिन मुख्यमंत्री ने उपायुक्त को शिकायतकर्ता से मिलकर पूरी जानकारी लेने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया। सीएम ने कहा कि पता लगा लें कि उक्त भवन का उपयोग है अथवा नहीं और जरूरत नहीं हो तो इसे ध्वस्त करवा दें अन्यथा इसे दुरुस्त कराने का प्रस्ताव तैयार कराएं।

इसके साथ ही उन्होंने राज्य के सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया है कि वे अपने जिलों में पुराने भवनों और जर्जर भवनों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय को एक सप्ताह में भेजें। अगले मंगलवार को इस मामले की समीक्षा होगी। सीएम ने इस दौरान टिप्पणी की कि कई इलाकों में नए स्कूल भवन बन गए हैं लेकिन पुराने जस के तस बगल में पड़े हुए हैं। ऐसे जर्जर भवनों से छवि खराब होती है। इन्हें ध्वस्त करने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश उन्होंने दिया।

मुख्यमंत्री ने मंगलवार को 15 नए मामलों के साथ-साथ कुल 18 मामलों की समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।

दो अक्टूबर तक हर हाल में बने शौचालय :

पश्चिम सिंहभूम जिले के सुरबुरा गांव से लोगों ने शिकायत की थी कि गांव में शौचालय नहीं बन पाया है। जानकारी दी गई कि मुखिया के नाम से शौचालय निर्माण की योजनाएं स्वीकृत थीं लेकिन काम नहीं किया गया। सीएम ने इस मामले में उपायुक्त को 2 अक्टूबर के पूर्व शौचालयों का निर्माण कर लेने को कहा है। ग्रामीणों के साथ बैठक कर मुआवजा तय करें, मुझे भी बुलाइए चतरा से पानू कुंवर की शिकायत थी कि उनकी जमीन का पर्यटन विभाग ने 2013 में अधिग्रहण किया था लेकिन अभी तक मुआवजा नहीं मिला।

इस मामले में जानकारी दी गई कि बीच में मुफ्त जमीन देने की बात आई थी लेकिन पहले ही अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो गई थी और इस कारण अब ग्रामीण पैसा लेकर जमीन देना चाहते हैं। कुल 31 करोड़ रुपये जमीन के अधिग्रहण में सरकार को लगेंगे। उपायुक्त ने बताया कि इसके लिए पर्यटन विभाग से फंड नहीं मिला है। मामले में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रक्रियाओं में जाने से एक से डेढ़ साल का समय लगेगा।

उन्होंने डीसी से ग्रामीणों संग बैठक कर पैकेज तय कर भुगतान करने का निर्देश दिया। कहा, जरूरत होगी तो मुझे भी बुला लें लेकिन जल्द मुआवजा भुगतान होना चाहिए। गढ़वा में सड़क के लिए अतिरिक्त भूमि का नहीं होगा अधिग्रहण गढ़वा जिले के रमना से मझिआंव तक की सड़क के लिए जमीन का अधिग्रहण कर सड़क निर्माण कराया गया है।

इस मामले में जमीन गंवाने वालों को मुआवजा का भुगतान नहीं किया गया है। विभागीय सचिव केके सोन ने बताया कि 85 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बना था जिसमें आवश्यकता से अधिक जमीन ली जा रही थी। अब अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण नहीं करते हुए पूरी प्रक्रिया 40 करोड़ में पूरी की जाएगी। दिसंबर तक भुगतान करवा देने का उन्होंने भरोसा दिलाया।

ये भी निर्देश -

नगर विकास विभाग को निर्देश दिया है कि हजारीबाग के माइंस बोर्ड अथवा धनबाद में माडा जैसे संस्थानों के कर्मियों का लंबित भुगतान नगर विकास विभाग अपने फंड से कर दे। -दुमका में तालाब निर्माण के क्रम में दो पहिया वाहनों से मिट्टी ढुलाई को लेकर मुख्यमंत्री ने जांच रिपोर्ट मांगी और संबंधित लोगों पर कार्रवाई का निर्देश दिया।

बबलू कुमार सिंह की अनुकंपा के आधार पर नियोजन नहीं करने की शिकायत पर उपायुक्त ने बताया कि एक-दो दिन में नियुक्ति पत्र दे दी जाएगी।

रामगढ़ से पुनीता कुमारी ने शिकायत की थी कि शाही के दो वर्ष बाद भी कन्यादान योजना का लाभ नहीं मिला। सीएम ने विभाग को निर्देश दिया कि नियमित समीक्षा करें, यह पड़ताल होती रहे कि कितने आवेदन मिले और कितनों पर कार्रवाई हुई।


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